Powered by

Latest Stories

HomeAuthorsनिशा डागर
author image

निशा डागर

बातें करने और लिखने की शौक़ीन निशा डागर हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. निशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन और हैदराबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स की है. लेखन के अलावा निशा को 'डेवलपमेंट कम्युनिकेशन' और रिसर्च के क्षेत्र में दिलचस्पी है.

स्वास्थ्य मंत्रालय: 'नो बिस्कुट, नो कूकीज' होंगी अब मीटिंग्स; यहाँ खरीदें हेल्दी विकल्प!

By निशा डागर

नेता और अधिकारी अगर एक स्वस्थ और सेहतमंद लाइफस्टाइल अपनायेंगें तो यक़ीनन यह आम नागरिकों के लिए भी एक मिसाल बनेगा।

न बिजली, न पानी, न सड़कें- और फिर एक मेडिकल छात्र के संघर्ष ने बदल दी गाँव की किस्मत!

By निशा डागर

उन्होंने गाँव के विकास को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखे। पर कोई कार्यवाही न होने पर, उन्होंने हाई कोर्ट में गाँव के हालातों को सुधरवाने के लिए याचिका डाली।

जिनकी याद में मनाया जाता है 'डॉक्टर्स डे' उनसे इलाज करवाने से गाँधीजी ने क्यूँ किया इंकार!

By निशा डागर

स्वतंत्रता के बाद भी डॉ. रॉय चिकित्सा के क्षेत्र से ही जुड़े रहना चाहते थे। पर गाँधी जी और नेहरु जी के कहने पर उन्होंने बंगाल में मुख्यमंत्री पद का कार्यभार सँभालने का फ़ैसला किया। 

'द ग्रेट ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया' : ब्रिटिश संसद में चुनाव जीतकर लड़ी थी भारत के हित की लड़ाई!

By निशा डागर

साल 1967 में उनकी 'इकनोमिक ड्रेन थ्योरी' पब्लिश हुई, जिसके अनुसार भारत के आर्थिक राजस्व (रेवेन्यु) का एक चौथाई ब्रिटिश लोगों के पास जाता है!

होटल में हुआ घाटा तो शुरू किया ठेला; अब केवल रु. 25 में रोज़ 500 लोगों को खिलाती हैं भरपेट खाना

By निशा डागर

दिन में 15 घंटे से भी ज़्यादा काम करने वाली श्वेता न सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है जो हालातों से घबराकर सच्चाई से भागने की कोशिश करता है।

फील्ड मार्शल मानेकशॉ: इस कड़क मिज़ाज आर्मी जनरल का एक अनसुना दिल छूने वाला किस्सा!

By निशा डागर

मानेकशॉ के ऐसे कई किस्से मशहूर हैं, जिनसे हमें पता चलता है कि अपने सैनिकों और अपने सेना के लिए काम करने वाले लोगों का वे बहुत सम्मान करते थे।

बैंक पीओ टिप्स: 5 साल की बेटी और घर को संभालते हुए इस गृहिणी ने आख़िरी अटेम्पट में कैसे पाई सफलता!

By निशा डागर

जब मेरिना का लिस्ट में नाम आया तो उनका यह सफ़र देश की बहुत-सी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गया। ख़ासकर उन महिलाओं के लिए, जो अक्सर शादी और बच्चों के बाद अपने सपनों को दर-किनार कर देती हैं।

वी. आर लक्ष्मीनारायण : वह आईपीएस अफ़सर, जिसने अपने कर्तव्य को हमेशा सर्वोपरि रखा!

By निशा डागर

क्रिमिनल लॉ में स्पेशलाइजेशन करने वाले वीआरएल साल 1951 में भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती हुए थे।