अगर आपका कोई अपना या आसपास कोई व्यक्ति कोविड-19 से जूझ रहा है और उन्हें प्लाज़्मा की जरूरत है, तो लेख में दिए गए कुछ हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट आपके लिए मददगार हो सकते हैं।
भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील आदि को, एक उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।
"लोग ज़्यादा से ज़्यादा सिंगल यूज़ मास्क का उपयोग कर रहे हैं। एक बार इस्तेमाल होने के बाद ये मास्क कूड़े के ढ़ेर में शामिल हो जाते हैं। तो मैंने सोचा क्यों न मैं इस वेस्ट से भी ईंटें बनाने का काम शुरू करूं?"
डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।
लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।
‘ऑपरेशन कवच’ नाम की यह पहल लगभग 175 गाँव की महिलाओं को सशक्त बना रही है। सिर्फ यही नहीं भारतीय सेना पहले ही अपने अस्पतालों के लिए बड़ी तादाद में पीपीई किट के लिए इन्हें ऑर्डर दे चुकी है।
श्रीकांत सिंह ने 2009 में आईआईटी-खड़गपुर से ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की। पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद वैश्विक मंदी के कारण उन्हें नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ा। वह कहते हैं, "मेरी नज़र में, दुनिया मेरे बिना ठीक काम कर रही थी और किसी को भी मेरी वंशावली या पिछले क्रेडेंशियल्स की परवाह नहीं थी। "
लॉकडाउन के बीच भारत-म्यांमार सीमा के पास नागालैंड जिला के एक आईएएस अधिकारी सब्जियों की होम डिलिवरी से लेकर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए कैसे काम कर रहे हैं, आईए जानते हैं।