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Women power

ड्राइवर से लेकर उद्यमी बनने तक, इस महिला ने 10,000 से अधिक महिलाओं को बनाया सशक्त!

“यह दोष देने या खुद पर तरस खाने का समय नहीं था। मुझे उन हालातों का सामना करना था और उन्हें हर हाल में बेहतर बनाना था।“ - मंदिरा बरूआ

मुंबई: 10,000 किसानों के 300 से ज्यादा जैविक उत्पाद सीधे बाज़ार तक पहुंचा रही है यह युवती

By पूजा दास

मुंबई की उद्यमी कहती है, “मेरा अंतिम लक्ष्य छोटे पैमाने के किसान समुदायों को सशक्त बनाना है। मैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना चाहती हूं।'' #FarmersFirst #WomenEntrepreneurs

'चावल की चाय' से 'रागी के मोमोज़' तक, झारखंडी खाने को सहेज रही हैं यह महिला!

By निशा डागर

"फ़ास्ट फ़ूड के जमाने में मैं लोगों को 'स्लो फ़ूड सेंटर' का विकल्प दे रही हूँ। जहां रुककर वे अपनी संस्कृति, अपने समुदायों और अपनी जड़ों के बारे में सोच-समझ सकते हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।"

जहाँ किसानों ने कीवी का नाम तक नहीं सुना था, वहाँ 'कीवी क्वीन' बन कमातीं हैं लाखों!

सीता देवी ने कीवी की खेती करने की ठानी तो उन्हीं के गाँव के कुछ लोग उनके हौसले को तोड़ने की साजिश में जुट गए। कुछ कहते थे कि ऐसी फसल कहां होती है, जिसे जानवर नुकसान न पहुंचाएं और कुछ का कहना था कि कीवी विदेशी फल है, परंपरागत फसलों के क्षेत्र में इसकी पैदावार रंग ही नहीं लाएगी।

इनके प्रयासों से बना मध्य-भारत का पहला सोलर किचन, बदल दी हज़ारों महिलाओं की तकदीर!

जनक दीदी के सौर ऊर्जा से संचालित घर में अब तक 85,000 लोग आकर सस्टेनेबल लिविंग के गुर सीख चुके हैं।

बेस्ट ऑफ़ 2019: इस साल 'नारीशक्ति' का प्रतीक रहीं महिलाओं की कहानियां!

By द बेटर इंडिया

साल 2019 के अंतिम पड़ाव पर एक बार फिर पढ़ते हैं 'नारीशक्ति' की उन कहानियों को जो हर एक पीढ़ी के लिए हौसले की मिसाल रहेंगी!

पद्म श्री विजेता इस महिला कोच ने जितवाए हैं टीम को 7 अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल!

By निशा डागर

सुनील भारत की पहली महिला कबड्डी कोच हैं जिन्हें पद्म श्री और द्रोणाचार्य जैसे सम्मानों से नवाज़ा गया है।

कादंबिनी गांगुली : जिसके संघर्ष ने खुलवाए औरतों के लिए कोलकाता मेडिकल कॉलेज के दरवाजे!

By निशा डागर

उनकी सफलता ने बेथ्यून कॉलेज को 1883 में एफए (फर्स्ट आर्ट्स) और स्नातक पाठ्यक्रम (ग्रेजुएशन कोर्स) शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।

1971 : जब भुज की 300 महिलाओं ने अपनी जान ख़तरे में डाल, की थी वायुसेना की मदद!

8 दिसम्बर 1971 की रात को भारत- पाक युद्ध के दौरान, भुज में IAF के एयरस्ट्रिप पर, सबरे जेट विमान के एक दस्ते ने 14 से अधिक नापलम बम गिराए। जिसकी वजह से यह एयरस्ट्रिप खराब हो गयी। ऐसे में, इस एयरस्ट्रिप की भुज के माधापुर गाँव की 300 महिलायों ने मरम्मत कर वायुसेना की मदद की।