कहा जाता है आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। दुनिया भर में कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण नए इनोवेशन हो रहे हैं।
कोरोना वायरस के कारण भारत के विभिन्न संस्थानों और स्टार्टअप्स ने इस संकट की घड़ी से निपटने के लिए कई नए इनोवेशन किए हैं जो भविष्य में हमें इस तरह की महामारी से सुरक्षा प्रदान करने में काफी मददगार होंगे।
यहां हम 8 ऐसे इनोवेशन के बारे में बता रहे हैं जो अभी बाजार में उतरने वाले हैं:
आईआईटी हैदराबाद-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप: लो-कॉस्ट, पोर्टेबल इमरजेंसी यूज वेंटिलेटर
आईआईटी हैदराबाद के सेंटर फॉर हेल्थकेयर एंटरप्रेन्योरशिप के इनक्यूबेटेड स्टार्टअप एरोबयोसिस इनोवेशन्स ने इस कम लागत वाले, पोर्टेबल और इमर्जेंसी-यूज वेंटिलेटर को बनाया है जिसे जीवन लाइट नाम दिया गया है।
यह डिवाइस डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ को सुरक्षा प्रदान करेगी। यह IoT- इनेबल्ड है इसलिए इसे ऐप के जरिए भी ऑपरेट किया जा सकता है। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में बिजली की समस्या है, वहां भी इसे बैटरी से चलाया जा सकता है।
डिवाइस को अभी सर्टिफिकेशन नहीं मिला है। एरोबायोसिस इनोवेशन का मकसद इंडस्ट्रियल पार्टनर के साथ मिलकर प्रति दिन कम से कम 50 से 70 यूनिट का उत्पादन करना है और जीवन लाइट की कीमत 1 लाख रुपये है।
आईआईटी रुड़की: एम्स ऋषिकेश के लिए कम लागत वाले फेस शील्ड विकसित किया
आईआईटी रुड़की के टिंकरिंग लैब ने कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एम्स ऋषिकेश के फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के लिए कम लागत वाला फेस शील्ड विकसित किया है। फेस शील्ड का फ्रेम 3 डी प्रिंटेड है।
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, "शील्ड के सुरक्षा कवच का डिजाइन स्पेक्टेकल की तरह है और इसको बदलना बेहद आसान है, क्योंकि पारदर्शी शीट दोबारा उपयोग में आने वाली फ्रेम से बंधी नहीं होती है।"
प्रति शील्ड की निर्माण लागत लगभग 45 रुपये है जबकि मास मैन्यूफैक्चरिंग लागत इससे काफी कम है।
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आईआईटी रुड़की: कम लागत वाले पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार किया गया
आईआईटी रुड़की ने कम लागत वाला एक पोर्टेबल वेंटिलेटर तैयार किया है जिसे प्राण-वायु ’ नाम दिया गया है। यह क्लोज्ड -लूप वेंटिलेटर है जिसे एम्स ऋषिकेश के सहयोग से विकसित किया गया है और यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस प्रोटोटाइप का सफल परीक्षण सामान्य और सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे मरीजों पर किया गया है।
प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि “यह वेंटिलेटर मरीज को आवश्यक मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के कंट्रोल ऑपरेशन पर आधारित है। स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने छोड़ने के अनुरूप नियंत्रित करती है। इसके अलावा इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित भी कर सकती है। यह वेंटिलेटर हर उम्र के रोगियों खासतौर से बुजुर्गों के लिए काफी उपयोगी है।
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आईआईटी-बॉम्बे: ऐसी डिवाइस जो करेंसी नोटों और मोबाइल फोन को कर देगी साफ
आईआईटी-बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने एक पोर्टेबल अल्ट्रावायलेट सैनिटाइजर विकसित किया है जो करेंसी नोट, मोबाइल फोन और अन्य छोटी वस्तुओं से बैक्टीरिया और वायरस को साफ करने में उपयोगी है। यह वस्तुओं की सतहों का साफ करने में मदद करता है जिससे कोरोना वायरस का प्रसार कम हो सकता है।
इस सैनिटाइजर को स्टेनलेस स्टील के रसोई के कंटेनरों और एल्यूमीनियम की जाली का उपयोग करके तैयार किया गया है। हालांकि अभी तक टीम ने केवल लैब के अंदर ही इसका सफल परीक्षण किया है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यह सैनिटाइजर संस्थान के इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर (आईडीसी) द्वारा विकसित किया गया है।
आईआईएससी: स्वदेशी वेंटिलेटर प्रोटोटाइप का निर्माण
जहां भारत की मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां अपने वेंटिलेटर बनाने के लिए विदेशों से आयात होने वाले सेंसर और फ्लो कंट्रोलर जैसे कंपोनेंट्स की कमी का सामना कर रही हैं, वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) भारत में बने कंपोनेंट्स से एक वेंटिलेटर का निर्माण कर रहा है।
आईआईएससी की एक टीम इस इलेक्ट्रो-मैकेनिकल वेंटिलेटर प्रोटोटाइप को बनाने में दिनों रात जुटी है और इस महीने के अंत तक वेंटिलेटर तैयार होने की उम्मीद है। आईआईएससी की टीम यूके मेडिसिंस एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर इसका निर्माण कर रही है।
डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियरिंग (डीईएसई) के मुख्य रिसर्च साइंटिस्ट और प्रोजेक्ट के संस्थापकों में से एक टीवी प्रभाकर ने कहा, "हम इस वेंटिलेटर को इसलिए बना रहे हैं ताकि कोई भी इसे मुफ्त में इस्तेमाल कर सके।"
इंडियन रेलवे: आइसोलेशन वार्ड का प्रोटोटाइप
भारतीय रेलवे ने ट्रेन के डिब्बों का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है जिसे जल्द ही कोविड-19 के लिए आइसोलेशन यूनिट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, "हर हफ्ते जोनल रेलवे द्वारा कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए 10 कोचों को आइसोलेशन यूनिट में बदला जाएगा।"
जैसा कि अधिकारियों द्वारा बताया गया है इसे आइसोलेशन केबिन बनाने के लिए बीच वाली सीट को एक तरफ से हटा दिया गया है और मरीज की सीट के सामने वाली तीनों सीटों को भी हटा दिया गया है। हर डिब्बे में एयर कर्टेन की व्यवस्था की गई है।
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इंडियन रेलवे: फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए पीपीई
रविवार (5 अप्रैल) को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने पर्सनल प्रोटेक्टिव एक्विपमेंट (पीपीई) के दो सैंपल को तैयार किया जिसे नॉदर्न रेलवे वर्कशॉप द्वारा विकसित किया गया है।
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, "डीआरडीओ ग्वालियर लैब में इस बात की जांच की गई कि बायो-प्रोटेक्टिव कवरिंग वाले मटेरियल(कपड़े) में खून या शरीर से निकलने वाले अन्य तरल पदार्थ किस हद तक प्रवेश कर सकते हैं।" उत्तर रेलवे ने कहा, "अब ये कवर भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित किए जाएंगे और रेलवे अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 के मरीजों का इलाज करते समय पहने जाएंगे।"
डोजी: मेडिकल-ग्रेड रिमोट मॉनिटरिंग
Dozee एक स्टार्टअप है जिसने संपर्क मुक्त और स्मार्ट हेल्थ मॉनिटर बनाया है. यह मॉनिटर घर में फंसे मरीजों के सांस और ह्रदय से जुड़ी गतिविधियों की जांच रिमोट मॉनिटरिंग के तहत कर सकता है. इस डिवाइस का उपयोग महामारी से निपटने में उपयोगी है जहां आईसीयू और चिकित्सा सुविधा प्रदान करने वाले कर्मचारियों की कमी है।
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डोजी के सीईओ और सह-संस्थापक मुदित दंडवते ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि “हम अपने सप्लाई चेन को सुरक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं और प्रति सप्ताह 100,000 उपकरणों की मांग को पूरा कर सकते हैं, हालांकि, मांग को देखते हुए हम बड़ी संख्या में पीड़ित मरीजों या जहां स्वास्थ्य कार्यकर्ता काम कर रहे हैं, वहां इसे पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं।
मूल लेख - रिंचेन नोरबू वांगचुक