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अनूप कुमार सिंह

अनूप कुमार सिंह पिछले 6 वर्षों से लेखन और अनुवाद के क्षेत्र से जुड़े हैं. स्वास्थ्य एवं लाइफस्टाइल से जुड़े मुद्दों पर ये नियमित रूप से लिखते रहें हैं. अनूप ने कानपुर विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य विषय में स्नातक किया है. लेखन के अलावा घूमने फिरने एवं टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई जानकारियां हासिल करने में इन्हें दिलचस्पी है. आप इनसे [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं.

अहमदाबाद की कंपनी ने बनाया सूखे और गीले कचरे को अलग करने वाला रोबोटिक मशीन!

रीसाइक्लिंग की समस्याओं को कम करने और कूड़ा बीनने वालों की सेहत के जोखिम को कम करने के लिए अहमदाबाद स्थित स्टार्टअप ने एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की है।

जानिए घर पर बारिश के पानी को बचाने के ये 7 कमाल के आइडियाज!

अलग-अलग घरों के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के अलग-अलग मॉडल उपलब्ध हैं जिन्हें घर की ज़रूरतों के हिसाब से अपनाया जा सकता है।

देश भर में घूम-घूमकर, मिट्टी की बोरियों से बनाते हैं घर, गर्मियों में भी रहता है ठंडा!

लगभग सभी आर्किटेक्ट फर्मों के विपरीत, ‘अर्थ बिल्डिंग’ का कहीं भी कोई मुख्यालय या हेड ऑफिस नहीं है। इसके लिए कोई ख़ास शहर निर्धारित नहीं किया गया है बाकि जहां भी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा होता है, वे वहां चले जाते हैं।

कभी 16 हज़ार की नौकरी के लिए घूस देने से मना कर दिया था, आज खेती से कमा रहे लाखों!

सतीश पूरे साल में लगभग 50 टन करेले का सफल उत्पादन करते हैं, उन्हें करेला विशेषज्ञ भी कहा जाता है।

कभी ऑफिस बॉय की नौकरी करते थे, आज खेती के ज़रिए हुआ 400 करोड़ रूपए का टर्नओवर!

ज्ञानेश्वर TEDx स्पीकर के तौर पर आमंत्रित होने वाले पहले भारतीय किसानों में से एक हैं।

इंजीनियर ने शुरू की मोती की खेती, अब सालाना कमा रहे हैं 4 लाख रूपए!

मोती की खेती के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर लगाने में लगभग 40,000 रुपये का खर्च आता है और खेती में 8 से दस महीनों का समय लगता है।

40% कम खर्चे में बने कर्नाटक के इस इको-फ्रेंडली घर में नहीं पड़ती है एसी की जरूरत!

घर को पूरी तरह हवादार बनाने के लिए वह खिड़कियों और सुराखों का इस्तेमाल करके फनल इफेक्ट का निर्माण करते हैं। आइए जानते हैं कैसे। #SustainableHomes

पारले-जी: कैसे एक स्वदेशी आंदोलन से भारत को मिला इसका सबसे पॉपुलर बिस्किट!

चाय के साथ अगर बिस्किट खाने की बात की जाए तो सबसे पहला नाम पारले जी बिस्किट का ही आता है, एक ऐसा बिस्किट जिसे ज्यादातर भारतीय खाकर बड़े हुए हैं। आइए जानते हैं भारत के सबसे पॉपुलर और पुराने बिस्किट की दिचलस्प कहानी। 

नौकरी छोड़, दिव्यांग किसान ने शुरू की मशरूम की खेती, मुनाफे के साथ मिले कई अवॉर्ड!

दो साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित हो चुके मांड्या निवासी जे. रामकृष्ण ने 300 किसानों को कम लागत वाले व्यवसाय शुरू करने में मदद की है।

मुंबई वालों के पसंदीदा फूलों की खेती कर बन गए लखपति, अब दूसरे किसानों को दे रहे प्रेरणा!

“जब मैंने मोगरा विक्रताओं को सोनचाफा के बारे में बताया, तो इससे पहले न तो उन्होंने इसके बारे में सुना था और न ही ऐसा कोई फूल देखा था। इसलिए मैं मुफ़्त में ही कई हफ़्तों तक उन्हें यह फूल देता रहा।" - रॉबर्ट डीब्रिटो