सीता देवी ने कीवी की खेती करने की ठानी तो उन्हीं के गाँव के कुछ लोग उनके हौसले को तोड़ने की साजिश में जुट गए। कुछ कहते थे कि ऐसी फसल कहां होती है, जिसे जानवर नुकसान न पहुंचाएं और कुछ का कहना था कि कीवी विदेशी फल है, परंपरागत फसलों के क्षेत्र में इसकी पैदावार रंग ही नहीं लाएगी।
लंदन से मास्टर डिग्री लेने वाली मुदिता आसपास डायबिटीज के मरीज़ों को देखकर परेशान थीं। इसलिए उन्होंने सोचा कि वह काले चावल को पूर्वोत्तर से बाहर दूसरे राज्यों के बाजारों में उपलब्ध करा सकतीं हैं।
यह कहानी है सविता डकले की, जिन्होंने न सिर्फ अपनी इस आम कहानी को अपनी मेहनत और लगन से ख़ास बनाया बल्कि अपने गाँव की दूसरी महिलाओं को भी अपने नक़्शे कदम पर चलने के लिए प्रेरित किया।
सुधा को डेयरी क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से लगातार 4 बार गोकुल पुरस्कार भी मिल चुका है। सुधा आज गाँव की दूसरी महिलाओं को भी डेयरी का संचालन करना सिखा रही हैं।