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निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

अरुणाचल के दुर्गम इलाकों तक पैदल यात्रा कर, बच्चों के लिए वैक्सीन पहुंचा रहा है यह युवक!

By निशा डागर

श्री फुरपा अब तक 75 परिवारों तक पहुँचकर, लगभग 35 बच्चों को वैक्सीनेशन दे चुके हैं।

मोगैम्बो खुश हुआ : हिंदी फिल्मों के खलनायकों का महानायक!

By निशा डागर

22 जून 1932 को लाहौर (अब पाकिस्तान में है) में जन्मे अमरीश पुरी हिंदी सिनेमा जगत के महान अभिनेताओं में से एक हैं। उन्होंने लगभग 400 फिल्मों में काम किया था।

पुरानी किताबों के बदले हेल्मेट; दोस्त की मौत ने बनाया इस इंजीनियर को 'हेल्मेट मैन'!

By निशा डागर

बिहार के कैमूर जिला के रहने वाले राघवेंद्र कुमार ने सड़क दुर्घटना में अपने एक दोस्त को खो दिया और तभी से उन्होंने 'हेल्मेट' बाँटने की मुहिम शुरू की।

बिलासपुर के कलेक्टर का नेक कदम, जेल में कैदी की 6 वर्षीय बेटी का कराया शहर के बड़े स्कूल में दाख़िला!

By निशा डागर

महज छह साल की ख़ुशी जेल की सलाखों के पीछे रहने के लिए इसलिए मजबूर है क्यूँकि उसके पिता यहाँ पर सजा काट रहे हैं।

मेरठ: पॉकेट मनी बचाकर अब तक 500 पेड़ लगा चुके हैं ये बच्चे!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश में मेरठ के रहने वाले 18 वर्षीय छात्र सावन कनौजिया ने पर्यावरण-संरक्षण की पहल शुरू की है। उन्होंने 'एनवायर्नमेंटल क्लब' की स्थापना की।

'वन मैन आर्मी' : 1 गुलमोहर से 511 पेड़ लगाने तक, बिना किसी मदद के जारी है पर्यावरण संरक्षण की मुहिम!

By निशा डागर

हर रविवार सुबह 6:30 बजे से लेकर 9: 30 बजे तक वे अपना पूरा समय पेड़-पौधों को देते हैं।

इनके कार्ड की मांग है विदेशों में भी, एक इनोवेटिव आइडिया ने किया कमाल, कार्ड बना रूमाल!

By निशा डागर

पिछले 25 वर्षों से वे पुणे में 'उगम कॉपियर्स' के नाम से फोटोकॉपी और प्रिंटिंग का व्यवसाय चला रहे हैं।

इस महिला ने नक्सलबाड़ी में बनाया दुनिया का दूसरा ‘एलीफैंट फ्रेंडली’ ऑर्गेनिक टी एस्टेट!

By निशा डागर

आज नक्सलबाड़ी चाय बागान की जैविक चाय दूसरे देशों में एक्सपोर्ट होती है। लगभग 4, 000 लोगों को इससे रोज़गार मिल रहा है।

हर साल पहाड़ों पर जाकर हज़ारों लोगों का मुफ्त इलाज करता है यह डॉक्टर!

By निशा डागर

लगभग 35 लोगों की टीम हर साल जुलाई और दिसंबर के महीने में उत्तराखंड में जाकर मेडिकल कैंप लगाती है।