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8 जिले, 17 हेल्थ सेंटर, 24 लाख मरीज़ों का इलाज, एक महिला बदल रही है तस्वीर!

By निशा डागर

रूरल हेल्थ केयर फाउंडेशन के सेंटर्स पर आने वाले मरीज़ों से कंसल्टेशन फीस मात्र 80 रुपये ली जाती है और उन्हें एक हफ्ते की दवाइयां मुफ्त में दी जाती हैं!

अमेरिका में एप्पल की नौकरी छोड़, अपने गाँव में बन गए किसान; बच्चों को दी ज़मीन से जुड़ी शिक्षा!

By निशा डागर

उत्तर-प्रदेश के अलीगढ़ में जरारा गाँव के रहने वाले अभिनव गोस्वामी, साल 2007 से अमेरिका में रह रहे थे। पर अपने देश के लिए कुछ करने का जज़्बा उन्हें वापिस अपने वतन ले आया। यहाँ आकर उन्होंने जैविक खेती, डेयरी फार्म, मधुमक्खी पालन आदि शुरू किया। उनका उद्देश्य बच्चों को स्किल बेस्ड शिक्षा देना है।

झारखंड: एशो-आराम की ज़िंदगी छोड़, कोयला मज़दूरों के बच्चों के जीवन को संवार रहे हैं देव कुमार वर्मा!

32 वर्षीय देव कुमार वर्मा का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के कतरास गाँव में हुआ। उनके पिता कोयला मज़दूर थे, लेकिन उन्होंने पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल की। आज देव और उनकी पत्नी, अपने गाँव एक कोयला मज़दूरों के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देकर उनका जीवन संवार रहे हैं!

मुंबई: 22 साल की युवती ने स्टेशन को बनाया स्कूल, गरीब बच्चों को दे रही हैं मुफ़्त शिक्षा!

मुंबई में रहने वाली 22 वर्षीय हेमंती सेन को आप हर दिन कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर 15 से भी ज़्यादा बच्चों को गिनती, वर्णमाला, शब्द, चित्रकारी आदि सिखाते हुए देख सकते हैं – वो भी बिना किसी फीस के! ये सभी बच्चे स्टेशन के आस-पास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले भिखारियों के बच्चे हैं।

20, 000 छात्रों को शिक्षित करने के साथ गरीबी और तस्करी जैसे मुद्दों पर काम कर रही है 'अलोरण पहल'!

पश्चिम बंगाल में अलीपुरद्वार प्रशासन की 'आलोरण पहल' ने तीन महीनों में ही यहाँ के 73 विद्यालयों के लगभग 20, 000 बच्चों की ज़िंदगी में एक बड़ा परिवर्तन ला दिया है। यह एक 'ज़ीरो-कॉस्ट' मॉडल है। जिसमें अधिकारी स्कूलों में जाकर मिड-डे मील की गुणवत्ता, छात्रों की हाजिरी और शिक्षकों की उपस्थिति का मुआयना करते हैं।

इन 10 प्रशासनिक अधिकारीयों ने अपने क्षेत्रों में किये कुछ ऐसे पहल, जिनसे मिली विकास की राह!

By निशा डागर

द बेटर इंडिया हर साल ऐसे 10 प्रशासनिक अधिकारियों (किसी विशेष क्रम में नहीं) के प्रयासों के बारे में पाठकों को बताता है, जिनकी वजह से कई जगह बदलाव आया है। यही अधिकारी हमें आशा की किरण देते हैं कि कुछ अच्छे अफसर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं!

सैकड़ों साल पुरानी कुप्रथा तोड़, किन्नरों का पिंडदान करेंगे बनारस के 151 पंडित!

By विनय कुमार

किन्नरों के हित में काम करने वाली संस्था ने ऐतिहासिक आयोजन करने जा रही है, जिसमें हाल के वर्षों में स्वर्ग सिधारे किन्नरों का पिंडदान संस्कार किया जायेगा।

'आजादी' के असल मायने साकार करती झारखंड की ग्रामीण महिलाएं!

By कुमार विकास

गांव की इन महिलाओं ने आजादी को अपना ब्रांड बनाया है। आईए हम और आप इन महिलाओं से जुड़कर इस स्वतंत्रता दिवस पर इनके ब्रांड - 'आजादी' को प्रोत्साहित करें।

बुज़ुर्गों को अकेलेपन से दूर करने के लिए नाटूभाई चला रहे हैं मैरेज ब्यूरो!

बुजुर्गों को साथी की जरूरत होती है। पर हमारे समाज में बुढ़ापे में जीवन की नई पारी की शुरुआत करना मुश्किल है। नाटूभाई ने इस ओर सकारात्मक कदम उठाया है।