‘नोबल कॉज’, एक कार्ट के आकार का इको-फ्रेंडली शवदाह गृह है, जिसमें पहिए लगे हैं। इसे जरूरत के हिसाब से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस सिस्टम को ‘चीमा बॉयलर्स लिमिटेड’ के चेयरमैन, हरजिंदर सिंह चीमा ने IIT रोपड़ की मदद से बनाया है।
अगर आप, पुणे में कोरोना से संक्रमित मरीज के लिए प्लाज्मा की तलाश में हैं तो, इस लेख में दिए गए प्लाज्मा ब्लड बैंक तथा प्लाज्मा डोनर प्लेटफार्म के फ़ोन नम्बर, आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
अगर आपका कोई अपना या आसपास कोई व्यक्ति कोविड-19 से जूझ रहा है और उन्हें प्लाज़्मा की जरूरत है, तो लेख में दिए गए कुछ हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट आपके लिए मददगार हो सकते हैं।
मुंबई के रहने वाले पंकज नेरुरकर ने, लॉकडाउन में अपना रेस्तरां बंद होने की वजह से आजीविका के लिए, अपनी नैनो कार में ‘नैनो फूड स्टॉल’ शुरू किया। जिसमें वह सीफूड बेचते हैं और हर रोज लगभग 150 ग्राहकों को खाना खिला कर, एक लाख रुपये/माह कमा रहे हैं।
भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील आदि को, एक उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।
गर्मी बढ़ रही है, ऐसे में लोगों ने अब एसी और कूलर का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। क्या आप भी घर पर एसी चला रहे हैं? अगर हां, तो रेफ्रिजरेशन और एसी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आरएएमए) द्वारा जारी इन दिशानिर्देशों को जरुर पढ़ें।
डॉ. दिव्या सिंह कहती हैं, "संकट के समय अगर मैं अपने देश की मदद नहीं कर सकती हूं तो मेरे डॉक्टर होने का क्या मतलब है।" डॉ दिव्या लोगों की सेवा में दिन-रात लगी हुई हैं। वह पूरा दिन पीपीई किट पहनती हैं इसके लिए उन्होंने अपने बाल तक कटवा लिए हैं।
लॉकडाउन के कारण, भोजन और पैसे की कमी झेल रहे लाखों प्रवासी श्रमिक अपने परिवार से दूर कहीं और फंसे हुए हैं। ऐसे में सूरत का एक एनजीओ एक अलग और अनोखे तरीके से उनकी मदद के लिए सामने आया है। आईए जानते हैं कैसे।