मिलिए, रांची के सौरभ कुमार से, जो पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, लेकिन पौधों और हरियाली के अपने शौक़ के कारण उन्होंने नौकरी करने के बजाय पौधे उगाना शुरू किया। आज वह इंडोर पौधों का एक अनोखा शॉपिंग मॉल चला रहे हैं और लोगों के घर के अंदर हरियाली फैला रहे हैं।
हरियाणा की पहली महिला ड्रोन पायलट, निशा सोलंकी महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविघालय करनाल से जुड़कर किसानों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग देने में लगी हैं, ताकि खेती और किसान किसी भी मामले में पीछे न रह जाएं।
शाजापुर, मध्य प्रदेश के किसान देवेंद्र परमार ने अपनी सूझ-बूझ से कमाल का सिस्टम तैयार किया है। कचरे में जानेवाले गोबर से वह CNG गैस बनाते हैं। अब उन्हें पेट्रोल और बिजली के लिए बिल्कुल पैसे खर्च नहीं करने पड़ते।
एक गरीब माँ को अपने दिव्यांग बच्चे के साथ देखकर, आगरा के अनिल जोसेफ को ऐसे और बच्चों की मदद करने का ख्याल आया। उन्होंने ऐसे गरीब और बेसहारा दिव्यांग बच्चों के लिए एक एनजीओ शुरू करके एक शेल्टर होम बनाया, जो आज 75 विशेष बच्चों का घर बन चुका है।
डॉक्टर्स ही नहीं, शिमला के सरबजीत सिंह भी हैं मरीज़ों और ज़रूरतमंदों के मसीहा। वह सालों से शवों के लिए वाहन, पेशेंट्स के लिए एम्बुलेंस सुविधा सहित ब्लड कैंप और मुफ्त में खाना खिलाने जैसी सुविधाएं ज़रूरतमंदों तक पंहुचा रहे हैं।
ठंड में ठिठुरते ज़रूरतमंद लोगों तक गर्म कपड़े और कंबल पहुंचाने में द बेटर इंडिया दे रहा है गाजियाबाद की संस्था ‘उद्देश्य' का साथ। क्या आप बनना चाहेंगे इसका हिस्सा?
गोरखपुर की रहने वाली यशी कुमारी के पिता ऑटो ड्राइवर हैं और यशी को बचपन से सेलेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी थी। लेकिन इन सब मुश्किलों से लड़कर उन्होंने पहले ही प्रयास में नीट के ज़रिए एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया।
अपने ऑर्गेनिक टेरेस गार्डन को बिज़नेस में बदलना कोई केरल की रेमा देवी से सीखे, जो अपने घर के पौधों, बीजों और खाद की जानकारी से हर महीने 60 हज़ार रुपये तक कमा लेती हैं।