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झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

छत्तीसगढ़ : गाँव में लड़की के जन्म पर 5, 000 रूपये की एफडी करवाती है यह ग्राम पंचायत!

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक में स्थित ग्राम पंचायत सपोस पूरे भारत में एक आदर्श ग्राम पंचायत की मिसाल पेश कर रही है। ग्राम पंचायत सपोस के अंतर्गत दो गाँव, सपोस और गबौद आते हैं। इन दोनों गांवों के विकास के लिए ग्राम पंचायत उम्दा कार्य कर रही है।

20, 000 छात्रों को शिक्षित करने के साथ गरीबी और तस्करी जैसे मुद्दों पर काम कर रही है 'अलोरण पहल'!

पश्चिम बंगाल में अलीपुरद्वार प्रशासन की 'आलोरण पहल' ने तीन महीनों में ही यहाँ के 73 विद्यालयों के लगभग 20, 000 बच्चों की ज़िंदगी में एक बड़ा परिवर्तन ला दिया है। यह एक 'ज़ीरो-कॉस्ट' मॉडल है। जिसमें अधिकारी स्कूलों में जाकर मिड-डे मील की गुणवत्ता, छात्रों की हाजिरी और शिक्षकों की उपस्थिति का मुआयना करते हैं।

हिमाचल प्रदेश : जो गाँववाले अस्पताल तक नहीं पहुँच सकते, उनके घर तक पहुँच रहा है यह मोबाइल अस्पताल!

इस सेवा के अंतर्गत मोबाइल वैन में एक हेल्थ ऑफिसर एवं पैरा मेडिकल वालंटियरस के अलावा नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन तथा वाहन चालक होते हैं, जो लोगों के घर द्वार पहुंचकर न केवल विभिन्न प्रकार के रोगों की निशुल्क जांच करते है बल्कि मौके पर उनका इलाज भी करते है।

5 साल के जिस बाल मज़दूर को कैलाश सत्यार्थी ने बचाया था, आज वह वकील बन लड़ रहा है रेप पीड़ितों के लिए!

By निशा डागर

23 वर्षीय अमर लाल कभी भी वकील बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाते यदि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी नहीं होते। आज अमर लाल नोयडा में कानून की पढाई कर रहे हैं। बाल मजदूरी के शिकार, अमर को पांच साल की उम्र में सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के जरिये बचाया गया था।

शिमला का यह सुन्दर कैफ़े उम्रकैद की सज़ा काट रहे कैदियों द्वारा चलाया जाता है

अगर इन गर्मी की छुट्टियों में आप शिमला जाने की सोच रहे हैं, तो संभव है कि आप इस छोटे से होटल, बुक कैफ़े के पास से गुजरें, जो प्रसिद्ध रिज के ठीक ऊपर है।

'मुझे सामान की तरह उठाया गया'- एक दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता की आपबीती से उठी सुविधाजनक रेलवे की मांग!

By विनय कुमार

विराली को भारतीय रेलवे के साथ कई बार संघर्ष करना पड़ा, जहां उन्हें दिव्यांग होने की वजह से जबरदस्ती पुरुषों द्वारा पकड़ा गया

नोटबंदी से बिलकुल प्रभावित नहीं है ये छोटा सा गाँव - जानिये कैसे!

By मानबी कटोच

नोटबंदी के मुश्किल समय में एक गाँव ऐसा है जो नोटबंदी के दुष्परिणामो से बिलकुल अछुता है। ये गाँव है हमारे देश का पहला डिजिटल गाँव, अकोदरा!

नोट बंदी के बाद अपनी दरियादिली से लोगो का दिल जीत रहे ये लोग!

By मानबी कटोच

देश में काले धन के खिलाफ 500 और हज़ार का नोट बंद होने के बाद, अपना पूरा योगदान करते तीन लोगो की कहानियां आज हम आपके सामने ला रहे है।

मुंबई आकर भीख मांगने और गजरे बेचने को मजबूर किसानो के बच्चो को देश का पहला सिग्नल स्कूल दिखा रहा है जीने की नई राह !

By मानबी कटोच

अब देश के पहले सिग्नल स्कूल के खुल जाने से मोहन जैसे कई किसानो के बच्चो को अपने भविष्य को सुधारने का मौका मिल रहा है, जो मुंबई की सडको पर रहने को मजबूर है