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प्रीति टौंक

मूल रूप से झारखंड के धनबाद से आनेवाली, प्रीति ने 'माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी' से पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। ऑल इंडिया रेडियो और डीडी न्यूज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली प्रीति को, लेखन के साथ-साथ नयी-नयी जगहों पर घूमने और अपनी चार साल की बेटी के लिए बेकिंग करने का भी शौक है।

पुणे की इस बालकनी में मिलता है जंगल सा सुकून

By प्रीति टौंक

मिलिए पुणे की डेटा साइंटिस्ट मानसी दुनाखे से, जिन्हें हरियाली वाली जगह में घूमना पसंद था। हरियाली के अपने इसी शौक़ के कारण, उन्होंने अपने घर को एक मिनी जंगल में बदल दिया है।

फुल टाइम नौकरी के साथ कर सकते हैं केसर की खेती, सीखिए इन दो भाईयों से

By प्रीति टौंक

न कोई खेत, न मिट्टी! पंजाब के दो भाई किसान न होते हुए भी, उगा रहे हैं केसर और दूसरों को भी सीखा रहे हैं एक्स्ट्रा आय का जरिया। खास बात तो यह है कि ये सब वे अपनी फुल टाइम नौकरी के साथ कर रहे हैं।

42 की उम्र में गृहिणी से बनीं किसान, अब मिलेट उगाकर कर रहीं लाखों का कारोबार

By प्रीति टौंक

"मैं रोज सब्जियों के जूस को हेल्दी समझकर अपने बच्चों की पिलाती थी, एक दिन मुझे पता चला कि यह तो slow Poison है। इस घटना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।"

26 साल के युवक ने बनाई झटपट बिजली बनाने वाली पोर्टेबल पवन चक्की

By प्रीति टौंक

राजस्थान के एक छोटे से गांव के रहने वाले डूंगर सिंह सोढ़ा ने अपने घर की बिजली की समस्या का समाधान खोजते-खोजते एक ऐसा कमाल का आविष्कार कर दिया जिससे आम आदमी से लेकर आर्मी के जवान तक हर कोई झट-पट बिजली बना सकता है।

जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करने वाले पद्मश्री डॉक्टर, 160 किमी यात्रा करके पहुंचते हैं मरीजों तक

By प्रीति टौंक

70 साल के डॉ अरुणोदय मंडल जब 160 किमी का सफर तय करके सुंदरबन पहुंचते हैं, तब मरीजों के चेहरों पर मुस्कान आ जाती है, क्योंकि यहां आने वाले वह इकलौते डॉक्टर हैं। डॉ. मंडल पिछले 23 सालों इसी तरह हर हफ्ते मरीजों को मुफ्त इलाज देकर सेवाभाव की मिसाल कायम रहे हैं।

IAS की पहल से झारखंड का कुपोषण वाला जिला बना देश का रागी कैपिटल

By प्रीति टौंक

कभी गुमनाम था झारखंड का गुमला जिला, लेकिन आज इसकी पहचान देश के रागी कैपिटल के तौर पर होती है, यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे सम्मानित किया है। रागी के उत्पादन से जहां एक तरफ महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं, वहीं जिले का भी विकास हुआ है।

मैं फ्री लाइब्रेरी चलाती हूँ ताकि बच्चों को किताबों और रोटी के बीच न चुनना पड़े 

By प्रीति टौंक

असम की ऋतूपूर्णा नेओग अपनी संस्था Akam Foundation के जरिए उन गांवों में फ्री लाइब्रेरी बना रही हैं, जहां के बच्चों को आज भी किताबों और रोटी के बीच में किसी एक चुनना पड़ रहा है।