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टेक्नोलॉजी

भारत के ऑनलाइन आगे बढ़ने के तरीकों में सुरक्षित व सस्टेनेबल बदलाव ला रहा 'डिजिटल साइन'

By अर्चना दूबे

जब भी कभी आप "डिजिटल सिग्नेचर" के बारे में सुनते या सोचते हैं, तो आपके दिमाग में सबसे पहले क्या विचार आता है? शायद, लैपटॉप या टैबलेट पर एक छोटा, खाली सफेद स्पेस, जहां आपको अपना हस्ताक्षर करना है। ठीक वैसे ही, जैसे आप कागज पर करते हैं, है न?

IIT कानपुर के ड्रोन 'विभ्रम' ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीते तीन अवार्ड

By अर्चना दूबे

अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी की ओर से ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें आईआईटी कानपुर द्वारा बनाए गए ड्रोन विभ्रम को तीन कैटेगरी में खिताब मिले हैं।

पुराने पेट्रोल-स्कूटर के बदले नयी ई-बाइक, ऑनलाइन एक्सचेंज सिर्फ 10 मिनट में

By प्रीति टौंक

बेंगलुरु स्थित CredR कंपनी, अपने ग्राहकों को उनकी पुरानी गाड़ी के बदले, नई ई-बाइक खरीदने का मौका दे रही है।

50 रुपए में 1000 किमी चल सकती है पुणे स्थित EV कंपनी की ई-साइकिल, फोन की तरह होती है चार्ज

By निशा डागर

हावर्ड बिज़नेस स्कूल से पढ़े, अतुल्य मित्तल की EV कंपनी 'Nexzu Mobility' ने, ई-साइकिल के दो मॉडल 'Rompus+' और 'Roadlark' तैयार किये हैं। दोनों साइकिलों को 750 बार चार्ज किया जा सकता है। ये काफी किफायती और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

EV का है ज़माना! इस ई-साइकिल को एक बार करिये चार्ज और 100 किमी घूमिये नॉनस्टॉप

By प्रीति महावर

दिल्ली स्थित इस EV स्टार्टअप ने एक ऐसी ई-साइकिल लॉन्च की है, जो एक चार्ज पर 100 किमी तक चलती है।

IIT Madras के पूर्व छात्र ने बनाई 30 हजार की ई-बाइक, एक चार्ज पर चलती है 50 किमी!

IIT मद्रास के पूर्व छात्र विशाख ससीकुमार ने अपने वेंचर Pi Beam के तहत यह ई-बाइक लॉन्च की है।

पुणे की इस कंपनी ने बनाई देश की पहली डुअल सस्पेंशन साइकिल, जानिये क्या है खास!

आज ई-व्हिकल खरीददारों के मन में सबसे बड़ा सवाल होता है - क्या होगा यदि वाहन की बैटरी आधे रास्ते में ही डिस्चार्ज हो जाए? इसी को देखते हुए, पुणे स्थित E Motorad कंपनी ने एक ऐसी ई-साइकिल को विकसित किया है, जिसे ई-बाइक के रूप में चलाने के साथ ही, आम साइकिल के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसरो की नौकरी छोड़ किसानों के लिए बना रहे हैं मशीनें ताकि खेती हो सके आसान!

By रोहित मौर्य

नितिन किसानों की आर्थिक स्थिति का ध्यान रखते हुए ऐसे उपकरण बनाते हैं जिससे किसान एक ही सीजन में उसकी कीमत निकाल लें।

लंदन की नौकरी छोड़ लौटे गाँव, शुरू की देश की पहली आदिवासी आईटी कंपनी!

By नीरज नय्यर

अमिताभ 2003 में इंग्लैंड गए और ब्रिटिश सरकार के सोशल वेलफेयर बोर्ड लंदन में करीब 10 साल तक काम किया। इस सरकारी नौकरी से वह दुनिया का हर ऐशो-आराम हासिल कर सकते थे, लेकिन उनकी मंजिल कुछ और थी।