Powered by

Home गार्डनगिरी छत पर स्ट्राबेरी से लेकर चीकू तक उगा रहा भोपाल का यह शख्स, जानिए कैसे!

छत पर स्ट्राबेरी से लेकर चीकू तक उगा रहा भोपाल का यह शख्स, जानिए कैसे!

मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले शिरीष शर्मा 15 वर्षों से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रहे हैं और उनके छत पर पास 150 से अधिक पौधे हैं।

New Update
Terrace Gardening in Bhopal

मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले शिरीष शर्मा स्थानीय एनआईसीटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। लेकिन, उनके दिन की शुरूआत अपने बगीचे से ही होती है। शिरीष 15 वर्षों से अधिक समय से टैरेस गार्डनिंग कर रहे हैं और उनके छत पर  पास 150 से अधिक पौधे हैं।

शिरीष ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरे पिता जी को बागवानी का काफी शौक था और मैंने भी बागवानी उन्हीं को देख कर सीखा। शुरूआत में मेरे पास फूल के 5-6 पौधे थे। इन पौधों को मैंने अपने घर के आस-पास से ला कर लगाया था।”

Terrace Gardening in Bhopal
चीकू के पेड़ की कटिंग करते शिरीष

वह बताते हैं, “धीरे-धीरे बागवानी के प्रति मेरा जुनून बढ़ने लगा। इसी का नतीजा है कि आज मेरे पास फलों में अनार, चीकू, अमरूद, बैर, स्ट्रॉबेरी, तो फूलों में गुलाब, गेंदा, मोगरा जैसे 150 से अधिक पौधे हैं। इसके अलावा, मैं अपने छत पर मौसमी सब्जियों को भी उगाता हूँ।”

सीमेंट बैग से लेकर पुराने डिब्बे तक में पौधे

शिरीष बताते हैं, “मैं बागवानी में अपनी लागतों को कम करने के लिए DIY तकनीक के तहत, सीमेंट बैग से लेकर बेकार डिब्बों तक में बागवानी करता हूँ। इसके अलावा, मैंने नारियल के छिलके में भी कुछ सब्जियों को लगाया है।”

Terrace Gardening in Bhopal
शिरीष के बगीचे में लगे पौधे

मिट्टी कैसे करते हैं तैयार

शिरीष के अनुसार, बागवानी के लिए सही तरीके से मिट्टी तैयार करना सबसे महत्वपूर्ण है।

वह बताते हैं, “हर पौधे के लिए मिट्टी की जरूरतें अलग-अलग होती है। मैं अपनी बागवानी के लिए बगीचे की मिट्टी का इस्तेमाल करता हूँ, जिसे मैं अपने पास के खेत से लाता हूँ। गमले में मिट्टी को तैयार करने के लिए मैं 50% मिट्टी के साथ 30% गोबर के खाद, 10% बालू और 10% कोकोपीट और नीम की खली का इस्तेमाल करता हूँ। इससे मेरे पौधे काफी तेजी से बढ़ते हैं।”

Terrace Gardening in Bhopal
शिरीष के बगीचे में लगा बोनसाई का पौधा

घर पर ही तैयार करते हैं बोनसाई पौधे 

शिरीष बताते हैं, “बागवानी के दौरान बोनसाई पौधों को तैयार करना एक अलग ही एहसास होता है। यह काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसका स्कोप काफी है। मेरे पास बरगद, नीम, ब्राजीलियन रेन फॉरेस्टर जैसे कई पौधे हैं।”

शिरीष के अनुसार बोनसाई पौधों की देखभाल करना सामान्य पौधों से काफी अलग है।

वह कहते हैं, “पौधों के जड़ों की कटिंग करने के बाद, इसकी शाखाओं की कॉपर तार से वायरिंग की जाती है, ताकि यह निश्चित आकार में रहे। पेड़ों को इस अवस्था में दो महीने तक रखा जाता है। फिर, इसके अतिरिक्त शाखाओं की कटिंग की जाती है। इस तरह, पौधों को निश्चित आकार में रखने के लिए इसके जड़ों की कटिंग हर साल की जाती है।”

Terrace Gardening in Bhopal

शिरीष बताते हैं कि बोनसाई पौधों के लिए मिट्टी को 40% ईंट के टुकड़ों, 40% वर्मी कम्पोस्ट और 20% बालू के साथ तैयार किया जाता है। इसमें वह 2-3 चम्मच नीम की खली का भी इस्तेमाल करते हैं। इससे उन्हें बोनसाई के देखभाल में मदद मिलती है।

यूट्यूब पर है लाखों सब्सक्राइबर

शिरीष बताते हैं कि उन्होंने नवंबर, 2019 में अपना एक यूट्यूब चैनल भी लॉन्च किया था। इसके तहत वह लोगों को टैरेस गार्डनिंग के संबंध में जरूरी जानकारी देते हैं। आज उनके 2.2 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं।

बागवानी को लेकर क्या है विचार

publive-image
शिरीष के बगीचे में लगा बेर

शिरीष कहते हैं, “मेरे दिन की शुरूआत बागवानी से ही होती है। मैं हर दिन 3-4 घंटे अपने बगीचे में गुजारता हूँ। इससे मुझे मानसिक शांति मिलती है। इसके साथ ही, मेरे परिवार को रसायन मुक्त फल और सब्जी भी मिलती है।”

क्या है भविष्य की योजना

अपने बागवानी कार्यों से उत्साहित शिरीष जल्द ही, भोपाल में एक जमीन लेकर उसपर बोनसाई फार्म विकसित करने की योजना बना रहे हैं। वह बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बोनसाई पौधों के बिजनेस को लेकर काफी संभावनाएं हैं और वह इस मौके को भुनाना चाहते हैं।

क्या देते हैं सुझाव

शिरीष बताते हैं कि बागवानी शुरू करने के लिए मार्च से मई तक का महीना सबसे अच्छा है और इस मौसम में पौधों को आसानी से बढ़ने में काफी मदद मिलती है। लेकिन, यदि कोई सर्दी के मौसम में बागवानी शुरू करना चाहता है, तो उसे इसकी शुरूआत फूलों से करनी चाहिए। 

publive-image
शिरीष के बगीचे में उगा सीताफल

इसके अलावा, उनके बागवानी के लिए अन्य जरूरी टिप्स नीचे हैं-

  • पौधों को 3-4 घंटे धूप अनिवार्य रूप से लगने दें।
  • अतिरिक्त सिंचाई से बचें, इससे पौधों को नुकसान होता है। मिट्टी में सिर्फ नमी बना कर रखें।
  • कीटनाशक के तौर पर नीम ऑयल स्प्रे करें।
  • अपने जगह से हिसाब से नियमित रूप से कटिंग करें।
  • गमले की मिट्टी को हर साल बदलें, इससे पौधों को बढ़ने में लाभ मिलता है।

शिरीष के यूट्यूब चैनल पर जाने के लिए style="font-weight: 400;">यहाँ क्लिक करें।

यह भी पढ़ें - बेंगलुरु: रिटायरमेंट के बाद शुरू की बागवानी, अब छत पर हैं 200 से अधिक पेड़-पौधे

संपादन: जी. एन. झा

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें [email protected] पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।