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मोईनुद्दीन चिश्ती

देशभर के 250 से ज्यादा प्रकाशनों में 6500 से ज्यादा लेख लिख चुके चिश्ती 22 सालों से पत्रकारिता में हैं। 2012 से वे कृषि, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर कलम चला रहे हैं। अब तक उनकी 10 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। पर्यावरण संरक्षण पर लिखी उनकी एक पुस्तक का लोकार्पण संसद भवन में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के हाथों हो चुका है।

एक युवा जिसकी पहल से मुस्कुराईं चंबा की 1300 जनजातीय महिलाएँ!

पांगी हिल्स एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ट्राइबल कला को हिमालय की गोद से सीधे आपके घर भेजने का काम करती है।

21 सालों से मिर्गी के रोगियों का मुफ्त इलाज करता है यह डॉक्टर!

डॉक्टरों की लापरवाही से बीमार पड़ी माँ की अंतिम इच्छा थी कि बेटा ऐसा डॉक्टर बने जो गरीब की गरीबी को समझे और पैसे के लिए पेशे का गलत इस्तेमाल न करे।

"दीमक अच्छे हैं!" महिला किसान की इस शोध ने दिलवाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

भगवती देवी के इस सस्ते और किफायती प्रयोग से किसान की मेहनत और माटी दोनों रहेंगे सुरक्षित!

राजस्थान: किसान की अनोखी तकनीक, सिर्फ एक लीटर पानी से मिलेगी पौधे को ताउम्र ज़िंदगी!

यह विधि कम वर्षा वाले क्षेत्रों विशेषकर राजस्थान व अन्य सीमावर्ती राज्यों में पेड़ लगाने के लिए वरदान साबित हो सकती है।

राजस्थान का 'सौंफ किंग' : इन छोटे-छोटे प्रयोगों से बढ़ाई उपज, आज सालाना टर्नओवर है 30 लाख रूपये!

इस किसान ने अपनी बुद्धिमत्ता से साल-दर-साल सौंफ के अच्छे बीज का चयन करते हुए आबू क्षेत्र की सौंफ में एक नई किस्म जोड़ दी, जिसे आज ‘आबू सौंफ 440’ नाम की एक श्रेष्ठ किस्म के रूप में जाना जाता है।

33 दोस्तों ने मिलकर बदल दी बिहार की तस्वीर; 1253 स्कूलों में लगवा दिए 4,70,000 फलदार पौधे!

पौधा वितरण के दौरान यह टीम बच्चों से करीब आधा घंटे का इंटरेक्शन करती है, जिसका परिणाम है कि अब तक वितरित किए गए पौधों की सर्वाइवल रेट 90% से ज़्यादा है।

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मोहम्मद तैय्यब खां के काम की विशेषता यह है कि जो काम विदेश में मशीन से हो रहे हैं वह काम वे हाथ से पारम्परिक तरीके से करते हैं।

अपने ही खेत में उगे जैविक उपज का वैल्यू एडिशन कर बना दिया अपना ब्रांड; आज लाखों में है कमाई!

8वीं तक पढ़े राजपाल सिंह 60 साल की उम्र में भी लगातार नया सीखने में जुटे हैं।

बेटी के आख़िरी चार सपने पूरे करने निकला था यह पिता; हज़ारों बच्चों की दुआएं लिए चला है आज भी!

"14 मार्च, 2015 की सुबह 8:00 बजे करनाल के ट्रॉमा सेंटर से एक पुलिसवाले का फोन आया। पूछा गया कि क्या आप नेहा के पापा बोल रहे हैं? इस पर मैंने कहा 'हाँ', तो वह बोले आपकी बच्ची बुरी तरह घायल है, आप जितना जल्दी हो सके करनाल आ जाइये। यह सुनते ही मैं हक्का-बक्का रह गया।"