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आपकी खरीददारी की आदतों से जुड़ी हैं ऑरंगुटन और गैंडों की सुरक्षा, जानिये कैसे!

By पूजा दास

शैम्पू से लेकर टूथपेस्ट पिज्जा, और चॉकलेट तक, सुपरमार्केट से आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, उनमें से 50% उत्पाद में पाम तेल शामिल होता है। लेकिन इसका उत्पादन करने वाले देशों के सामने वनों की कटाई, बायोडाइवर्सिटी से जुड़ी हानि जैसी कई चुनतियां भी हैं। किन सस्टेनेबल तरीकों से इन समस्यायों का समाधान संभव है, पढ़िए यह लेख!

मेरठ के छात्रों का जुगाड़, अब भगवान् शिव पर चढ़ने वाले दूध से भर रहा है ज़रूरतमंदों का पेट

By प्रीति महावर

मेरठ के एक 24 वर्षीय छात्र, करण गोयल ने, अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर, सिर्फ 2500 रूपये में एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो लगभग 150 लीटर दूध बचाने में मदद करता है।

इस युवक के हैं 150 माता-पिता! बेघर बुज़ुर्गों को घर लाकर दिया सम्मान से जीने का सेकंड चांस

By निशा डागर

हैदराबाद के रहने वाले इंजीनियर, जैसपर पॉल 'सेकंड चांस' नामक अपने संगठन के जरिए 150 बेसहारा लोगों को खाना, कपड़े और घर की सुविधा दे रहे हैं।

रिटायर्ड प्रोफेसर ने बनाया रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, 2 सालों में गाँव हुआ सूखा मुक्त

रिटायर्ड प्रोफेसर अशोक व अन्य लोगों के प्रयास से पिछले दो मानसून सीजन में गाँव में पानी के टैंकर बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी है। जिला परिषद ने गाँव को सूखामुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया।

दिल्ली: एक शख्स ने पहल की तो साथ आए लोग, गंदे नाले को साफ कर बना डाली सुंदर सी झील

दिल्ली की रजोकरी झील अब जमीनी स्तर के सामाजिक विकास के लिए इनोवेशन का एक शानदार उदाहरण बन चुकी है।

डिवाइडर पर कचरा फेंकते थे लोग, फिर मैंने शुरू किया यह अभियान, अब हरी-भरी लगती है दिल्ली

By द बेटर इंडिया

क्या डिवाइडर का काम सिर्फ सड़क को दो हिस्सों में बाँटना ही है, फिर चाहे उसमें कूड़ा पड़ा रहे या फिर जानवर लोटते रहें?

इंजीनियरिंग छात्र ने कॉलेज ग्राउंड में खोला गरीब बच्चों का स्कूल, साथी दोस्त बने टीचर्स

स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ पीयूष अपने दोस्तों की मदद से कानपुर में कुछ गरीब बच्चों को बिना किसी शुल्क के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवा रहे हैं।

घूम-घूमकर गाँवों में बायोगैस प्लांट लगवा रहीं हैं पटना की आकांक्षा, कई घरों को किया रौशन

By पूजा दास

व्हाट्सएप, फेसबुक और इन्स्टाग्राम के दौर में पटना शहर की रहने वाली आकांक्षा सिंह देश के गाँवों में किसानों की ज़िंदगी बेहतर बनाने में जुटी हुई हैं।

14 लाख की नौकरी छोड़, फूलों के कचरे से ईको फ्रेंडली धूप-अगरबत्ती बना रहा यह IIT ग्रेजुएट

"मैं अपने विदेशी दोस्त को गंगा किनारे घुमाने ले गया। वहाँ नदी फूलों के कचरे की वजह से दूषित थी। दोस्त ने सवाल किया, आप कुछ करते क्यों नहीं? इसके बाद से ही मैं इस विषय पर सोचने लगा और इस फूलों के कचरे के इस्तेमाल का एक स्टार्ट अप शुरू किया।" - अंकित अग्रवाल

17 सालों से ऑर्गनिक सब्जियाँ उगाते हैं यह हेडमास्टर, जिससे बनता है बच्चों का मिड-डे मील

ताजी सब्जियाँ और पौष्टिक मिड-डे मील के अलावा चौहान छात्रों को यूनिफॉर्म, स्टेशनरी और जूते भी मुफ्त में देते हैं।