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प्रेरक महिलाएं

800+ गरीब और ज़रूरतमंद महिलाओं को सिक्योरिटी गार्ड बनने की ट्रेनिंग दे रही है यह उद्यमी!

By निशा डागर

पहले ग्रामीण महिलाओं के सवाल होते थे, 'कोई और काम नहीं है क्या? यह तो मर्दों का काम है? पैंट-शर्ट कैसे पहनेंगे, आप साड़ी दे दो?' लेकिन आज यही महिलाएं अपनी यूनिफॉर्म पहनने में गर्व महसूस करतीं हैं!

अलग-अलग अनाजों से बनाए बेबी फ़ूड प्रोडक्ट्स, महीने में आते हैं 30,000 ऑर्डर्स!

By निशा डागर

अपने बच्चे के साथ दूसरों के बच्चों को भी हेल्दी खाना खिलाने की चाह में शालिनी ने सुपरफ़ूड बिजनेस का स्टार्टअप शुरू किया।

18 महिलाओं से शुरू हुई संस्था आज दे रही है 50 हजार महिलाओं को रोजगार और प्रशिक्षण!

महिलाओं द्वारा बनाया गया सामान 'सम्भली' के जोधपुर स्थित शोरूम में विदेशी पर्यटकों एवं अन्य लोगों को बेचा जाता है और इसके बदले महिलाओं को उचित वेतन दिया जाता है।

पैप स्मीयर: क्यों 21 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को नहीं करना चाहिए इसे अनदेखा?

By पूजा दास

आमतौर पर, सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में किसी तरह के संकेत या लक्षण नज़र नहीं आते हैं। इसलिए, समय-समय पर टेस्ट कराना जरूरी है।

पुरानी-बेकार चीजों से उपयोगी प्रोडक्ट बना रहीं हैं यह सिविल इंजीनियर, 1 करोड़ है सालाना टर्नओवर!

By निशा डागर

पूर्णिमा सिंह ने अपने व्यवसाय की शुरुआत सिर्फ 3 महिला कारीगरों के साथ की थी और उनकी पहली कमाई मात्र 20 हज़ार रुपये थी!

शराब के लिए बदनाम महुआ से बनाये पौष्टिक लड्डू, विदेश पहुंचाकर किया बस्तर का नाम रौशन

कुपोषण से लड़ाई और महिलाओं को रोजगार के लक्ष्य को पूरा करती बस्तर की रज़िया शेख

समुद्री जीवों को खुश रखने के लिए इस युवती ने शुरू किया 'द हैप्पी टर्टल'!

By निशा डागर

हर साल 10 लाख समुद्री जीव प्लास्टिक के कचरे की वजह से मरते हैं और इसे सिर्फ आप रोक सकते हैं, जानिए कैसे!

यह युवती बांस से बना रही है इको-फ्रेंडली ज्वेलरी, तिगुनी हुई आदिवासी परिवारों की आय!

By निशा डागर

साल 2011 की एक रिपोर्ट के अनुसार डांग आर्थिक तौर पर भारत का सबसे पिछड़ा हुआ जिला था, पर सलोनी के यहाँ आने के बाद से बदलाव की शुरुआत हो चुकी है।

8 जिले, 17 हेल्थ सेंटर, 24 लाख मरीज़ों का इलाज, एक महिला बदल रही है तस्वीर!

By निशा डागर

रूरल हेल्थ केयर फाउंडेशन के सेंटर्स पर आने वाले मरीज़ों से कंसल्टेशन फीस मात्र 80 रुपये ली जाती है और उन्हें एक हफ्ते की दवाइयां मुफ्त में दी जाती हैं!

पबजी के जमाने में लोगों को सांप-सीढ़ी और पचीसी की तरफ लौटा रही है यह महिला उद्यमी!

By निशा डागर

"हमारे पूर्वज अपने मनोरंजन के लिए बोर्ड गेम्स खेलते थे और यह सिर्फ खेल नहीं होता था। इनसे उनकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती थी। मैंने सोचा कि क्यों न हमारी आने वाली पीढ़ी को इनसे रू- ब- रू कराया जाए ताकि उनमें बचपन से ही अच्छे गुरों का विकास हो।"