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निधि निहार दत्ता

निधि निहार दत्ता राँची के एक कोचिंग सेंटर, 'स्टडी लाइन' की संचालिका रह चुकी है. हिन्दी साहित्य मे उनकी ख़ास रूचि रही है. एक बेहतरीन लेखिका होने के साथ साथ वे एक कुशल गृहिणी भी है तथा पाक कला मे भी परिपक्व है.

24 साल पहले हुई कन्या भ्रूण हत्या ने बदली ज़िंदगी; अब तक 415 बच्चियों का जीवन संवार चुकी हैं यह डॉक्टर!

Punjab की 52 वर्षीय डॉ. हरशिंदर कौर पिछले 24 सालों से Punjab-Haryana में 'कन्या भ्रूण हत्या' जैसी कुरूति के खिलाफ़ लड़ रही हैं। उनके प्रयासों को न केवल भारत से बल्कि कनाडा, युएसए, मलेशिया, जैसे देशों में भी समर्थन मिला है। डॉ. कौर की वजह से ही दोनों राज्यों के ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आई है।

आईपीएस अर्चना रामासुंदरम: पैरामिलिट्री फ़ोर्स की पहली महिला चीफ़ बनकर रचा था इतिहास!

आईपीएस अफ़सर अर्चना रामासुंदरम, भारत के सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक बनने वाली पहली महिला अफ़सर थीं। हैदराबाद पुलिस अकादमी ज्वाइन करने पर, अपनी क्लास में वे इकलौती लड़की थीं और इसके सालों बाद, वे महिला अफ़सरों के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरणा बनीं।

इंजीनियरिंग छात्रों ने पास बह रहे गटर से बनायी गैस, चाय वाले की आमदनी की चौगुनी!

जून 2014 में इन दोनों ने पहली बार शिव प्रसाद की 'रामू टी-स्टॉल पर अपने इस आविष्कार का प्रदर्शन किया। स्थानीय मीडिया ने इसे ‘गटर गैस’ का नाम देकर इस प्रणाली की काफ़ी प्रशंसा की। इसने एलपीजी पर निर्भरता हटाकर रामू के चाय के ठेले की आय पहले की आय से चार गुना अधिक बढ़ा दी।

पुष्पक विमान की वह आख़िरी उड़ान, जिसमें बाल-बाल बचे थे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई!

4 नवंबर 1977 को असम के जोरहाट में पुष्पक विमान दुर्घटना में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई बाल-बाल बचे थे। आज जहाँ सभी को देसाई का बचना याद है, वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि इस दुर्घटना में भारतीय वायु सेना के पांच अफ़सरों ने अपनी जान गंवाई थी। साथ ही, और भी कई वाकया इस घटना को ख़ास बनाते हैं।

'एक एकड़ में 12 हज़ार पेड़' : मुंबई शहर के बीचो-बीच हो रहा है यह कमाल!

महाराष्ट्र के मुंबई में, 'ग्रीन यात्रा' नामक एनजीओ पूरे शहर भर में एक ख़ास जापानी 'मियावाकी तकनीक' से कम समय में घने जंगल उगा रहा है। इनका मिशन, साल 2025 तक 10 करोड़ पेड़ लगाना है और फ़िलहाल, साल 2019 में उन्होंने 10 लाख पेड़ लगाने की पहल शुरू की है |

झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

'कर्नल' निज़ामुद्दीन: वह वीर, जिसने खुद गोली खाकर बचायी थी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जान!

एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक, 'कर्नल' निज़ामुद्दीन का जन्म उत्तर- प्रदेश में हुआ था। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ड्राईवर और बॉडीगार्ड थे। उन्होंने नेताजी की जान बचाने के लिए खुद बंदूक की तीन गोलियाँ खायी थीं। 6 फरवरी 2017 को अपने गाँव में उन्होंने आख़िरी सांस ली।

रानी रामपाल: गरीबी, विरोध और समाज के तानों से लड़कर, बनी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान!

हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली रानी रामपाल, भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं। उनकी कप्तानी में महिला हॉकी टीम को आज वैश्विक स्तर पर जाना जा रहा है। हालांकि, रानी का यहाँ तक का सफ़र बहुत संघर्ष भरा रहा है। पर आज वे खुद सफल होने के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों को मौके दे रही हैं।

18 साल की उम्र में किया 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट का नेतृत्व; कमांडर जानकी की अनसुनी कहानी!

18 साल की उम्र में जानकी ने बर्मा में कप्तान लक्ष्मी सहगल के बाद ‘झाँसी की रानी’ रेजिमेंट की कमान संभाली। 'झाँसी की रानी' रेजिमेंट, सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज का अभिन्न अंग थी। इस रेजिमेंट में सिर्फ़ महिलाओं को शामिल किया गया था।

मुंबई: 22 साल की युवती ने स्टेशन को बनाया स्कूल, गरीब बच्चों को दे रही हैं मुफ़्त शिक्षा!

मुंबई में रहने वाली 22 वर्षीय हेमंती सेन को आप हर दिन कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर 15 से भी ज़्यादा बच्चों को गिनती, वर्णमाला, शब्द, चित्रकारी आदि सिखाते हुए देख सकते हैं – वो भी बिना किसी फीस के! ये सभी बच्चे स्टेशन के आस-पास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले भिखारियों के बच्चे हैं।