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काकोरी कांड का वह वीर जिसे अंगेज़ों ने तय समय से पहले दे दी फाँसी!

By निशा डागर

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म बंगाल के पाबना ज़िले के भड़गा नामक गाँव में 23 जून, 1901 को हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में ये बंगाल से बनारस आ गये। एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ये क्रांतिकारियों के सम्पर्क में आये और बिस्मिल से जुड़ गये। काकोरी कांड के मुख्य क्रांतिकारियों में एक थे लाहिड़ी।

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

इश्वर चंद्र विद्यासागर की देख-रेख में, इस साहसी महिला ने किया था भारत का पहला कानूनन विधवा-पुनर्विवाह!

By निशा डागर

ईश्वर चंद्र विद्यासागर जिन्होंने हिन्दू विधवा-पुनर्विवाह का कानून पारित करवाया था। यह एक्ट जुलाई 1856 में पारित हुआ था। इसके बाद उन्होंने कोलकाता में 7 दिसंबर 1856 को एक विधवा लड़की कालीमती का पुनर्विवाह अपने एक साथी चंद्र विद्यारतना से करवाया था। यह देश में कानूनन पहला विधवा-विवाह था।

ऑटों को सुनसान सड़क पर जाते देख इन युवकों ने पीछा कर, बचाई एक युवती की इज्ज़त!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल के तीन युवक अजय नस्कर, जलाल अली मोल्लाह और शाबेद अली मोल्लाह ने एक 28 वर्षीय लड़की को एक ऑटो ड्राइवर के चुंगल से निकाल कर उसकी जान बचाई। इन तीनों ने सूझ-बुझ दिखाते हुए न सिर्फ इस लड़की को बचाया बल्कि आरोपी को पुलिस के हवाले भी किया।

शांति घोष: वह क्रांतिकारी जिसने 15 साल की उम्र में ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी!

By निशा डागर

शांति घोष भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्तिकारी वीरांगना थीं। उनका जन्म 22 नवंबर 1916 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 15 साल की उम्र में एक अंग्रेजी अधिकारी को गोली मारी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'अरुणबहनी' नाम से लिखी। साल 1989 में 28 मार्च को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

सी. वी. रमन: पहले भारतीय जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में किया गया था नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित!

By निशा डागर

CV Raman रमन इफ़ेक्ट की खोज के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले भौतिक वैज्ञानिक सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन भारत के एक महान वैज्ञानिक थे।

गिरिजा देवी : 15 साल में विवाहित, बनारस की एक साधारण गृहणी से 'ठुमरी की रानी' बनने का सफ़र

By निशा डागर

'ठुमरी की रानी' कही जाने वाली गिरिजा देवी का जन्म 8 मई, 1929 को कला और संस्कृति की प्राचीन नगरी वाराणसी (तत्कालीन बनारस) में हुआ था। ठुमरी गायन को संवारकर उसे लोकप्रिय बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। वे बनारस घराने की गायिका थीं। 24 अक्टूबर 2017 को उन्होंने दुनिया से विदा ली।

दुर्गा भाभी : जिन्होंने भगत सिंह के साथ मिलकर अंग्रेज़ो को चटाई थी धूल!

By निशा डागर

दूर्गा देवी वोहरा अका दुर्गा भाभी- जिन्होंने खुद गुमनामी की ज़िन्दगी जीकर भी देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी। दुर्गा देवी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान न केवल महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया बल्कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन पर भी इनका गहरा प्रभाव रहा।

भगिनी निवेदिता: वह विदेशी महिला जिसने अपना जीवन भारत को अर्पित कर दिया!

By निशा डागर

भगिनी निवेदिता का भारत से परिचय स्वामी विवेकानन्द के जरिए हुआ था। 28 अक्टूबर, 1867 को जन्मीं निवेदिता का वास्तविक नाम 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल' था। एक अंग्रेजी-आइरिश सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, शिक्षक एवं स्वामी विवेकानन्द की शिष्या- मार्गरेट ने 30 साल की उम्र में भारत को ही अपना घर बना लिया।

दुर्गा पूजा : इस अनोखे पंडाल में दृष्टिहीन भी देख पाएंगे दुर्गा माँ को!

By निशा डागर

पश्चिम बंगाल में कोलकाता के बालीगंज में समाज सेवी संघ ने अनोखी पहल शुरू की है। जो भी व्यक्ति देख नहीं सकते यानी कि जो आँखों से दिव्यांग हैं, उनके लिए खासतौर पर व्यवस्था की गयी है कि वे इस दुर्गा पूजो में माँ की प्रतिमा से लेकर पंडाल की सजावट तक, सभी कुछ छूकर महसूस कर सकते हैं।