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पूजा दास

पूजा दास पिछले दस वर्षों से मीडिया से जुड़ी हैं। स्वास्थ्य और फैशन से जुड़े मुद्दों पर नियमित तौर पर लिखती रही हैं। पूजा ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास्टर्स किया है और नेकवर्क 18 के हिंदी चैनल, आईबीएन7, प्रज्ञा टीवी, इंडियास्पेंड.कॉम में सक्रिय योगदान दिया है। लेखन के अलावा पूजा की दिलचस्पी यात्रा करने और खाना बनाने में है।

जानिए कैसे एक बिना दांत वाले नवाब की वजह से भारत को मिला कबाब, जो है बेहद लाजवाब!

By पूजा दास

जब नवाब वाजिद-अली-शाह ने घी में पकाए गए, मुंह में घुलने वाले कबाब को चखा तो उन्होंने इसे बनाने वाले के बारे में पूछा। एक हाथ वाले रसोई का ज़िक्र करते हुए उन्हें बताया गया कि ये टुंडे कबाब हैं।

MDH वाले दादाजी याद हैं? कभी तांगा चलाते थे, पढ़िए कैसे बने मसालों के बादशाह

By पूजा दास

MDH यानी 'महाशियान दी हट्टी' की स्थापना करीब एक सदी पहले 1919 में अविभाजित भारत के सियालकोट क्षेत्र में की गई थी।

घर में कम थी जगह तो ग्रो बैग में उगा दिए 500 से ज्यादा पौधे, फल, सब्ज़ियां

By पूजा दास

केवल पांच वर्षों में सुमा के टैरस गार्डन में फूलगोभी, चुकंदर, प्याज, अदरक, गोभी समेत हर्ब गार्डन यानी कि हरी शाक और औषधीय पौधे लगाए हैं।

दो हज़ार ग्रामीणों संग IFS अफसर ने बंजर ज़मीन पर बनाया ट्यूलिप गार्डन, रचा इतिहास

By पूजा दास

इस ट्यूलिप गार्डन की डेवलपमेंट कमेटी में मुख्य रूप से बेरोजगार स्थानीय समुदाय के युवा शामिल हैं। ये युवा गार्डन की स्थापना से लेकर इसे पूरा करने और उसके रखरखाव तक की सुविधा में जुड़े हुए हैं।

दिल्ली: मिलिए 16 साल की हर्षिता से, घर से चलाती हैं 'बबल टी' का सफल बिज़नेस

By पूजा दास

शनिवार को हर्षिता अपनी पढ़ाई से छुट्टी लेती हैं और पांच सबसे पॉपुलेर फ्लेवर में बबल टी बनाती हैं। प्रति सप्ताह उन्हें लगभग 25-30 ऑर्डर मिलते हैं। हर्षिता को उम्मीद है कि कोरोनावायरस की स्थिति ठीक होने के बाद वह इस साल के अंत तक करीब 400 ऑर्डर और प्राप्त कर सकती हैं, जिससे उन्हें करीब 80 हज़ार का मुनाफा हो सकता है। 

सड़कों का महाराजा कहलाती थी यह स्वदेशी कार, पीएम से लेकर आम आदमी की थी सवारी

By पूजा दास

भारत में राज्य और अधिकारियों के साथ एंबेसडर का रिश्ता और भी ज़्यादा गहरा रहा है। इस मजबूत चार पहिया गाड़ी को पूरी तरह से एक नई पहचान मिली जब इसके छत पर एक लाल बत्ती लगाना शुरू किया गया था।

पिछले 27 सालों में पानी के लिए एक भी रूपया नहीं चुकाया है विशाखापट्टनम की इस कॉलोनी ने

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सोसाइटी वालों की इस पहल के चलते उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से एक लाख रूपए का पुरस्कार भी मिला है।

मुंबई: दो गमलों से शुरू की थी गार्डनिंग, अब 16 साल पुरानी जॉब छोड़ खेती से कमाते हैं लाखों

By पूजा दास

नौकरी छोड़ खेती शुरू करने वाले अनीश का मानना है कि यदि हम भोजन को अपनी दवा बना लेते हैं, तो हमें बीमारियों के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी।

घर के गार्डन में उगाते हैं 34 किस्म की बोगनविलिया फूल, हर महीने कमा रहे हैं 2 लाख रूपये

By पूजा दास

बागवानी के टिप्स साझा करने के लिए केरल के इस कपल का एक यूट्यूब चैनल भी है जिसके करीब 60 हज़ार से अधिक सब्सक्राइबर हैं।