Placeholder canvas

दुर्लभ पौधों से लेकर संकटग्रस्त जानवरों तक को बचा रहे हैं यह IFS अधिकारी

तमिलनाडु के रहने वाले पी. शिव कुमार 2001 बैच के आइएफएस अधिकारी हैं।

तमिलनाडु के रहने वाले पी. शिव कुमार नीलगिरी की पहाड़ियों के बीच पले-बढ़े। बचपन में वह जंगलों से रंगीन बीज जमा कर, उसे मिट्टी में लगाते थे और पौधे को बड़ा होते देख, उनका मन प्रफुल्लित हो जाता था।

जंगलों की नियमित यात्रा के कारण, उन्हें यहाँ के वन अधिकारी भी पहचानने लगे।

Assam IFS
पी. शिवकुमार

“हम वनों की रक्षा कर रहे अधिकारियों को सलाम करते थे। वे हमें अक्सर चॉकलेट बाँटते थे और जंगलों के बारे में और अधिक जानने के लिए प्रेरित करते थे,” 46 वर्षीय शिव कहते हैं, जो आज खुद भी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के फिल्ड डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं।

वह कहते हैं, “यह साल 1993 की बात है। पश्चिम बंगाल कैडर के मनोज कुमार को यहाँ भागीय वन अधिकारी (DFO) के रूप में तैनात गया था। उन्होंने जंगलों के प्रति मेरे प्यार को पहचाना और मुझे वन सेवा में शामिल होने की सलाह दी।”

शुरू की पार्ट टाइम नौकरी

जब शिव आठवीं कक्षा में थे, अपने घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण, अपनी पढ़ाई छोड़ देना चाहते थे। 

वह कहते हैं, “मेरे माता-पिता, वन विभाग में मजदूरी करते थे। इससे जो कमाई होती थी, उससे घर चलाना मुश्किल हो रहा था। लेकिन, एक अधिकारी ने मुझे अपने जीवन और माता-पिता को दोष देने के बजाय, जिंदगी में आगे बढ़ने की हिम्मत दी।”

Assam IFS

अधिकारी मनोज कुमार की सलाह के बाद, शिव ने पार्ट टाइम नौकरी शुरू कर दी, ताकि वह खुद का खर्च निकाल सकें।

वह कहते हैं, “अपने माता-पिता को समझाने के बाद, मैंने वन विभाग के फोन बूथ और प्रिंटिंग प्रेस में काम करना शुरू कर दिया। मैं बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था।”

शिव को एक ट्यूशन सेंटर पर एक स्थायी शिक्षक के रूप में नौकरी मिल गई थी, उन्होंने यहाँ 5 साल तक नौकरी की। वन महाविद्यालय और अनुसंधान संस्थान, मेट्टुपालयम से मास्टर्स करने के बाद, वह साल 2000 में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल कर, भारतीय वन सेवा से जुड़े।

सपना हुआ साकार

असम कैडर में 2 वर्षों तक एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में काम करने के बाद, शिव को 2002 में तेजपुर में वन सहायक संरक्षक के रूप में नियुक्त किया गया।

तब से, वह कई समुदाय-उन्मुख कार्यक्रमों की अगुवाई कर रहे हैं और पूर्वी घाट में कई स्थानिक प्रजातियों और वन्यजीवों की रक्षा कर रहे हैं।

इस क्षेत्र में शिव के उल्लेखनीय योगदानों के लिए विश्व बैंक द्वारा साल 2009 में, उन्हें राष्ट्रीय वानिकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बाद में, डिगबोई में एक कार्यकाल के दौरान, उन्होंने संरक्षण के लिए 250 किस्म के पौधों को पहचानने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Assam IFS

वह कहते हैं, “हम 165 किस्म के पौधों के साथ, एक नर्सरी बनाने में सफल रहे। इससे वनों के संरक्षण में मदद मिल सकती है। स्थानीय प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के लिए, क्षेत्र में कम से कम 100 पौधों को लगाने की जरूरत है। यदि जंगलों को इसे कोई नुकसान होता है, तो उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए नर्सरी में लगे पौधे का इस्तेमाल किया जा सकता है।”

इन कार्यों के अलावा, शिव ने एक सींग वाले गैंडों के संरक्षण में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

इसे लेकर वह कहते हैं, “गैंडों के अवैध शिकार के कई मामले सामने आ रहे थे और लओखोवा क्षेत्र से कई जानवर गायब भी हो गए थे। इसके बाद हमने यहाँ काजीरंगा से गैंडों को स्थानांतरित किया। मौजूदा आबादी को बचाने के लिए अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की जरूरत है।”

शिव कहते हैं कि संरक्षण और विकास के इन प्रयासों के फलस्वरूप काजीरंगा में, 2009 में, एक आगंतुक के मुकाबले 2019 में 8,000 आगंतुकों को दर्ज किया गया।

Assam IFS

साल 2019 में, उन्हें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट और फिल्ड डायरेक्टर के रूप में पदोन्नत कर दिया गया। पिछले 2 वर्षों के दौरान, उन्होंने वन्यजीवों, खास कर, हाथियों, गैंडों और जंगली भैंसों के लिए छह वेटलैंड बनाए हैं।

मिस्टर काजीरंगा

साल 2020 में, स्थानीय लोगों द्वारा शिवकुमार को मिस्टर काजीरंगा की उपाधि दी गई।

ऐसा इसलिए कि उन्होंने हैबिटेट को 430 वर्ग किमी से बढ़ाकर 900 वर्ग किमी के दायरे तक विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस तरह, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल, इस उद्यान से तीन और हेबिटेट जुड़ गए। पूर्व में इसे छह बार विस्तारित किया जा चुका है।

बता दें कि साल 1905 में करीब 430 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को काजीरंगा प्रस्तावित रिजर्व फॉरेस्ट बनाया गया था। फिर, 1908 में इसे रिजर्व फॉरेस्ट घोषित कर दिया गया। साल 1950 में, इस पार्क को काजीरंगा वन्यजीव अभ्यारण्य बना दिया गया। फिर, 1968 में असम राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम पारित हुआ और काजीरंगा को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। इसके बाद, 1985 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया गया।

हालांकि, इसका विस्तार कार्य पिछले 2 दशकों से अधर में पड़ा था। इसे लेकर शिव कहते हैं, “यहाँ, जानवरों के अवैध शिकार का खतरा हमेशा बना रहता है, खास कर गैंडों के। वर्षों से यहाँ के अधिकारियों की प्राथमिकता संकटग्रस्त वन्यजीवों के रक्षा की थी।”

वह कहते हैं कि अब जब वन्यजीव अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं, तो हेबिटेट के दायरे को बढ़ाने और सुधारने का लक्ष्य तय किया गया है।

“इसके दायरे को बढ़ाने के साथ, बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के जानवरों के स्वतंत्र आवागमन के लिए नौ गलियारे हैं। वन्यजीवों की बढ़ती आबादी को देखते हुए, हेबिटेट का विस्तार जरूरी हो जाता है,” शिव कहते हैं।

क्या है भविष्य की योजना

शिव कहते हैं कि जानवरों के स्वतंत्र आवागमन के लिए यहाँ  35 किमी के दायरे में, तीन खंडों में एलिवेटेड रोड बनाए जाएंगे। 

वह कहते हैं, “वन्यजीवों को कम से कम परेशानी हो, इसके लिए यहाँ वाहनों के आवाजाही पर भी लगाम लगाए जा रहे हैं। पार्क के अंदर वाहनों को ट्रैक करने के लिए सेंसर लगाए गए हैं।”

अधिकारी का कहना है कि वर्तमान में, पर्यटकों को लुभाने के लिए नए पर्यटन स्थलों को बनाने पर काफी जोर दिया जा रहा है। इसी के तहत, पार्क में छह नए स्पॉट बनाए गए। इस तरह, यहाँ कुल स्पॉट की संख्या 10 हो गई।

आगंतुकों के लिए नए पर्यटन स्थानों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, सीमांत क्षेत्रों में  बोटिंग, ट्रेकिंग, साइकिलिंग की अनुमति देने की योजना भी चल रही है।

अंत में, शिव कहते हैं कि उनका काम तभी पूरा होगा, जब टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट और बेहतर पर्यटन अनुभव के लिए, उनके नए प्रस्तावों को मान लिया जाएगा।

मूल लेख – HIMANSHU NITNAWARE

संपादन – जी. एन. झा

यह भी पढ़ें – बेस्ट ऑफ 2020: 10 पर्यावरण रक्षक, जिनकी पहल से इस साल पृथ्वी बनी थोड़ी और बेहतर

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।

Assam IFS, Assam IFS, Assam IFS, Assam IFS, Assam IFS

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X