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एक चम्मच इतिहास

एक चम्मच इतिहास 'दही वड़ा' का!

मुगलों और उनकी लाइफस्टाइल ने हमारे खान-पान पर गहरा असर छोड़ा। ऐसा माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में मुगल खानसामों ने पाचन में सुधार के लिए दही, जड़ी-बूटियों और मसालों का इस्तेमाल करके मुगल रसोई में दही वड़े को तैयार किया था। लेकिन कहानियां और भी हैं.. आइए जानते हैं इस चटपटे व्यंजन का खट्टा-मीठा इतिहास।

एक चम्मच इतिहास 'आलू' का!

खाद्य इतिहासकार रेबेका अर्ल कहती हैं, "आलू दुनिया भर में होता है और सभी लोग इसे अपना समझते हैं।" वह इसे दुनिया का 'सबसे सफल प्रवासी' मानती हैं। आलू की कहानी किसी एक देश या भौगोलिक क्षेत्र की नहीं है। इसकी कहानी बताती है कि पिछली कुछ पीढ़ियों में इंसान ने ज़मीन और खाने के साथ अपना रिश्ता कैसे बदला है।

एक चम्मच इतिहास 'गुजिया' का!

चाँद जैसी दिखती है वह, टेस्ट है उसका लाजवाब! होली की है शान, बोलो क्या है उसका नाम? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मिठास से भरी गुजिया की! इसे करंजी बुलाएं या घुघरा, गरिजालू कहें या पेड़किया.. अलग-अलग नामों वाली इस गुजिया के बिना रंगों वाली होली भी फ़ीकी हो जाती है। लेकिन क्या इसकी कहानी पता है आपको? कैसे एक मिठाई बन गई होली की शान!

एक चम्मच इतिहास 'दाल मखनी' का!

वैसे तो दाल की कई वैराइटीज़ काफ़ी फेमस हैं, लेकिन जब बात दाल मखनी की आती है तो मुंह में पानी आना तो लाज़मी है। काली दाल और राजमा में क्रीमी मक्खन का स्वाद किसी के भी दिल में तुरंत जगह बना ले। चावल हो या तंदूरी रोटी, हर चीज़ के साथ इसकी जोड़ी हिट है! लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह स्वाद आख़िर आया कहां से?

एक चम्मच इतिहास 'चीनी' का! 

चीनी यानी शक्कर के दाने भी भारत का ही आविष्कार हैं। माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति गुप्त शासन काल में हुई थी। गुड़ से जब शक्कर बनाई गई तो यह दिखने में सफ़ेद, क्रिस्टल और कंकड़ की तरह थी। इसके इसी रवेदार गुण की वजह से ही इसे 'शर्करा' कहा गया और इसी संस्कृत शब्द से बना है 'शक्कर'।

एक चम्मच इतिहास 'समोसा' का!

आप समोसे को भले ही स्ट्रीट फूड मानें, लेकिन यह उससे बहुत बढ़कर है। समोसा इस बात का सबूत है कि ग्लोबलाइज़ेशन कोई नई चीज़ नहीं है, क्योंकि इसकी पहचान देश की सीमाओं से परे है। कुछ लोग मानते हैं कि समोसा एक भारतीय नमकीन पकवान है, लेकिन इससे जुड़ा इतिहास कुछ और ही कहता है, क्या? आइए जानते हैं-

एक चम्मच इतिहास 'चाय' का!

यूं तो पीने के लिए दुनियाभर में बहुत सारे ड्रिंक्स मौजूद हैं, लेकिन चाय की बात ही कुछ और है। चाय-प्रेमियों को जब तक सुबह-सुबह एक प्याली अच्छी सी चाय न मिल जाए, तब तक सारे काम किनारे कर दिए जाते हैं। सारी प्रेम कहानियां एक तरफ और चाय के लिए हमारी दीवानगी एक तरफ़! तो आइए, आपकी जान 'चाय' के इतिहास की रोचक कहानी सुनते हैं-

एक चम्मच इतिहास 'पान' का!

बनारसी पान तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन मद्रासी, कपूरी, सुहागपुरी, रामटेकी, महोवा पान भी कम नहीं। पान का पत्ता चखते ही उसकी क़िस्म के बारे में बता देने वाले महारथी भी देश में कम नहीं हैं। पान का यह पत्ता हमारे खान-पान और संस्कृति के ताने-बाने में कुछ इस तरह से रचा बसा है कि इसे नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। इसे हम आज भी वहीं पाते हैं, जहां यह सदियों पहले था।

एक चम्मच इतिहास ‘लिट्टी-चोखा’ का!

चंद्रगुप्त मौर्य मगध के राजा थे, जिनकी राजधानी पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना है। लेकिन उनका साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैला था। इतिहासकारों के मुताबिक चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के दौरान अपने साथ लिट्टी चोखा रखते थे। 18वीं शताब्दी की कई किताबों के अनुसार लंबी दूरी तय करने वाले मुसाफिरों का मुख्य भोजन था लिट्टी चोखा।

एक चम्मच इतिहास ‘लड्डू’ का!

लड्डू को सबसे पहले किसी हलवाई ने नहीं, बल्कि 4th सेंचुरी बीसी में भारतीय चिकित्सक सुश्रुत ने बनाया था और इसे दवाई की तरह इस्तेमाल किया जाता था। कैसे लड्डू ने दवाई से मिठाई का रुप लिया, आइए जानते हैं इसके मज़ेदार इतिहास के बारे में...