राहुल ने अपने इलाज के दौरान 'योद्धाज़' की नींव रखी ताकि देश भर में कैंसर से जूझ रहे लोग आपस में बात कर सकें, अपना दर्द बाँट सकें और एक-दूसरे की ताकत बन सकें!
उनके घरवालों ने उन्हें रोका और पड़ोसियों ने मजाक बनाया, फिर भी इस 28 वर्षीय इंजीनियर ने जैविक खेती में अपना हाथ आज़माने के लिए अपने ही परिवार से ज़मीन लीज पर ली। उनकी सफलता आज के युवाओं के लिए प्रेरणा है!
'पक्के घर' का कांसेप्ट हमारे यहां सिर्फ ईंट और सीमेंट से बने घरों तक ही सीमित है जबकि पक्के घर का अभिप्राय ऐसे घर से होना चाहिए, जो कि पर्यावरण के अनुकूल हो और जिसमें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने की ताकत हो जैसे कि बाढ़, भूकंप आदि। नेपाल में आये भूकंप के दौरान सिर्फ़ इस तकनीक से बने घर ही थे जो गिरे नहीं!
बिहार में गोपालगंज जिले के लुहसी गाँव से ताल्लुक रखने वाले जय प्रकाश मिश्र, 'फाउंडेशन ज़िंदगी' के संस्थापक हैं। इस फाउंडेशन के बैनर तले, साल 2014 से वे कबाड़ और अन्य लोगों से किताबें इकट्ठा करके, बिहार के गांवों में सामुदायिक लाइब्रेरी खोल रहे हैं। उनका उद्देश्य ज़रुरतमंदों तक किताबें पहुँचाना है।