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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

'मातोश्री' रमाबाई : वह महिला, जिसके त्याग ने 'भीमा' को बनाया 'डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर'!

By निशा डागर

रमाबाई भीमराव आम्बेडकर बाबा साहेब की पत्नी थीं। आज भी लोग उन्हें 'मातोश्री' रमाबाई के नाम से जानते हैं। उन्होंने ताउम्र बाबा साहेब का साथ दिया। बाबा साहेब ने भी अपने जीवन में रमाबाई के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण माना है।

दिल्ली: इस सिपाही ने अपनी जान पर खेलकर बचायी नहर में डूबते बच्चे की जान!

By निशा डागर

2 फरवरी 2019 को दिल्ली के बवाना नहर में डूब रहे एक बच्चे को दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने अपनी जान पर खेलकर बचाया। ख्याला पुलिस स्टेशन के कोंस्टेबल राजकमल मीणा किसी केस के सिलसिले में यहाँ आये हुए थे और तभी उन्होंने देखा कि एक बच्चा बवाना नहर में गिर गया है। 

काथीखेड़ा से लॉस एंजिलस तक, भारत की 'पैड वीमेन' पर बनी फ़िल्म ने जीता ऑस्कर अवॉर्ड!

By निशा डागर

ऑस्कर अवॉर्ड्स की बेस्ट डॉक्युमेंट्री (शोर्ट सब्जेक्ट) कैटेगरी के लिए 'पीरियड. एंड ऑफ़ सेंटेंस' डॉक्युमेंट्री को नामित किया गया है। 'माहवारी' के विषय पर बनी इस डॉक्युमेंट्री की पृष्ठभूमि भारत के उत्तर-प्रदेश में हापुड़ जिले का एक छोटे-सा गाँव काथीखेड़ा है।

सतपाल सिंह : जिन्होंने सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त जैसे कुश्ती के धुरंधरों को विश्व चैंपियन बनाया!

By निशा डागर

कुश्ती के खेल में भारत का नाम रौशन करने वालों कि फ़ेहरिस्त 'महाबली' सतपाल सिंह का नाम भी शामिल होता है। सतपाल सिंह ने अपने करियर के दौरान 16 बार नेशनल चैंपियनशिप जीतीं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण, द्रोणाचार्य अवॉर्ड जैसे सम्मानों से भी नवाज़ा गया है।

अनाथ आश्रम में पली-बढ़ी दिव्यांग शालू, अब स्पेशल ओलिंपिक में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व!

By निशा डागर

पंजाब के अमृतसर में स्थित अखिल भारतीय पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसाइटी के अनाथ-आश्रम में पली-बढ़ी 23 वर्षीय शालू एक बेहतरीन पॉवरलिफ्टर हैं और आगामी स्पेशल ओलिंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। शालू एक दिव्यांग लड़की हैं और वे ठीक से बोल नहीं पाती हैं, पर फिर भी उनके जज़्बे और हौंसले में कोई कमी नहीं है।