गुरूजी ने पहाड़ काटकर ऐसा रास्ता बनाया, जिससे 29 किमी० की दूरी मात्र 10 किमी० में सिमट कर रह गयी। जिस रास्ते से साइकिल भी नहीं गुजर सकती थी अब वहाँ से बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ गुज़रती हैं।
टीचर शालिनी वर्मा के प्रयासों के चलते इस सरकारी स्कूल में पोषण वाटिका बनाई गयी है, जहाँ उगाई गयी पालक, पुदीना, चुकंदर, मेथी, गाजर इत्यादि स्कूल के लिए बनने वाले मिड डे मील में प्रयोग किये जाते हैं।
खनन गतिविधियों से झारखंड के कई जिलों में प्रदूषण, जैव विविधता असंतुलन और बंजर जमीनें बढ़ रही हैं। ऐसे समय में एक पहल ने जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण को बहाल कर एक मिसाल कायम कर दी है।
"हमारे आस-पास बहुत से लोग हैं जो मदद करना चाहते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि कैसे करें। वहीं दूसरी तरफ, बहुत से लोगों को मदद की ज़रूरत है। हम इन दोनों तबकों के बीच का सेतु बनाना चाहते हैं ताकि सही मदद सही लोगों तक पहुँच सके।"
एसओएस में पले-बढ़े करमजीत एक आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनका मानना है कि वह शायद एक चोर-उचक्के बन गए होते अगर उन्हें बचपन में सही दिशा नहीं दी जाती। पहले करमजीत ने अपनी मेहनत से एक घर बनाया और आज वह शादीशुदा हैं साथ ही उनका एक बेटा भी है।
“भारत में पढ़ाई के दौरान व्यावहारिक कौशल की अपेक्षा नंबर पर ज्यादा जोर दिया जाता है। लेकिन ये ऐसे व्यावहारिक कौशल हैं जो बाद में बच्चों को न केवल नौकरी पाने में बल्कि इनोवेटर बनने में भी मदद करते हैं। ” – शोएब डार