Powered by

Latest Stories

HomeTags List #womanempowerment

#womanempowerment

गुरुग्राम: जॉब छोड़कर घर से शुरू किया बेकरी बिज़नेस, अब प्रतिदिन कमातीं हैं 10 हज़ार रूपये

आज इला केक, कुकीज, चॉकलेट्स, ग्लूटेन फ्री ब्रेड, डेसर्ट, आर्टिसनल ब्रेड जैसे बेकरी प्रोडक्ट की 40 से अधिक किस्में समेत अन्य स्वादिष्ट आइटम जैसे पैटी, स्टफ्ड बन्स, पिज्जा और गिफ्ट हैम्पर की पूरे एनसीआर में डिलीवरी करती हैं।

जॉब छोड़ शुरू की खेती, किसानी के साथ-साथ ग्रामीणों को सिखाती हैं अंग्रेज़ी व कंप्यूटर

2012 में कंप्यूटर साइंस में एमटेक करने वाली वल्लरी इस वक्त ट्रैक्टर से अपने खेत जोतने से लेकर फसलों की पैदावार, उनकी मार्केटिंग, पैकेजिंग तक का काम अपनी देख-रेख में करती हैं।

पति के गुजरने के बाद,10 हज़ार रुपये से शुरू किया अचार का बिज़नेस, अब लाखों में है कमाई

By पूजा दास

बाधाओं को अवसर की तरह देखने वाली दीपाली ने अकेले ही अपनी बेटी की परवरिश की है और बिज़नेस को शून्य से शिखर तक पहुँचाया है।

खाट के नीचे एक किलो मशरूम उगाकर की थी शुरुआत, आज हर महीने कमातीं हैं 90 हज़ार रूपये

By पूजा दास

यह बीना की ही मेहनत है, जिस कारण अब मशरुम की खेती उनके 105 पड़ोसी गाँवों में भी मशहूर हो गई है। इन इलाकों से बीना ने करीब 10,000 ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग दी है।

इनसे सीखें: जब डगर-डगर पर हो अगर-मगर तो कैसे जिएँ अपने सपनों को

By नेहा रूपड़ा

यह कहानी है महज 3 महीने में अपने माँ-पिता से अलग हुई और 8 साल की उम्र में भाई बहनों की ज़िम्मेदारी निभाने वाली माया बोहरा की, जिन्होंने अपनी शिक्षा के लिए अपनों से ही बगावत की और आज वह लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम कर रही हैं।

पिता की बीमारी के चलते 13 साल की उम्र में उठाया हल, आज पूरे परिवार को पाल रही है यह बेटी

By Sanjay Chauhan

कोरोना वायरस के वैश्विक संकट के बीच लॉकडाउन के दौरान जहाँ कई युवाओं का रोजगार छिना तो वहीं बबिता ने लॉकडाउन के दौरान भी मटर, भिंडी, शिमला मिर्च, बैंगन, गोबी सहित विभिन्न सब्जियों का उत्पादन कर आत्मनिर्भर मॉडल को हकीकत में उतारा।

गाँव-गाँव घूम महिलाओं को कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करती हैं दिल्ली की विदुषी

लॉ के कोर्स में दाखिला लेने के बाद विदुषी ने जाना कि भारत के संविधान में ऐसे बहुत से कानून हैं जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर महिलाओं को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

मिलिए अहमदाबाद की पहली दिव्यांग महिला ऑटो ड्राइवर से, उठा रहीं पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी!

By सोनाली

पिता के कैंसर, घर की बंद आमदनी और जीरो बचत को ध्यान में रखते हुए अंकिता ने लीग से कुछ हटकर ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला किया।