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दो दोस्तों ने जंगल के बीच बनाए मिट्टी के घर व ट्री हाउस, सस्टेनेबल ट्रैवल को दे रहे बढ़ावा

पगडंडी सफारीज़ के को-फाउंडर्स मानव खंडूजा और श्यामेंद्र सिंघारे ने प्रकृति से लगाव और प्यार के चलते साल 1986 में मध्य प्रदेश के पन्ना नेशनल पार्क में कुछ टेंट्स लगाकर इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी और आज यह Pugdundee Safaris Camp एक या दो नहीं, बल्कि हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी 7 अलग-अलग जगहों पर जगलों के बीचो बीच बने हैं।

कभी थे चंबल के बाग़ी, आज हैं 'चीता मित्र'! सरकार ने सिकरवार को सौंपी बड़ी ज़िम्मेदारी

अफ्रीका से लाए गए 8 चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाने के बाद से ग्रामीणों में डर का माहौल है और कई गलतफहमियां भी हैं। ऐसे में एक समय पर चंबल के ख़ौफ़नाक बाग़ी रहे रमेश सिंह सिकरवार को सरकार ने चीता मित्र नियुक्त किया है।

तमिलनाडु: इस किसान के प्रयास से इलाके में हिरणों की संख्या हुई तीन से 1800, जानिए कैसे!

तमिलनाडु के पुदुपलायम में रहने वाले 70 वर्षीय आर गुरुसामी ने 1998 में अपनी गायों और बकरियों के साथ तीन हिरणों को चरते देखा। इसके बाद उन्होंने हिरणों को आसरा देने के लिए अपनी 50 एकड़ जमीन खाली छोड़ दी। आज वहां करीब 1800 हिरण रहते हैं। पढ़िए इंसानों और बेजुबानों के बीच जद्दोजहद की यह प्रेरक कहानी!

होम स्टे के ज़रिये बचाया विलुप्त हो रहे हिम तेंदुओं को, दो लद्दाखियों की अद्भुत कहानी

By द बेटर इंडिया

दो लद्दाखी वन्य जीव संरक्षकों की बदौलत आज हिम तेंदुओं का अस्तित्व है। उन्होंने हिम तेंदुओं को होम स्टे के ज़रिये कैसे बचाया, यह उसकी रोचक कहानी है।

पापा वेकफील्ड: वह पूर्व ब्रिटिश सैनिक, जिन्हें भारत में इको-टूरिज्म का पितामह माना जाता है!

कर्नल जॉन फेलिक्स वेकफील्ड को लोग प्यार से “पापा” बुलाते थे। उन्होंने भारत के पहले इको-टूरिज्म वेंचर को अंजाम दिया था। वह कई वर्षों तक इसके निदेशक भी बने रहे।

23 वर्षों से दुनिया के सबसे छोटे सुअर को बचाने के लिए संघर्षरत हैं असम के यह शख्स!

पिग्मी हॉग दुनिया का सबसे छोटा और खास किस्म का जंगली सूअर है। इसकी लंबाई औसतन 60 सेंटीमीटर और ऊंचाई 25 सेंटीमीटर होती है। जबकि, इसका वजन 8 से 9 किलोग्राम होता है।

20 साल की उम्र में घायल सांड को बचाने से की शुरुआत, आज हज़ारों बेज़ुबानों की कर रहे हैं मदद!

भागलपुर के रहने वाले दीपक सिर्फ पक्षियों के ही नहीं बल्कि, कछुओं, डॉलफिन और अन्य वन्य जीवों के भी मददगार हैं।

हैदराबाद: हर दिन जंगल में पशु-पक्षियों के लिए 400 लीटर पानी भरते हैं 'बाबा' जहाँगीर!

By निशा डागर

अगर आप जहाँगीर से पूछेंगे कि आप इस काम को कब तक करते रहेंगे? तो वह मुस्कुराकर कहते हैं, "जब तक मैं जीवित हूँ।"

अपने जीवन के 20 साल देकर, पूर्व सिविल सेवक ने बसाया टाइगर रिज़र्व

By पूजा दास

“कभी-कभी, मुझे बाघों को किसी भी बाहरी खतरे से बचाने के लिए जंगल में रात बितानी पड़ती है। मैं यह भी सुनिश्चित करता हूं कि जंगल में पानी वाले गड्ढ़े, चिलचिलाती गर्मियों में भी हमेशा भरे रहें, ताकि जानवर हमेशा अपनी प्यास बुझा सकें।” - आदित्य सिंह