यदि आप अपने रेग्युलर कोर्स के बीच में भी इस कोर्स में दाखिला लेकर यहाँ इसे एक सेमेस्टर पढ़ते हैं तो आपके रेगुलर कोर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि इस एक सेमेस्टर के आपको क्रेडिट मार्क्स दिए जायेंगें।
इस गाँव में जन्म लेने वाली हर कन्या के नाम पर उसके परिजनों और ग्रामीणों द्वारा 111 पौधे लगाए जाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अब तक 93,000 से अधिक पौधे पेड़ बन चुके हैं।
इन साड़ियों को पहली बार तब राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली, जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन्हें पहनना शुरू किया। इन साड़ियों को बनाने वाले कई कारीगरों को भारत के नागरिक पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
उन्होंने गाँव के विकास को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखे। पर कोई कार्यवाही न होने पर, उन्होंने हाई कोर्ट में गाँव के हालातों को सुधरवाने के लिए याचिका डाली।