दिल्ली में रहने वाली अनीता तिक्कू का घर किसी फार्महाउस से कम नहीं है। उनकी छत का हरा-भरा बगीचा तरह-तरह के छोटे जीव जैसे तितली, और अलग-अलग पक्षियों के साथ-साथ बंदरों की भी मनपसन्द जगह है। शहरों में अक्सर लोग बंदरों से बचने के लिए जाल लगवा लेते हैं। लेकिन अनीता ने ऐसा कुछ नहीं किया।
अनीता पेशे से लैंडस्केप आर्किटेक्ट हैं और बताती हैं कि बचपन से ही उनका प्रकृति से काफी गहरा रिश्ता रहा क्योंकि उनके पिता बागवानी करते हैं।
अनीता ने द बेटर इंडिया को बताया, “लोग तो अब सस्टेनेबिलिटी की बात कर रहे हैं और यह ट्रेंड हो गया है। लेकिन मेरे लिए पर्यावरण हर बार सबसे पहले रहा और हमारे हर किसी प्रोजेक्ट में पर्यावरण कोई हिस्सा नहीं है बल्कि सबसे पहले वही आता है कि हम कैसे किसी भी निर्माण को सस्टेनेबल बना सकते हैं।”
अनीता के मुताबिक ‘रिड्यूज, रियूज और रिसायकल’ का उनके जीवन में बहुत महत्व है। उन्हें अपने घर का गीला कचरा बाहर देते हुए भी काफी ग्लानि महसूस होती थी और इसलिए वह हमेशा गीला कचरा घर के बाहर बनी एक क्यारी में डालती। उनके घर में पेड़-पौधों को हमेशा ही जगह मिली लेकिन फिर उन्हें लगा कि इसमें भी कुछ अलग करना चाहिए।
उन्होंने 2016 में टेरेस गार्डनिंग शुरू की और अलग-अलग सब्ज़ियां लगाई। सबसे पहले उन्होंने ग्रो बैग्स में सब्ज़ियां लगाईं और फिर खुद लकड़ी के प्लांटर्स बनाए। आज उनकी छत पर 12 लकड़ी के प्लांटर्स हैं जिनमें वह तरह-तरह की मौसमी सब्ज़ियां उगाती हैं।
अनीता ने कहा, “पहले साल में मैंने जो भी लगाया था उसे बंदरों ने क्षति पहुंचाई। बाद में मुझे समझ में आया कि बन्दर पत्ते वाली सब्ज़ियां नहीं खाते तो अब मैं ज़्यादातर पत्तेदार सब्ज़ियां लगाती हूं। बाकी सर्दियों में मैंने टमाटर भी लगाये थे जिनमें से कुछ बंदरों ने खाए और कुछ हमारे लिए छोड़ दिए।”
वह बताती हैं कि जब आप एक चीज़ शुरू करते हैं तो फिर उससे संबंधित दूसरी चीज करते हैं फिर आगे और कुछ करते हैं। इसी तरह सिलसिला शुरू होता है। अनीता ने भी अपने घर के गीले कचरे को क्यारी में डालने की बजाय इससे खाद बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने घर पर ही पुरानी बाल्टियों से अपनी होम कम्पोस्टिंग किट बनाई और फिर धीरे-धीरे उनकी अपनी खाद बनना शुरू हो गई। अनीता गार्डनिंग और कम्पोस्टिंग करने के साथ-साथ खाने की वर्कशॉप भी करतीं हैं। उन्हें हमेशा से ही अलग-अलग क्षेत्रीय व्यंजनों का शौक रहा है।
किसी पारंपरिक, विशेष व्यंजन के इतिहास के बारे में जानना, इसे समझना और फिर खुद बनाना। अनीता लोगों के लिए वर्कशॉप भी करतीं हैं, जिनमें वह लोगों को सावरडो ब्रेड बनाना और फर्मेंटेशन करना सिखाती हैं। इसके अलावा, वह अचार, सॉस और जैम भी बनाती हैं।
अनीता ने बताया, “मुझे मेरे गार्डन से काफी उपज मिलती है, जिससे घर में आपूर्ति होती है, पड़ोसियों की भी पहुंचा दिया जाता है और फिर भी काफी कुछ बच जाता है। इसलिए मैं इन्हें प्रोसेस करके रखना ही बेहतर समझती हूँ। जैसे अभी टमाटर बचे हुए थे तो मैंने मैरीनारा सॉस बनाकर रख ली। बहुत बार मैं जैम बनाती हूँ और मुझे अचार का भी बहुत शौक है। इस तरह मैं ‘गार्डन टू टेबल’ यानी कि बाग़ से खाने की मेज तक का भी एक कांसेप्ट है मेरे यहाँ,” उन्होंने आगे बताया।
इन सभी व्यंजनों और अन्य चीजों की रेसिपी वह अपने ब्लॉग, ‘अ मैड टी पार्टी‘ पर लिखती हैं। उनका ब्लॉग पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक करें!
चटनी गार्डन:

उत्तर-भारत के ज़्यादातर घरों में पुदीना, धनिया और हरी मिर्च की चटनी बनती हैं और बहुत बार लोग टमाटर भी इसमें डालते हैं। अनीता कहती हैं कि आप यह सभी कुछ अपने घर पर ही उगा सकते हैं ताकि जब भी आपका मन करे आपके पास चटनी बनाने की सभी सामग्री मौजूद हो।
उन्होंने बताया, “लॉकडाउन का समय है और इसलिए घर पर ही जो कुछ उपलब्ध है, हम उसमें ही कुछ करने की कोशिश कर सकते हैं। मुझे लगा कि चटनी ऐसी चीज़ है जो बहुत आसानी से बन जाती है और इसकी सामग्री के लिए बहुत ढूँढना भी नहीं पड़ता है। और इन सभी पौधों को उगाने के लिए आपको बीज और सैपलिंग घर में ही मिल जाएगी।”
सबसे पहले, साबुत धनिया अक्सर भारतीय रसोई में होता ही है क्योंकि आज भी बहुत सी महिलाएं खुद धनिया पाउडर बनाती हैं। इसके अलावा, लाल सूखी मिर्च भी हमारे यहाँ तड़का में इस्तेमाल होती है तो आप इसके कुछ बीज उपयोग में ला सकते हैं। टमाटर और धनिया बाज़ारों में मिल रहे हैं तो आप किसी टमाटर को थोड़ा ज्यादा पकाकर, उसके बीज इकट्ठे कर लीजिए। पुदीना के लिए आप कुछ पुदीना की पत्तियां इस्तेमाल कर सकते हैं।
1. सबसे पहले अपने गमले तैयार करें और इनमें पॉटिंग मिक्स यानी कि खाद और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी भरें। गमला तैयार करने के बाद, एक-एक करके अपने बीज लें। अगर आपके पास गमले नहीं हैं तो आप प्लास्टिक की पुरानी बोतलें या फिर डिब्बा या फिर ग्रो बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
2. साबुत धनिया को एक कपड़े में रखकर हल्का से मसल लें, इससे इसके अंदर से एक दम छोटे-छोटे बीज निकलेंगे, जिन्हें आपको गमले में लगाना है। गमले में बीजों को बुरककर डाले और अब ऊपर से मिट्टी की परत से ढक दें और फिर पानी दें।
3. इसके बाद, मिर्च के बीजों की बारी। याद रहे कि मिर्च की पौध बनाने के बाद आपको उसके पेड़ों को ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। इसलिए एक ही गमले में बहुत से बीज न डालें। बाकी इन्हें भी धनिया के बीजों की तरह ही लगाएं और जब पौधे अंकुरित होने लगें और इस पर ऊपर चार-पांच पत्ते आ जाएं तो आपको हर एक पौध को अलग-अलग गमले में या प्लांटर में लगाना है क्योंकि मिर्च का पेड़ काफी जगह लेता है।
4. टमाटर के बीजों को भी आपको मिर्च के बीजों की तरह ही लगाना है क्योंकि इसके पेड़ भी जगह लेते हैं। इसलिए इसके बीज भी थोड़ी दूरी पर लगाएं एक-दूसरे से।
5. पुदीना के लिए आपको इसके ऊपर के 3-4 पत्तों को छोड़कर नीचे के सारे पत्ते निकाल लेने है और फिर इन्हें मिट्टी में बोना है। ध्यान रहे कि नीचे की तरफ जिस जगह से पत्ते निकल रहे थे, वह हिस्सा मिट्टी में दबे क्योंकि वहीं से बाद में जड़ निकलती है।
अब आपको बस ध्यान रखना है कि इन गमलों की मिट्टी में नमी रहे और कुछ दिनों में आपके बीज अंकुरित होने लगेंगे। धीरे-धीरे आपको आपकी उपज भी मिल जाएगी।
बस फिर, हो गया आपका चटनी गार्डन तैयार। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारे शरीर की ज़रूरत के सूक्ष्म पोषक तत्व इन चारों पौधों में मौजूद हैं। इसलिए अगर चटनी आपके खाने का हिस्सा है तो अच्छी बात है!
गार्डनिंग में संयम बहुत ज़रूरी है इसलिए अगर पहली बार में आपके पौधें न लगें तो निराश न हों। दोबारा कोशिश करें क्योंकि कोशिशें ज़रूर रंग लाती हैं।
फ़िलहाल, अनीता अपने गार्डन में पुदीना, धनिया, कुलफा, तुलसी, बनतुलसी, चौलाई, निम्बू, पोई साग और पालक जैसी चीजें उगा रही हैं।
इसके अलावा, आप अनीता से और भी बहुत कुछ सीख सकते हैं जैसे अलग-अलग सिरका और जैम आदि बनाना। आप अगर उन्हें नियमित तौर पर इंस्टाग्राम पर भी फॉलो करें तब भी आप काफी कुछ सीख सकते हैं। उनका इंस्टाग्राम अकाउंट फॉलो करने के लिए यहाँ पर क्लिक करें!
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