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कोलकाता

दो दशक से 5 रुपये में ही बिक रही है यह स्वदेशी जेल पेन, पीछे है एक रोचक कहानी

By पूजा दास

70 के दशक में Linc Pen & Plastic Ltd शुरु की गई थी। कंपनी का उदेश्य भारतीय छात्रों के लिए किफायती दाम पर जेल पेन का विकल्प प्रदान करना था। कंपनी के संस्थापक सूरज मल जलान के बेटे और वर्तमान में कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर, दीपक जलान ने हमसे बात करते हुए विस्तार से बताया कि कैसे कंपनी ग्रामीण क्षेत्र के साथ शहरों में भी अपनी जगह बनाने में सफल रहा है।

नानी-नातिन की जोड़ी ने शुरू किया मिठाई बिज़नेस, 8 महीने में 4 लाख रुपए तक पहुंचा रेवेन्यू

By निशा डागर

कोलकाता की रहने वाली 65 वर्षीया मंजू देवी पोद्दार और उनकी 21 वर्षीया नातिन, याशी चौधरी ने अगस्त 2020 में अपने मिठाई बिज़नेस, 'नानीज़ स्पेशल' की शुरुआत की थी। जिससे उन्हें मात्र आठ महीने में, चार लाख रुपए की कमाई हुई है।

जानिए कैसे एक 90 साल पुरानी डायरी से खुला, कोलकाता से कश्मीर तक की साइकिल यात्रा का राज़

By निशा डागर

आजादी से पहले, चार बंगाली युवकों द्वारा साइकिल पर तय किया गया सफर, यात्रा के प्रति रोमांच, धैर्य और प्रेम को दर्शाता है। 90 सालों से सहेजकर रखी गयी इस डायरी में आसनसोल से लाहौर होते हुए इस यात्रा का पूरा विवरण है।

अंडे के छिलकों तक में पौधे उगातीं हैं यह गृहिणी

By निशा डागर

नैहाटी, पश्चिम बंगाल की रहने वाली नीता सिंह अपने घर में इस्तेमाल होने वाले आटा, दाल, चायपत्ती, चीनी, ओट्स आदि की खाली थैलियों को कचरे में फेंकने की बजाय पौधे उगाने के लिए इस्तेमाल करतीं हैं।

400 सेक्स वर्कर्स के लिए मसीहा हैं 70 वर्षीय अरूप, लॉकडाउन में भी पहुँचाते रहे राशन

By निशा डागर

कोलकाता में रहने वाले 70 वर्षीय अरूप सेनगुप्ता पिछले 4 सालो से 'नोतून जीबोन' नाम से अपना संगठन चला रहे हैं। इसके ज़रिए वह सेक्स वर्कर्स के बच्चों और घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए काम कर रहे हैं!

कोलकाता के इस पूजा पंडाल में प्रवासी मज़दूर माँ को समर्पित है इस बार माँ दुर्गा की मूर्ती

By द बेटर इंडिया

कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मज़दूरों ने विषम परिस्थितियों में भी जिस तरह हिम्मत दिखाई, उसे सलाम करते हुए कोलकाता के बारिशा क्लब दुर्गा पूजा समिति ने इस बार माँ दुर्गा की मूर्ती को एक प्रवासी मज़दूर माँ का रूप दिया है।

हमराही: शारीरिक अक्षमता क्यों आए प्यार के आड़े? जानिये एक सच्चे प्यार की दास्ताँ!

By निशा डागर

जीजा को जन्म से ही सेरिब्रल पाल्सी है और इस वजह से लोग अक्सर बप्पादित्य से पूछते हैं कि उन्होंने उनसे शादी क्यों की? इसके जवाब में वह केवल एक ही शब्द कहते हैं - 'प्यार'!

भारत का 'रोनाल्डो' जरनैल सिंह, जिसने 6 टांके लगने के बाद भी दिलवायी भारत को ऐतिहासिक जीत!

By निशा डागर

20 फरवरी 1936 को पंजाब के होशियारपुर में जन्में जरनैल सिंह ढिल्लों भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व-कप्तान रहे। उन्होंने साल 1965-67 के दौरान कप्तानी संभाली। साल 1962 में हुए जकार्ता एशियाई खेलों में भारत की जीत का सबसे ज़्यादा श्रेय जरनैल सिंह को जाता है।