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रिटायर्ड टीचर का आविष्कार, अब एक ही मशीन से किसान कर सकेंगे 10 काम

farming innovation in odisha

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में तलिता गाँव के रहने वाले, 74 वर्षीय गुरुचरण प्रधान एक रिटायर्ड शिक्षक और किसान हैं। उन्होंने 'कृषक साथी' नाम से एक कृषि यंत्र बनाया है, जो अकेला ही 10 यंत्रों का काम कर सकता है।

ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में तलिता गाँव के रहने वाले 74 वर्षीय गुरुचरण प्रधान एक रिटायर्ड शिक्षक और किसान हैं। इसके अलावा, इलाके में उन्हें एक आविष्कारक के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने ‘कृषक साथी’ नाम से एक कृषि यंत्र बनाया है, जिससे किसानों को कृषि और पशुपालन से जुड़े कार्यों को करने में मदद मिलती है। 

एक किसान और पशुपालक परिवार से संबंध रखने वाले गुरुचरण अपनी नौकरी के दौरान भी खेती के कामों में अपने पिता का हाथ बंटाया करते थे। इस दौरान, उन्होंने देखा कि बहुत से काम जैसे धान और मूंगफली की थ्रेशिंग करने में काफी मेहनत और समय लगता है। इसी तरह, पशुओं के लिए चारा काटने में भी मेहनत लगती है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी कि इन सब चीजों के लिए अलग-अलग मशीनों की जरूरत होती है। इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसी कोई मशीन बनाई जाए, जिससे कई काम किए जा सके। 

74 साल की उम्र में भी एकदम स्वस्थ और तंदरुस्त रहने वाले गुरुचरण कहते हैं कि उन्होंने साल 2000 से मशीन बनाने का काम शुरू किया। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने अपने इस सफर के बारे में विस्तार से बताया। 

बनायी अनोखी मशीन

गुरुचरण ने बताया, “मैंने इंटरमीडिएट के बाद सर्टिफाइड टीचर ट्रेनिंग की। इसके बाद मुझे एक सरकारी स्कूल में नौकरी मिल गयी। लगभग 37 सालों तक मैंने स्कूल में पढ़ाया। जब मैंने मशीन पर काम करना शुरू किया, तब भी मैं स्कूल में पढ़ाता था। अपनी नौकरी के साथ-साथ, मैंने मशीन भी बनाने की ठानी। उन दिनों इंटरनेट या गूगल की कोई जानकारी नहीं थी, इसलिए अपने आसपास उपलब्ध अलग-अलग मशीनों को देखकर ही सब काम किया। कभी जरूरत पड़ी, तो एक-दो लोगों को काम पर भी लगा लिया करता था। ऐसा करते-करते, लगभग छह-सात सालों में मशीन का पहला मॉडल तैयार हुआ।” 

Retired Teacher Innovation
Gurucharan Pradhan, Innovator

तब तक गुरुचरण रिटायर हो गए थे और उन्होंने अपना पूरा ध्यान खेती करने और मशीन बनाने में लगाया। वह कहते हैं कि मशीन बनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह थी, मजदूरों की कमी। बहुत से लोग गांवों से पलायन कर रहे थे और इस वजह से गाँव में काम करनेवाले आसानी से नहीं मिलते थे। इसलिए सबसे पहले, उन्होंने सिर्फ पशुओं के लिए चारा काटने और धान गाहने के लिए मशीन बनाई। “फिर मैंने धीरे-धीरे इस मशीन में काफी बदलाव किए और एक-एक करके इसमें कई चीजें जोड़ी। आज इस मशीन से किसान आठ से दस काम कर सकते हैं। इस मशीन से लगभग 10 मजदूरों का काम किया जा सकता है। एक या दो लोग मिलकर इस मशीन को चला सकते हैं,” उन्होंने कहा। 

उन्होंने इस मशीन को ‘कृषक साथी मशीन’ का नाम दिया है। इस मशीन को कई कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है: 

  • इस मशीन से पशुओं के लिए चारा काटा जा सकता है। साथ ही, इसमें एक डायनेमो लगाया गया है, जिससे कोई भी अगर मशीन को चारा काटने के लिए चलाता है, तो उतनी देर में डायनेमो से बिजली बनती रहती है। इस तरह से चारा काटते हुए, आप बिजली भी बना सकते हैं। इस बिजली का उपयोग, बैटरी चार्ज करने या बल्ब जलाने के लिए हो सकता है। 
  • इस मशीन से पशुओं के लिए एक घंटे में लगभग 30-40 किलो चारा काटा जा सकता है। 
  • एक घंटे में लगभग 60 किलो धान की थ्रेसिंग इस मशीन से हो सकती है। 
  • आप इससे मूंगफली की थ्रेसिंग भी कर सकते हैं और मक्का के दाने भी निकाल सकते हैं। 

farming innovation in odisha
Working on Machine

  • इस मशीन से किसान कुल्हाड़ी, कटर जैसी चीजों की धार भी तेज कर सकते हैं। 
  • इससे नारियल भी छीले जा सकते हैं और हल्दी भी पीसी जा सकती है। 
  • धान की थ्रेसिंग के बाद, इसे मशीन से साफ़ भी किया जा सकता है। 

गुरुचरण कहते हैं कि अगर कोई ट्राई करना चाहे, तो और भी कई काम, जैसे औषधीय पौधों या फलों को भी इससे पीस सकते हैं। उनकी इस मल्टी-पर्पज और मल्टी-फंक्शनल मशीन को बनाने में लगभग 25 हजार रुपए की लागत आती है। हालांकि, कीमत के बारे में वह कहते हैं, “मैंने इसे कुछ नयी, तो कुछ पुरानी चीजें जैसे साइकिल की रिम, चेन आदि इस्तेमाल करके बनाया है। इसलिए इसे बनाने में समय और पैसे काफी लगे हैं। लेकिन अगर कोई इस मशीन को फैक्ट्री लेवल पर बनाना चाहे, तो यक़ीनन इसकी कीमत बहुत कम हो जाएगी।” 

वीडियो देखें:

आविष्कार के लिए मिले हैं सम्मान 

अपनी इस मशीन के लिए गुरुचरण को कई जगहों से सम्मान मिला है। ‘वाइब्रेंट गुजरात 2013’ में, गुजरात के मुख्यमंत्री ने उन्हें मशीन के लिए 51 हजार रुपए की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया था। इसके अलावा, उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण विकास (NIRD) संस्थान, हैदराबाद और कृषि विभाग, ओडिशा द्वारा भी सम्मानित किया गया है। वह बताते हैं, “मुझे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की मदद से बहुत सी जगह जाने का मौका मिला है। काफी लोग आज उनकी वजह से मुझे जानते हैं। वैसे तो यह मशीन, मैंने अपने काम को आसान बनाने के लिए बनाई थी, लेकिन बाद में दो और किसानों ने मुझसे यह मशीन बनवायी। मेरी सफलता का सबसे बड़ा श्रेय मेरी पत्नी, मीरावती को जाता है। उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया। मुझे कभी भी कोई काम करने से नहीं रोका।” 

उनसे मशीन खरीदने वाले किसान, सुब्रत कुमार कहते हैं कि खेती करने के साथ-साथ वह पशुपालन भी करते हैं। उनके पास 10 गाय हैं, जिनके लिए उन्हें चारा काटना होता है। इसलिए उन्होंने गुरुचरण से यह मशीन खरीदी, ताकि पशुओं के लिए चारा काटने के साथ-साथ, दूसरे कृषि से जुड़े काम भी वह कर पाएं। इस कारण अब उन्हें बहुत ज्यादा मजदूर नहीं लगाने पड़ते हैं। एक मशीन से ही वह कई सारे कार्य कर पा रहे हैं।

“मशीन बहुत ही आसानी से काम करती है। इससे आप अकेले भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मैं इससे चारा काटने के अलावा नारियल छील लेता हूँ और धान से चावल निकालने में भी यह काम आ रही है,” उन्होंने कहा।

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गुरुचरण आगे कहते हैं कि और भी बहुत से लोग उनसे मशीन के लिए सम्पर्क करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग उनसे मोटर से चलने वाली मशीन बनाने के लिए कहते हैं। इस पर उनका कहना है, “आज के जमाने में सब कुछ ऑटोमैटिक होता जा रहा है। इसी वजह से लोगों में बीमारियां और आलस बढ़ रहा है। यह मशीन पहले ही काम को बहुत आसान बना देती है। कोई भी इसे बिना ज्यादा मेहनत के उपयोग में ले सकता है। अगर इसे ऑटोमैटिक कर दिया, तो लोग इतनी भी मेहनत नहीं करेंगे। मैं आज 74 साल की उम्र में भी स्वस्थ और तंदरुस्त हूँ, क्योंकि मैं लगभग सभी काम खुद करता हूँ।” 

अगर आप इस मशीन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो गुरुचरण प्रधान से 7077532455 पर संपर्क कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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