गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की रहने वाली शालिनी गर्ग, नौकरी के साथ-साथ, पिछले दस सालों से गार्डनिंग भी कर रही हैं। आज उनके टेरेस गार्डन में 300 से ज्यादा पेड़-पौधे हैं।
हैदराबाद की रहने वाली एक गृहिणी, दर्शा साई लीला अपनी छत पर 600 से अधिक पौधों की बागवानी करती हैं, जिसमें आम, नारंगी, लीची, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, से लेकर एवोकाडो तक शामिल हैं।
कमल की खेती किसी स्थायी जल निकाय में की जाती है, लेकिन आज उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अपने छत पर 100 से अधिक पौधों की बागवानी करने वाली संगीता श्रीवास्तव गमले में कमल उगाने का तरीका साझा कर रही हैं।
"पिछले तीन सालों से हमें सिर्फ़ लहसुन, अदरक और प्याज-टमाटर जैसी सब्जियां खरीदने के लिए ही सुपरमार्केट जाने की जरूरत पड़ती है। लॉकडाउन के दौरान हमारे टैरेस गार्डन ने हमें काफी सब्जियां दीं" -वसुंधरा नरसिम्हा
नीला के टैरेस गार्डन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ पौधे उगाने के लिए वह मिट्टी की बजाय घर पर तैयार की गई कंपोस्ट का इस्तेमाल करती हैं। यह कंपोस्ट सूखे पत्ते, रसोई का कचरा और गोबर के मिश्रण से बनाया जाता है।
“एक समय मेरे घर के आगे एक तालाब हुआ करता था, जिसमें लोग कूड़ा-कचड़ा फेंक देते थे। इसके बाद मेरे पिता जी ने उसमें मिट्टी भर कुछ फलदार पेड़ लगाए, धीरे-धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया। आज हम आम, अमरूद, अनार जैसे फलदार पेड़ों से लेकर गिलोय, कालाबांसा, थोर जैसे कई औषधीय पौधों की भी खेती करते हैं। -अप्रती सोलंकी
डॉ. शिवानी कालरा आज अपने घर की छत पर थैलियों में तरबूज़ और अन्य सब्जियाँ उगा रही हैं, लेकिन कालरा कहती हैं कि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। पहले उन्होंने टमाटर उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहीं। बाद में आलू बोए लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगी।