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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

गामा पहलवान: कद कम बता कर जिसे किया टूर्नामेंट से बाहर, उसी ने जीता 'रुस्तम-ए-जहाँ' का ख़िताब!

By निशा डागर

ग़ुलाम मोहम्मद बख़्श उर्फ़ गामा पहलवान, जी हाँ, वही गामा पहलवान जिसने कुश्ती में न सिर्फ़ रुस्तम-ए-हिन्द बल्कि रुस्तम-ए-जहाँ का ख़िताब हासिल किया। वही गामा पहलवान जिसने दम पर आज भी भारत को कुश्ती में विश्व विजेता कहलाने का मुक़ाम हासिल है।

4000+ बच्चों को करवाई सरकारी नौकरी की तैयारी, फीस के बदले करवाते हैं 18 पौधारोपण!

By निशा डागर

Bihar में समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड/ब्लॉक में ढरहा गाँव के रहने वाले राजेश कुमार सुमन पिछले 11 सालों से गरीब बच्चों को मुफ़्त में सरकारी नौकरियों की तैयारी करवा रहे है। उनके यहाँ पढ़ने आने वाले सभी बच्चों को सबसे पहले 18 पौधे लगाने होते हैं और फिर वे 3-4 साल तक पौधों की देखभाल करने का संकल्प करते हैं।

केरल के किसान संगठन को मिला 'द ऑर्गेनिक मेडल ऑफ़ हॉनर' का अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार!

By निशा डागर

Kerala में जैविक किसानों के 25 साल पुराने समूह, केरल जैव कृषक समिति को कृषि के क्षेत्र में नवीनतम कार्य करने के लिए, हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय सम्मान, 'द ऑर्गेनिक मेडल ऑफ़ हॉनर' के लिए चयनित किया गया है। 30 मई को यह सम्मान दिया जायेगा।

दिहाड़ी मज़दूर ने बीमार पत्नी के लिए बनाया ख़ास 'टॉयलेट बेड', जीता नेशनल अवॉर्ड!

By निशा डागर

Tamilnadu में थालावैपुरम के निवासी एस. सरवनामुथु ने अपनी बीमार पत्नी के लिए 'टॉयलेट बैड' बनाया है। उनके इस आविष्कार को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा चुना गया और उन्हें सम्मानित किया गया। अब उन्हें देशभर से इस तरह के ऑर्डर मिल रहे हैं।

ट्यूशन पढ़ाकर 50 से ज़्यादा बेसहारा कुत्तों की देखभाल कर रही है इंजीनियरिंग की यह छात्रा!

By निशा डागर

Haryana में सोनीपत की रहने वाली 21 वर्षीय शैनदीप अरोड़ा अपनी गली में बेसहारा घुमने वाले 50 से भी ज़्यादा कुत्तों की देखभाल करती है। उन्हें दो वक़्त खाना नियमित रूप से खाना खिलाने के अलावा, वे इनके बीमार पड़ने पर इन्हें जानवरों के डॉक्टर के पास भी लेकर जाती हैं।

साइक्लोन फोनी: तूफ़ान से गिरी अस्पताल की छत, अपनी जान की परवाह किये बिना मेडिकल स्टाफ ने बचायी 22 बच्चों की जान!

By निशा डागर

उड़ीसा में आये साइक्लोन फोनी ने राज्य के कई शहरों और तटीय इलाकों को तहस-नहस किया है। फ़िलहाल प्रशासन और लोग, फिर से स्थिति को सामान्य करने में जुटे हुए हैं। भुवनेश्वर के कैपीटल अस्पताल में 11 स्टाफ सदस्यों ने मिलकर 22 नवजात बच्चों की जान बचायी।

कार को मोबाइल क्लिनिक बना, अब तक 36,000+ ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने वाला डॉक्टर!

By निशा डागर

Bengaluru के रहने वाले डॉ. सुनील कुमार हेब्बी का उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक सही स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाना है और इसके लिए वे अब तक 700 से ज़्यादा मेडिकल कैंप कर चुके हैं। इसके साथ ही वे 'राईट टू हेल्थ' मुहीम चला रहे हैं ताकि देश में नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार भी मिले।

ऑटो-ड्राईवर ने गर्भवती महिला को पहुँचाया अस्पताल, 18 दिनों तक रखा नवजात बच्चे का ख्याल!

By निशा डागर

Bengaluru के 29 वर्षीय ऑटो ड्राईवर बाबु मुद्द्रप्पा ने बिना किसी स्वार्थ के एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुँचाया और सभी बिल भी भरे। जब वह महिला अपनी नवजात बच्ची को छोड़कर भाग गयी तो पूरे 18 दिनों तक बाबु ने उस बच्ची देखभाल की।

साइंस या मनोरंजन : 250+ हैंड्स ऑन एक्टिविटी से विज्ञान सिखा रहे हैं सरकारी स्कूल के यह शिक्षक!

By निशा डागर

Haryana में यमुनानगर जिले के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, कैंप में विज्ञान अध्यापक के पद पर कार्यरत दर्शन लाल बवेजा को शिक्षक के साथ-साथ विज्ञान संचारक के रूप में भी जाना जाता है। बच्चों को विज्ञान के अलग-अलग सिद्धांत समझाने के लिए उन्होंने 250+ हैंड्स ऑन गतिविधियाँ तैयार की हैं।

मिज़ोरम: हर शुक्रवार माता-पिता के साथ बाज़ार में बेचती है सब्ज़ियाँ, बोर्ड में हासिल किये 97.2%!

By निशा डागर

Mizoram की राजधानी आइज़ोल से 15 किलोमीटर दूर स्थित गाँव नेइहबावी की निवासी लाल्रिन्नुंगी ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 97.2% अंक प्राप्त कर न सिर्फ़ अपने माता-पिता बल्कि पूरे गाँव का नाम रौशन किया है। 17, 000 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए उसने यह टॉप रैंक प्राप्त की है।