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जॉब के साथ अपना व्यवसाय भी, 150 रुपये से शुरू कर पहुंची लाखों तक!

By निशा डागर

हर्षिता ने अपनी शुरूआत अपने दोस्तों के लिए पर्सनल स्केचबुक बनाने से की थी और अब वह ब्रांड्स को भी डिजाइनिंग सर्विसेज दे रही हैं!

माँ से 30 हजार उधार लेकर शुरू किया था ऑर्गेनिक खादी ब्रांड, अब 50 लाख का टर्नओवर!

मध्य प्रदेश स्थित KhaDigi जैविक कपास जैसे अन्य प्राकृतिक फाइबर और बांस एवं सोयाबीन के कचरे का उपयोग करता है।

पहले खेती करतीं हैं, फिर उस फसल की प्रोसेसिंग घर पर कर मार्केटिंग भी करतीं हैं यह किसान!

By निशा डागर

जैविक खाद, जीवामृत बनाना हो या फिर गेहूं-बाजरे के उत्पाद, सभी काम उनके यहाँ हाथों से ही होता है!

कभी बच्चे का पेट भरने के लिए दूध में मिलाती थीं पानी, आज कमाती हैं लाखों में!

By पूजा दास

एक सफल उद्यमी शिल्पा कहती हैं,"मैंने अपने बेटे का वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर लिया है।” उन्हें अक्सर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों द्वारा अपनी ज़िंदगी की प्रेरणादायक कहानी साझा करने और बिजनेस मैनेजमेंट पर बात करने के लिए आमंत्रित भी किया जाता है।

ओडिशा की यह महिला किसान 15 गांवों में जरूरतमंदों को मुफ्त वितरित कर रही है सब्जियां!

By पूजा दास

चार बच्चों की माँ, 57 वर्षीय छायारानी साहू कहती हैं, "सैकड़ों लोग हर रोज अपनी जान गंवा रहे हैं मैं अपने काम से लोगों की मदद कर सकती हूं। मौत का डर मुझे परेशान नहीं करता है।” #CoronaWarriors #Respect

जानिए कैसे घर में ही लगा सकते हैं अपना चटनी गार्डन!

By निशा डागर

अनीता तिक्कू पेशे से आर्किटेक्ट हैं और पिछले चार सालों से छत पर उगी सामग्रियों से ही उनके घर में स्वादिष्ट चटनी बनाई जाती है!

800+ गरीब और ज़रूरतमंद महिलाओं को सिक्योरिटी गार्ड बनने की ट्रेनिंग दे रही है यह उद्यमी!

By निशा डागर

पहले ग्रामीण महिलाओं के सवाल होते थे, 'कोई और काम नहीं है क्या? यह तो मर्दों का काम है? पैंट-शर्ट कैसे पहनेंगे, आप साड़ी दे दो?' लेकिन आज यही महिलाएं अपनी यूनिफॉर्म पहनने में गर्व महसूस करतीं हैं!

निर्भया केस ने झकझोड़ा! तब से लेकर अब तक दे चुकीं है 2 लाख को मुफ्त सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग

By निशा डागर

साल 2012 तक हर्षा साहू की ज़िंदगी सामान्य चल रही थी, लेकिन निर्भया घटना के बाद उन्होंने ठाना कि उन्होंने जो सीखा, वह उसे आगे बढ़ाएंगी!

ताउम्र देश के लिए समर्पित रही यह महिला, फिर भी नहीं है इतिहास की किताबों में नाम!

By निशा डागर

नमक सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार किए गए लोग जब जेल से बाहर निकले तो बिल्कुल बेसहारा हो गए थे। न खाने को खाना, न रहने को छत, ऐसे में, उमाबाई ने इन सेनानियों को अपने घर में आश्रय दिया!

इस महिला के बिना नहीं बन पाती भारत की पहली फिल्म!

By निशा डागर

यह महिला भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म की सिर्फ एडिटर या फिर तकनीशियन ही नहीं थीं, बल्कि फाइनेंसर भी थीं!