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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

आधुनिक 'श्रवण कुमार' : 200+ बेसहारा बुजुर्गों को पहुंचाते हैं खाना, अब बनवा रहे हैं उनके लिए घर!

By निशा डागर

सिर्फ़ 2 टिफ़िन के साथ शुरू हुई उनकी यह सर्विस आज पूरे 235 टिफ़िन तक पहुँच चुकी है।

इस कश्मीरी टूरिस्ट गाइड ने अपनी जान देकर बचायी पांच पर्यटकों की जान!

By निशा डागर

रौफ़ तुरंत तैरकर किनारे पर आ गये थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि बाकी पर्यटक अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो उन्होंने फिर एक बार नदी में छलांग लगा दी।

इस महिला के हौसलों ने दी बाड़मेर को अंतरराष्ट्रीय पहचान, घूँघट से निकल तय किया रैंप वॉक का सफ़र!

By निशा डागर

आज रुमा देवी के साथ 22, 000 से भी ज़्यादा महिला कारीगर जुड़ी हुई हैं।

साइंस टीचर हो तो ऐसा: 'वेस्ट मैनेजमेंट' की तकनीक सिखा, प्लास्टिक की बोतलों से बनवाया हाइड्रो-रोकेट!

By निशा डागर

स्कूल के प्रांगण में पेड़ लगाने और उनकी देखभाल से लेकर 'बेस्ट आउट ऑफ़ वेस्ट' जैसे उनके अभियान भी काफ़ी सफल हो रहे हैं!

आँखों से दिव्यांग इस किसान ने उगायी फ़सलों की 200+ देसी किस्में, पूरे देश में करते हैं बीज-दान!

By निशा डागर

Uttar Pradesh के वाराणसी जिले के तड़िया गाँव के 60 वर्षीय किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी न सिर्फ़ जैविक किसान हैं, बल्कि वे बीज उत्पादक भी हैं।

हिन्दी पत्रकारिता जगत को रौशन करने वाला पहला सूर्य, 'उदन्त मार्तण्ड'!

By निशा डागर

साल 1826 के फरवरी महीने में वकील युगल किशोर शुक्ल को उनके एक साथी मुन्नू ठाकुर के साथ 'हिंदी समाचार पत्र' निकालने का लाइसेंस मिल गया। और फिर 30 मई 1826 को 'उदन्त मार्तण्ड' समाचार पत्र का पहला अंक प्रकाशित हुआ या फिर कहना चाहिए कि औपचारिक रूप से हिंदी पत्रकारिता का उद्भव हुआ।

प्राइमरी टीचर के एक इनोवेशन से बची हैदराबाद की 9 झीलें, केन्या से भी मिला 10 मशीनों का ऑर्डर!

By निशा डागर

आंध्र-प्रदेश के मुक्तापुर गाँव के मछुआरा समुदाय के गोदासु नरसिम्हा ने गाँव के तालाबों से खर-पतवार को हटाने के लिए एक ख़ास मशीन बनाई। हैदराबाद नगर निगम ने भी नरसिम्हा को कई झीलों की साफ़-सफाई का काम सौंपा और अब केन्या के मंत्री भी चाहते हैं कि वे उनके देश के लिए यह मशीन बनायें।

हर रोज़ 30 बच्चों का पेट भर रहा है यह फ़ूड डिलीवरी एजेंट, 21 बच्चों का कराया सरकारी स्कूल में दाखिला!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के दम दम कैंटोनमेंट में ज़ोमैटो का एक फ़ूड डिलीवरी एजेंट हर दिन फूटपाथ पर गुज़र-बसर करने वाले मासूम बच्चों का हर दिन पेट भर रहा है। इन गरीब बच्चों के बीच 'रोल काकू' के नाम से मशहूर पथिकृत साहा दुनिया को सीखा रहे हैं कि कैसे अच्छाई का एक छोटा-सा कदम समाज में एक अहम बदलाव ला सकता है।

'थाली-कटोरी टेस्ट' : इस दंपत्ति की इस छोटी सी कोशिश ने दिया 102 बधिर बच्चों को नया जीवन!

By निशा डागर

Maharashtra के सोलापुर जिले में शेतफल गाँव के निवासी योगेश कुमार भांगे प्राइमरी सरकारी स्कूल में टीचर हैं और साथ ही, 'वॉइस ऑफ़ वॉइसलेस' संगठन के संस्थापक भी। इस संगठन के ज़रिए उनका उद्देश्य ऐसे बच्चों के उत्थान के लिए काम करना है जो कि सुन नहीं सकते।