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पैप स्मीयर: क्यों 21 से ज्यादा उम्र की महिलाओं को नहीं करना चाहिए इसे अनदेखा?

आमतौर पर, सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में किसी तरह के संकेत या लक्षण नज़र नहीं आते हैं। इसलिए, समय-समय पर टेस्ट कराना जरूरी है।

गुड़गांव की फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (FMRI) की एसोसिएट कंसल्टेंट, डॉ. विदुषी साहनी कहतीं हैं कि “भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं को होने वाली दूसरी सबसे आम बीमारी सर्वाइकल कैंसर है।”

इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होने वाली हर पांच महिलाओं में से एक भारतीय है। बीमारी और इलाज संबंधी जानकारी के अभाव में यह बीमारी जानलेवा बनती जा रही है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो पूरे विश्व में सर्वाइकल कैंसर के कारण होने वाले मृत्यु में से 25 प्रतिशत मौत भारत में होती है।

इस लेख में, डॉ. विदुषी ने कैंसर के लक्षण और नियमित पैप टेस्ट की आवश्यकता के बारे में बात की है।

क्या है सर्वाइकल कैंसर?

गर्भाश्य के मुख्य द्वार को सर्विक्स कहा जाता है। सर्विक्स में सेल्स की अनियमित वृद्धि को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। डॉ. विदुषी कहतीं हैं, सर्वाइकल कैंसर का एक प्रमुख कारण ‘ह्यूमन पैपिलोमा वायरस’ (एचपीवी) है।

Dr Vidushi Sawhney

संकेत और लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण के संबंध में पूछे जाने पर डॉ. विदुषी कहती हैं, “आमतौर पर, सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में किसी तरह के संकेत या लक्षण नज़र नहीं आते हैं। सर्वाइकल कैंसर के एडवांस स्टेज में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे शारीरिक संबंध के बाद ब्लीडिंग होना, मासिक धर्म बंद होने के बाद भी ब्लीडिंग होना, वजाइना से डिस्चार्ज होना, पेडू में दर्द या शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना।”

पैप स्मीयर क्या है?

यह सर्विक्स कैंसर के लिए एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया है। इसमें गर्भाशय पर कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति की जांच की जाती है। टेस्ट में कोशिका का नमूना लिया जाता है और फिर उसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है।

इस टेस्ट के ज़रिए भविष्य में सर्वाइकल कैंसर होने के जोखिम या सर्विक्स में मौजूद कोशिकाओं में असामान्य बदलाव का पता लगाया जा सकता है।

डॉ. विदुषी कहतीं हैं, “कैंसर की शुरुआती प्रक्रिया में यह टेस्ट महत्वपूर्ण कदम है। यह एक तुरंत होने वाला, सरल और दर्द रहित स्क्रीनिंग टेस्ट है और आमतौर पर 21 और 65 वर्ष की आयु के बीच की हर महिला को यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। हम यह भी सलाह देते हैं कि महिलाओं को हर तीन साल में एक बार स्क्रीनिंग करानी चाहिए।”

किसे है खतरा?

एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध और कम उम्र में यौन गतिविधि

एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने पर एचपीवी से संक्रमित होने का जोखिम ज्यादा होता है। कम उम्र से यौन संबंध बनाने से भी एचपीवी का खतरा बढ़ जाता है। 16 साल की उम्र से पहले या मासिक धर्म शुरु होने के एक साल के भीतर यौन संबंध बनाना भी सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

यौन संचारित संक्रमण (STI)

क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस और एचआईवी/एड्स जैसे अन्य STI, एचपीवी के जोखिम को बढ़ाते हैं।

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों पर भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है।

गर्भनिरोधक गोलियों का लंबे समय तक सेवन

आमतौर पर, अगर कोई 5 साल से अधिक समय से गर्भनिरोधक गोलियां ले रहा है, तो ऐसे व्यक्ति को जोखिम हो सकता है।

नोट: हालांकि, इन बिंदुओं को डॉक्टर से परामर्श करने के बाद एक साथ रखा गया है, फिर भी आपसे हम आग्रह करते हैं कि आप अपने लक्षणों के बारे में डॉक्टर के साथ बात करें और आवश्यकता पड़ने पर मदद लें।

कैसे करें बचाव?

एचपीवी वैक्सीन – हालांकि बचाव के लिए टीका उपलब्ध हैं लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही यह लें। एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए टीका लगाने से सर्वाइकल कैंसर और अन्य एचपीवी से संबंधित कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।

नियमित पैप टेस्ट करवाएं –  समय-समय पर पैप टेस्ट कराना सुनिश्चित करें। यह निगरानी और सर्विक्स की स्थिति का पता लगाने में मदद करेगा, ताकि सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए समय पर इलाज किया जा सके।

सुरक्षित सेक्स- यौन संचारित संक्रमणों को रोकने के उपाय अपना कर सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है, जैसे कि बिना कंडोम के यौन संपर्क से बचें।

धूम्रपान न करें- कई प्रकार के कैंसर का कारण धूम्रपान माना जाता है। इसलिए यदि आप धूम्रपान करते हैं तो अपने डॉक्टर के साथ इसे छोड़ने के तरीकों पर चर्चा करें।

अंत में डॉ. विदुषी कहतीं हैं, “अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है कि समय-समय पर जांच कराई जाए। जैसा कि दूसरे महत्वपूर्ण कामों के लिए किया जाता है। महिलाओं को सारे चेक-अप का कैलेंडर बना कर रखा जाना चाहिए ताकि इसे सही समय पर किया जा सके।”

मूल लेख- विद्या राजा
संपादन – अर्चना गुप्ता


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