अपने ऑर्गेनिक टेरेस गार्डन को बिज़नेस में बदलना कोई केरल की रेमा देवी से सीखे, जो अपने घर के पौधों, बीजों और खाद की जानकारी से हर महीने 60 हज़ार रुपये तक कमा लेती हैं।
तमिलनाडु के रहने वाले थायुमानवन कुनापालन शहरी गार्डनर्स के लिए किसी उदाहरण से कम नहीं हैं। वह अपने घर की छत पर लगभग हर तरह की सब्जियां उगा रहे हैं, लेकिन ख़ासियत यह है कि ये सब्जियां वह 200 ग्रो बैग्स और 25 पुराने रेफ्रिजरेटर्स में उगाते हैं।
मुज़फ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) के प्रशांत शर्मा को अपनी दादी और पापा से गार्डनिंग का शौक़ मिला था। आज उनके घर में विदेशी किस्मों के कई फूल खिलते हैं, रेल लिली का उनके पास जो कलेक्शन है, वह तो शायद ही किसी के पास होगा।
सात साल पहले एक दो फूल के पौधे लगाने के बाद खंडवा, मध्यप्रदेश के मुकेश काले को प्रकृति से ऐसा प्यार हुआ कि उन्होंने अपने घर की छत पर ही सुन्दर गार्डन बना लिया, जहां वह सुकून से समय बिताते हैं।
कोझीकोड के ई. बालकृष्णन की छत पर 500 से अधिक किस्मों के कैक्टस के पौधे हैं, जिसे उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ जापान, चीन, इंडोनेशिया, ब्राजील से इकट्ठा किया है।
सोख समुंदर यानी जलकुंभी (Jalkumbhi को एक बेकार जलीय पौधा माना जाता है। लेकिन इसके औषधीय गुण डायबिटीज से लेकर कैंसर तक में कारगर है। जानिए इसे गमले में उगाने का तरीका।
सूरत की प्रोफेसर डॉ. रेखा मिस्त्री के घर में सालों पहले बस कुछ फूल के ही पौधे थे। लेकिन साल 2016 में उन्होंने टेरेस गार्डनिंग (Terrace Gardening) की शुरुआत की और आज वह अपनी 410 स्क्वायर फ़ीट की छत में 13 औषधीय पौधे, 10 सजावटी पौधे, 10 फलदार पौधे और 12 तरह की सब्जियां उगा रहीं हैं।