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जानकी वल्लभ शास्त्री: एक कथाकार के जीवन की अनकही कहानी!

By निशा डागर

5 फरवरी 1916 में बिहार के मैगरा गाँव में जन्में जानकी वल्लभ शास्त्री को जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' एवं कवयित्री महादेवी वर्मा के बाद छायावाद युग का पांचवा महत्वपूर्ण रचनाकार माना जाता है। उनका पहला गीत 'किसने बाँसुरी बजाई' बहुत लोकप्रिय हुआ था।

#अनुभव : 'भविष्य के लिए बचत करने से बेहतर है कि किसी के आज को संवारा जाए'!

By निशा डागर

बिहार के इस प्राथमिक टीचर ने अपने एक गरीब छात्र की स्कूल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। आज उनका वह छात्र एक डॉक्टर है और आज भी वह अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से वक़्त निकाल कर अपने गुरु से मिलने गाँव जरुर आता है।

इन 10 प्रशासनिक अधिकारीयों ने अपने क्षेत्रों में किये कुछ ऐसे पहल, जिनसे मिली विकास की राह!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं कि कुछ अच्छे अफसर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!

बिहार: 15-वर्षीय लड़की के लिए फ़रिश्ता बना किन्नरों का एक समूह, बचाया तस्करी से!

By निशा डागर

बिहार के नवादा जिले से ताल्लुक रखने वाली एक नाबालिग लड़की को इसके पिता ने 1.5 लाख रूपये के लिए एक 50 साल के आदमी को शादी के लिए बेच दिया था। इस आदमी ने भी लड़की को फिर से बेचने की कोशिश की। लेकिन इस बार लड़की को किन्नरों के एक समूह ने बचाया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

पिछले 26 सालों से गरीब और बेसहारा मरीजों की देखभाल कर रहे हैं पटना के गुरमीत सिंह!

By निशा डागर

पटना के चिरायतंद इलाके में रेडीमेड कपड़ों की दुकान के मालिक गुरमीत सिंह पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के गरीब और अपने परिवार द्वारा छोड़े हुए बेसहारा मरीजों के लिए रोज रात को खाना लाते हैं। गुरमीत पिछले तीन दशकों से ऐसा कर रहे हैं।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद: देश के प्रथम राष्ट्रपति, जिन्होंने पूरे कार्यकाल में लिया केवल आधा वेतन!

By निशा डागर

डॉ राजेन्द्र प्रसाद न केवल देश के पहले राष्ट्रपति थे बल्कि उन्हें जन-साधारण का राष्ट्रपति कहा जाता है। 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के एक गाँव में जन्में राजेन्द्र बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थे। स्वतंत्रता के बाद वे पहले राष्ट्रपति बने। उनकी बौद्धिक क्षमता का कोई सानी नहीं था।

लांस नायक अल्बर्ट एक्का: जिन्होंने जान देकर भी पाकिस्तानी सेना को अगरतला में कदम नहीं रखने दिया!

By निशा डागर

लांस नायक अल्बर्ट एक्का का जन्म 27 दिसम्बर, 1942 को झारखंड के गुमला जिला के डुमरी ब्लाक के जरी गांव में हुआ था। साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके साहस और बलिदान के चलते ही आज अगरतला भारत का हिस्सा है और भारतीय सेना बांग्लादेश को आज़ादी दिलवा पाई।

भुला दिए गये नायक: बटुकेश्वर दत्त, वह स्वतंत्रता सेनानी जिसने आजादी के बाद जी गुमनामी की ज़िन्दगी!

By निशा डागर

Batukeshwar Dutt स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर 1910 को तत्कालीन बंगाल में बर्दवान जिले के ओरी गांव में हुआ था।

बिरसा मुंडा: ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह करनेवाले पहले आदिवासी वीर

By निशा डागर

Birsa Munda: First Adivasi Freedom Fighter Of India. बिरसा मुंडा: ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोह करनेवाले पहले आदिवासी वीर।