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50 रुपए में 1000 किमी चल सकती है पुणे स्थित EV कंपनी की ई-साइकिल, फोन की तरह होती है चार्ज

EV Startup

हावर्ड बिज़नेस स्कूल से पढ़े, अतुल्य मित्तल की EV कंपनी 'Nexzu Mobility' ने, ई-साइकिल के दो मॉडल 'Rompus+' और 'Roadlark' तैयार किये हैं। दोनों साइकिलों को 750 बार चार्ज किया जा सकता है। ये काफी किफायती और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

कुछ साल पहले तक, इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री (EV Industry) बहुत से संदेह और सवालों से घिरी हुई थी। इसके बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) और इसे बढ़ावा देने वाली नीतियों की कमी के कारण, इसके प्रति लोगों का रुझान काफी कम था। लेकिन 2018 के बाद, अनुकूल नीतियों के गठन से ईवी स्टार्टअप (EV Startup) में बढ़ोतरी देखी गई है। ‘द सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स’ (SMEV) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 के चुनौतीपूर्ण वित्तीय वर्ष के बावजूद, इलेक्ट्रिक वाहनों की घरेलू बिक्री में 20% की वृद्धि हुई है।

हालांकि, भारत में कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों का आंकड़ा एक प्रतिशत से भी कम है लेकिन, भविष्य में इस उद्योग के 5% तक बढ़ने की उम्मीद है। इसका श्रेय जाता है, राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP), फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ़ (हाइब्रिड) ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल स्कीम (Faster Adoption and Manufacturing of (Hybrid) and Electric Vehicles (FAME) Scheme) और आयकर छूट जैसी नीतियों को, जिनकी वजह से आज भारत में, कई इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों का विस्तार हो रहा है। 

आगे बढ़ने के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां, विशेष रूप से ई-साइकिल बनाने वाली कंपनियां, रिवर्स गियर, थेफ़्ट अलार्म और साइड-स्टैंड सेंसर जैसी हाईटेक सुविधाओं के साथ तकनीकी रूप से उन्नत वाहन पेश कर रहे हैं। वे भारतीय सड़कों और लोगों के लिए अनुकूल और उपयुक्त होने के साथ-साथ, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल वाहन बना रहे हैं। 

पुणे स्थित नेक्सज़ू मोबिलिटी (Nexzu Mobility) भी एक ऐसा ही स्टार्टअप है, जो सस्टेनेबल तरीके से जीने की चाह रखने वाले ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस कंपनी को साल 2015 में, अतुल्य मित्तल ने शुरू किया था। पहले इस कंपनी का नाम, अवन मोटर्स (Avan Motors) था। आज यह स्टार्टअप ई-साइकिलों और ई-स्कूटरों की बिक्री करता है।

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अतुल्य मित्तल

हावर्ड बिज़नेस स्कूल के पूर्व छात्र, अतुल्य, भारत की सबसे बड़ी पिज़्ज़ा चेन में से एक ‘पापा जॉन्स’ के निवेशक थे। लेकिन, जब उन्हें डिलीवरी के लिए किफायती स्कूटर, खासकर कोई इलेक्ट्रिक बाइक नहीं मिली तो उन्हें बहुत हैरानी हुई। और यहाँ से उनका इलेक्ट्रिक स्कूटरों के साथ सफर शुरू हुआ। शुरुआत में, उन्होंने पता करने की कोशिश की कि यहाँ इलेक्ट्रिक वाहनों को न अपनाये जाने के पीछे क्या कारण है? उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों के मूल सिद्धांतों, बाजार के अवसरों, सप्लाई चेन, विनिर्माण भागों पर शोध करना शुरू किया। 

अतुल्य ने द बेटर इंडिया को बताया, “जब हमने इस बाजार को जानना शुरू किया तो उस वक्त लोगों का ध्यान, इस सेक्टर पर बहुत ही कम था। 2015 में कुछ एक कंपनियां ही भारत में इलेक्ट्रिक दोपहिया (टू व्हीलर) वाहन बना रही थीं। पहली चुनौती, इससे जुड़े बाज़ार की सही जानकारी प्राप्त करना थी ताकि पता चले कि क्या यह आईडिया काम कर सकता है?” 

वह आगे कहते हैं कि उनके इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल, अपनी किफायती कीमत के कारण न सिर्फ लोगों के लिए अच्छे हैं बल्कि पर्यावरण के अनुकूल दिशा-निर्देशों का भी पालन करते हैं।  

उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की लागत 0.2 रुपए प्रति किमी है जबकि जीवाश्म-ईंधन वाले वाहन की लागत 1.5 रुपए प्रति किमी है। वह कहते हैं, “10 रुपये की बिजली (प्रति यूनिट अनुमानित मूल्य 8 रूपये) की खपत में चार्ज करने पर, ई-साइकिल 150 किमी और स्कूटर 45 किमी तक चल सकता है। वहीं 50 रुपये के चार्ज पर ई-साइकिल एक हजार किमी तक चल सकती है।”

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रोडलार्क

कम कल-पुर्जों वाली ये ‘मेड-इन-इंडिया’ ई-साइकिलें, कम मेंटेनेंस (रखरखाव) वाली और किफ़ायती हैं। सबसे जरूरी बात है कि इन्हें कहीं भी चार्ज किया जा सकता है। फोन या लैपटॉप के लिए जो बेसिक सॉकेट इस्तेमाल होते हैं, उनसे भी इन्हें चार्ज किया जा सकता है। कंपनी के सीओओ, राहुल शोनक कहते हैं, “हमारी इलेक्ट्रिक साइकिलें भारत में डिज़ाइन और बनाई गई हैं। इसलिए, नेक्सज़ू भारत में स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग और विकास को आगे बढ़ाकर, भारतीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी उद्योग को आकार देने में मदद कर रहा है।”

ई-साइकिल की विशेषताएं

  • 31, 983 रुपये से 42, 317 रुपये के बीच की कीमत वाली ये ई-साइकिलें, भारत में कोरोना महामारी से पहले लॉन्च की गयी थीं। 
  • इलेक्ट्रिक साइकिल में एक 36-वोल्ट, 250-वाट की ब्रशलेस डीसी मोटर और 26-इंच के नायलॉन टायर लगाए गए हैं। 
  • ई-साइकिल के दो मॉडल हैं- रोमपस+ और रोडलार्क।
  • दोनों साइकिलों को 750 बार चार्ज किया जा सकता है तथा दोनों को ही पूरी तरह से चार्ज होने में, तीन-चार घंटे का समय लगता है। 
  • रोडलार्क एक बार चार्ज होने पर 80 किलोमीटर तक चल सकती है और रोमपस+ 30 किलोमीटर से अधिक चल सकती है।
  • रोडलार्क साइकिल की गति पेडल मोड में 65 किमी और थ्रॉटल मोड में 55 किमी है। वहीं रोमपस+ की गति पेडल मोड में 25 किमी और थ्रॉटल मोड में 20 किमी है। 
  • रोडलार्क में दो बैटरियां होती हैं, एक को निकाला और लगाया जा सकता है तो वहीं दूसरी बैटरी एक फ्रेम में ही लगी रहती है। 
  • इससे जुड़े बाकी के उपकरण मानक कल-पुर्जों के हिस्से के रूप में आते हैं। इसमें दो मज़बूत मडगार्ड (फ्रंट और रियर), लाइट्स, डुअल डिस्क (फ्रंट और रियर), व्हील रिफ्लेक्टर, रियर रिफ्लेक्टर और हॉर्न शामिल हैं। 
  • मोटर और बैटरी की 18 महीनों की वारंटी है। 

देशभर में कंपनी के लगभग 70 से ज्यादा डीलर हैं। ग्राहक इन डीलरों से साइकिल खरीद सकते हैं या कंपनी की वेबसाइट से ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। 

पुणे के चाकन में स्थित कंपनी के प्लांट की हर साल 50 हजार बाइक बनाने की क्षमता है। अतुल्य के अनुसार, “अगर वर्तमान में इसके बढ़ते ट्रेंड को देखा जाये तो आने वाले कुछ महीनो में ही, हम इस प्लांट को अधिकतम सीमा तक ले जाने का प्रयास करेंगे।

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रोमपस+

नोएडा के सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर काम करने वाली डॉ. ऋतू सिंह का कहना है कि नेक्सज़ू की ई-साइकिल उनके लिए बेहतरीन विकल्प है। वह बताती हैं कि जब उन्हें इस ई-साइकिल के बारे में पता चला तो उन्हें ख़ुशी हुई कि अब उनके लिए आना-जाना सरल हो जाएगा। आज के समय में, जहां पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए प्रति लीटर पहुँच रहीं हैं तो इलेक्ट्रिक वाहन ही एकमात्र विकल्प रह जाते हैं। उन्होंने कभी भी नहीं सोचा था कि साइकिल चलाना इतना सरल हो सकता है तथा जब वह साइकिल चलाती हैं तो उन्हें बहुत ख़ुशी महसूस होती है। 

साथ ही, दिल्ली से एमबीएम एसोसिएट्स की सीईओ, मारिया मेंदिजाबल, कहती हैं, “मैं संतुलित जीवन शैली में विश्वास करती हूँ और नेक्सज़ू की ई-साइकिल, इसके लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और किफायती भी।” 

चुनौतियों का किया सामना

शुरुआत में जानकारी इकट्ठा करने के साथ-साथ, ऑटो इंडस्ट्री में अपना रास्ता बनाना भी कंपनी के लिए, एक बेहतरीन सीख रही। हालांकि, उन्होंने समस्याओं को हल करने में इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से मदद ली लेकिन, कुछ चीजें ऐसी थीं जो उनके हाथ में नहीं थीं। 

अतुल्य कहते हैं कि जब FAME II पॉलिसी ने FAME I पॉलिसी को बदला तो रातों रात स्थानीयकरण से जुड़े हुए मानदंड भी बदल गए। उन्हें अपने इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों पर फिर से काम करना पड़ा और लगभग तीन महीने तक बाजार में मंदी छायी रही। लेकिन FAME II के कारण, उन्होंने स्थानीय सप्लाई चेन में तेजी से विकास देखा और ऐसे में, बड़ी समस्या यह थी कि वे कितनी जल्दी इसका स्थानीयकरण कर सकते हैं। 

कोरोना वायरस महामारी ने भी कई मुश्किलें खड़ी की। उनके डीलर नेटवर्क, फैक्ट्री और दफ्तर सब बंद थे। इसलिए, उन्होंने वैकल्पिक रास्ता चुना और स्थानीय जगहों से काम किया और ऐसे क्षेत्रों को पहचाना जो कंपनी को मजबूत कर सकते हैं। 

वह कहते हैं कि हर साल कंपनी ने कोई न कोई बड़ी समस्या झेली है लेकिन, कंपनी हर बार कठिनाइयों से उभरते हुए मजबूती से आगे बढ़ी है। इसलिए, अब उनका आत्मविश्वास भी बढ़ गया है। चुनौतियों के बावजूद, कंपनी ने चंद सालों में ही देश के ‘ग्रीन मोबिलिटी सेक्टर’ में प्रभावी पहचान बना ली है। अब उनका उद्देश्य अंतराष्ट्रीय निर्यात क्षेत्र में काम करना और नए उत्पाद लॉन्च करना है। आने वाले समय में, वे दो प्रीमियम ई-साइकिल लॉन्च करेंगे। ग्राहक आसानी से साइकिल खरीद सकें, इसके लिए कंपनी जल्दी ही, अमेज़न, पेटीएम, चूज़माईबाईसिकल और बाइकफॉरसेल जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी ई-साइकिल की बिक्री करेगी। 

कंपनी से संपर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

मूल लेख: गोपी करेलिया 

संपादन- जी एन झा

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