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क्लास में जानवर, टूटे दरवाजे, ऐसा था यह सरकारी स्कूल, 4 महीने में एक टीचर ने की काया पलट

40 सालों तक बदहाल पड़े रहे इस स्कूल में कई शिक्षक आए और कई शिक्षक गए लेकिन गौतम शर्मा ने इस स्कूल की तस्वीर को बदलने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी।

कचरे से खाना खाते गरीबों को देख शुरू किया फूड बैंक, मात्र 5 रूपए में खिला रहे लज़ीज़ खाना

By द बेटर इंडिया

गुरुग्राम के सदर बाज़ार में अब कोई कूड़ेदान में फेंके गए अन्न को इकट्ठा कर खाना खाते आपको नहीं मिलेगा। सदर बाजार में कॉस्मेटिक की दुकान चलाने वाले पंकज गुप्ता की वजह से यह सब संभव हो पाया है।

45 सालों से जंगल में आदिवासियों के बीच रहकर उनकी ज़िन्दगी सँवार रहे हैं यह पूर्व वायु सेना कर्मी

By नेहा रूपड़ा

विलास मनोहर आज से 45 साल पहले जब आदिवासियों के गाँव हेमकलसा पहुंचे थे तब वहाँ मिट्टी की दो-तीन झोपड़ियाँ ही थीं लेकिन आज उनकी मेहनत से वहाँ अस्पताल, पक्के घर व पशुओं के लिए एक अनाथालय खुल चुका है।

इनसे सीखें: जब डगर-डगर पर हो अगर-मगर तो कैसे जिएँ अपने सपनों को

By नेहा रूपड़ा

यह कहानी है महज 3 महीने में अपने माँ-पिता से अलग हुई और 8 साल की उम्र में भाई बहनों की ज़िम्मेदारी निभाने वाली माया बोहरा की, जिन्होंने अपनी शिक्षा के लिए अपनों से ही बगावत की और आज वह लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम कर रही हैं।

Green Khan: 313 पेड़ लगाकर बनाया प्राकृतिक शामियाना, जिसके नीचे बैठ सकते हैं 12, 000 लोग

By निशा डागर

हैदर अली खान अपनी तकनीक से बिना पेड़ को कोई नुकसान पहुंचाएं, इन्हें शामियाना और छतरी का रूप देते हैं ताकि इनकी छांव ज्यादा से ज्यादा मिल सके!

झारखंड के इस गाँव के लोगों ने बाँस से बनाया 100 फीट लंबा झूलता हुआ पुल

By कुमार विकास

नदी के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े पेड़ों पर तार खींचकर उस पर बांस बिछाकर पुल में चलने के रास्ते तैयार किए गये और करीब 25 से 30 दिनों की मेहनत के बाद कटांग का झूला पुल आज लोगों का संकटमोचक बनकर तैयार है।

दो हज़ार ग्रामीणों संग IFS अफसर ने बंजर ज़मीन पर बनाया ट्यूलिप गार्डन, रचा इतिहास

By पूजा दास

इस ट्यूलिप गार्डन की डेवलपमेंट कमेटी में मुख्य रूप से बेरोजगार स्थानीय समुदाय के युवा शामिल हैं। ये युवा गार्डन की स्थापना से लेकर इसे पूरा करने और उसके रखरखाव तक की सुविधा में जुड़े हुए हैं।

'ठेंगापाली': जानिए कैसे इस एक हथियार से 600 एकड़ जंगलों को बचाया है इस एक शख्स ने

By निशा डागर

आठवीं की पढ़ाई के बाद दामोदर गाँव से बाहर पढ़ने के लिए गए। अपनी पढ़ाई पूरी कर जब वह गाँव लौटे तो उन्होंने देखा कि जहाँ हरे-भरे पेड़ हुआ करते थे, अब वहां सिर्फ ठूंठ हैं। बस उसी दिन से उन्होंने जंगल की रक्षा को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया!

कभी बाढ़ से पलायन करते थे ग्रामीण, महिला आईएएस ने अभियान चला मोबाइल से पहुंचाई मदद

By द बेटर इंडिया

सहरसा में मात्र 55 प्रतिशत साक्षरता है, वहीं डिजिटल साक्षरता इससे भी काफी कम, लेकिन डॉ० शैलजा ने इन बाधाओं के बाद भी ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की मदद पहुंचाई।

क्लीन कुन्नूर: सालों से गंदा नाला बनी नदी को किया साफ, बाहर निकाला 12 हज़ार टन कचरा

By निशा डागर

साल 1930 से ओट्टुपट्टारई में कुनूर शहर का डंपयार्ड रहा है लेकिन नागरिकों और प्रशासन के कुछ महीने के प्रयासों से ही आज यहाँ वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट और एक खूबसूरत पार्क है!