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निधि निहार दत्ता

निधि निहार दत्ता राँची के एक कोचिंग सेंटर, 'स्टडी लाइन' की संचालिका रह चुकी है. हिन्दी साहित्य मे उनकी ख़ास रूचि रही है. एक बेहतरीन लेखिका होने के साथ साथ वे एक कुशल गृहिणी भी है तथा पाक कला मे भी परिपक्व है.

इस चायवाले ने जंगल के बीचो-बीच खोली लाइब्रेरी, पैदल पहुंचकर पढ़ने लगे लोग!

Kerala के इदुक्की ज़िले के जंगलों के बीच बसे कस्बे एडमलक्कुडी में रहने वाले आदिवासी मुथुवान जाति के लोगों के लिए अपने आस-पास पुस्तकालय का होना एक सपने जैसा था। पर साल 2010 में एक शिक्षक और एक चायवाले के प्रयासों से यहाँ पहली लाइब्रेरी स्थापित हुई।

जब क्लास छोड़कर पहाड़ की चढ़ाई करने निकल गई बछेंद्री, बर्फ खाकर बुझाई थी प्यास!

23 मई, 1984 को माउंट एवेरेस्ट फ़तेह करने वाली बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला हैं। कई तरह की आर्थिक परेशानियों से गुज़र कर भी बछेंद्री पाल ने संस्कृत में एम. ए. और बी.एड. किया। उन्होंने पर्वतारोहण जैसे असाधारण करियर को अपनाया। तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि एक छोटे-से गाँव की यह लड़की एक इतिहास रचने वाली है।

कैंसर से मरते एक बच्चे को देख इस डेंटिस्ट ने शुरू की जंग, 30, 000+ तंबाकू एडिक्ट्स को सुधारा!

डॉ. सुमेधा कुशवाहा जो पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं, नशे की लत में पड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं और उन्हें इससे छुटकारा दिलाने में मदद कर रही हैं। इसके साथ ही वे नशे के दुष्प्रभाव से लोगों को अवगत करा कर उन्हें जागरूक भी कर रही हैं।

1 करोड़ पेड़, 2500 चेक डैम: कैसे इस 86 वर्षीय व्यक्ति के दृढ़-निश्चय ने बदला गुजरात के 3 जिलों को!

Gujarat से ताल्लुक रखने वाले 86 वर्षीय प्रेमजी पटल ने अपने नेक इरादों से यहाँ के तीन जिलों, राजकोट, गोंडल और मांगरोल की तस्वीर बदल दी है। उन्होंने अब तक 1 करोड़ पेड़ लगाये हैं और लगभग 2500 चेक डैम बनाये हैं।

पुराने अख़बारों के इस्तेमाल से कैसे सजाए घर, सीखिए नासिक की इस गृहणी से!

Maharashtra में नासिक की एक गृहणी, मीना पाटनकर अख़बारों को रीसायकल करके क्रियात्मक और सुंदर हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स बना रही हैं। उनकी बनाई पेपर की गुड़िया शहरभर में मशहूर है और लोग उन्हें इसके लिए ख़ासतौर पर ऑर्डर देने आते हैं।

सीधे किसान से संपर्क, केले के पत्तों की पैकेजिंग जैसे इस युवक के छोटे कदम ला रहे हैं बड़े बदलाव!

Chennai में स्थित SunnyBee सुपरमार्किट व्यवसाय के साथ-साथ पर्यावरण बचाने का संदेश भी दे रहा है। तीन साल पुराने इस स्टार्टअप के आज पूरी चेन्नई में 12 आउटलेट हैं, जिसमे घरेलू ज़रूरत के सामान जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स, जैविक उत्पाद/ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स, डेरी उत्पाद आदि मिलते हैं!

घर बैठे व्हाट्सएप पर साड़ियाँ बेचकर हर महीने 1.5 लाख रूपये कमा रही हैं चेन्नई की शंमुगा!

Chennai की शमुंगा प्रिया ‘यूनीक थ्रेड्स’ के नाम से साड़ियों का बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें वे व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से विक्रेता और ग्राहकों से संपर्क बना कर रखती हैं। इनका नेटवर्क करीब 16 ग्रुप द्वारा फैला हुआ है।

25 साल पहले झोपड़ी में शुरू हुआ था अस्पताल, अब हर साल हो रहा है 1 लाख आदिवासियों का इलाज!

डॉ. रेगी एम. जॉर्ज और डॉ. ललिता पिछले 25 सालों से Tamilnadu के सित्तिलिंगी गाँव में आदिवासियों को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान कर रहे हैं। एक झोपड़ी से शुरू हुए अस्पताल को उन्होंने आज 35 बैड वाले आधुनिक अस्पताल में तब्दील कर दिया है।

झारखंड: चपरासी का काम करते हुए भी बेटों को बनाया आईएएस, डॉक्टर और इंजिनियर!

झारखंड में रजरप्पा के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड टाउनशिप में चपरासी के पद पर काम करने वाली 60 वर्षीय सुमित्रा देवी के विदाई समारोह में उनके सहकर्मियों और टाउनशिप के निवासियों के साथ-साथ उनके तीनों बेटे भी मौजूद थे। उनके बेटे आज जिला कलेक्टर, डॉक्टर और रेलवे इंजिनियर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।

1971 : जब भुज की 300 महिलाओं ने अपनी जान ख़तरे में डाल, की थी वायुसेना की मदद!

8 दिसम्बर 1971 की रात को भारत- पाक युद्ध के दौरान, भुज में IAF के एयरस्ट्रिप पर, सबरे जेट विमान के एक दस्ते ने 14 से अधिक नापलम बम गिराए। जिसकी वजह से यह एयरस्ट्रिप खराब हो गयी। ऐसे में, इस एयरस्ट्रिप की भुज के माधापुर गाँव की 300 महिलायों ने मरम्मत कर वायुसेना की मदद की।