शैम्पू से लेकर टूथपेस्ट पिज्जा, और चॉकलेट तक, सुपरमार्केट से आप जो भी उत्पाद खरीदते हैं, उनमें से 50% उत्पाद में पाम तेल शामिल होता है। लेकिन इसका उत्पादन करने वाले देशों के सामने वनों की कटाई, बायोडाइवर्सिटी से जुड़ी हानि जैसी कई चुनतियां भी हैं। किन सस्टेनेबल तरीकों से इन समस्यायों का समाधान संभव है, पढ़िए यह लेख!
मेरठ के एक 24 वर्षीय छात्र, करण गोयल ने, अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर, सिर्फ 2500 रूपये में एक ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो लगभग 150 लीटर दूध बचाने में मदद करता है।
रिटायर्ड प्रोफेसर अशोक व अन्य लोगों के प्रयास से पिछले दो मानसून सीजन में गाँव में पानी के टैंकर बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी है। जिला परिषद ने गाँव को सूखामुक्त क्षेत्र घोषित कर दिया।
स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ पीयूष अपने दोस्तों की मदद से कानपुर में कुछ गरीब बच्चों को बिना किसी शुल्क के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करवा रहे हैं।
"मैं अपने विदेशी दोस्त को गंगा किनारे घुमाने ले गया। वहाँ नदी फूलों के कचरे की वजह से दूषित थी। दोस्त ने सवाल किया, आप कुछ करते क्यों नहीं? इसके बाद से ही मैं इस विषय पर सोचने लगा और इस फूलों के कचरे के इस्तेमाल का एक स्टार्ट अप शुरू किया।" - अंकित अग्रवाल