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Water Conservation

जानिए कैसे भागीरथ प्रयासों से सूखाग्रस्त गाँव बन गया देश का पहला 'जलग्राम'!

By निशा डागर

"हमने इस काम के लिए एक पैसा भी सरकार से नहीं लिया है। क्योंकि पानी सरकार का नहीं समाज का मुद्दा है!"- उमा शंकर पांडेय

'झाबुआ का गाँधी': जल, जंगल, ज़मीन के लिए शुरू किया जन-अभियान, 600 से ज्यादा गांवों की बदली तस्वीर!

By निशा डागर

साल 2007 में महेश शर्मा ने शिवगंगा संगठन की नींव रखी थी, जिसका उद्देश्य है, 'विकास का जतन!' जल और जंगल के संरक्षण के साथ-साथ यह संगठन यहाँ युवाओं को उद्यमिता का कौशल भी सिखा रहा है!

बांस और कचरे से महज़ 4 महीने में बनाया सस्ता, सुंदर और टिकाऊ घर

घर में ग्राउंड फ्लोर को मिलाकर कुल दो फ्लोर हैं और हर फ्लोर में दो लेवल हैं। साथ ही इस निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली 90 प्रतिशत सामग्री रिसाइकल्ड है।

इंदौर के IAS ने सरस्वती नदी के 2 किमी इलाके को बनाया 100% मैला मुक्त, जानना चाहेंगे कैसे?

By पूजा दास

सरस्वती नदी का दो किलोमीटर का इलाका पूरी तरह मैला मुक्त और जलीय जीवन से संपन्न हैं। इसका पूरा श्रेय इंदौर नगर आयुक्त, आशीष सिंह को जाता है।

मिलिए 'सूखे बोरवेल के डॉक्टर' अयप्पा मसगी से, 50 लाख लोगों को मिली है मदद!

By निशा डागर

"मैं बचपन में 3 किमी दूर से माँ के साथ जाकर पानी लाता था और यही सोचता था कि कैसे यह परेशानी खत्म होगी। फिर मेरी माँ चक्की पिसती तो गाती थी कि उनका बेटा सब ठीक कर देगा। बस वहीं से मेरे मन में यह बात रच-बस गई कि मुझे पानी के लिए काम करना है।"

गाँव के लोगों ने श्रमदान से बनाए तालाब, 6 गांवों में खत्म हुई पानी की किल्लत!

By निशा डागर

इन गांवों में हर परिवार के पास अब अपना तालाब है और अब उन्हें न तो घरेलू इस्तेमाल के लिए और न ही सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है!

‘जल-योद्धा’ के प्रयासों से पुनर्जीवित हुई नदी, 450 तालाब और सैकड़ों गांवों की हुई मदद!

By निशा डागर

सालों के अथक प्रयास के बाद, रमन कांत उत्तर-प्रदेश की काली नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने में सफल रहे हैं। 598 किमी तक बहने वाली इस नदी के किनारे 1200 गाँव और कस्बे बसे हुए हैं!

युवाओं की कोशिश ने बंजर पहाड़ी को दी ज़िंदगी, लगाए 4 हज़ार पेड़!

By निशा डागर

इस पहाड़ी पर पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। इसलिए उन्होंने मोटर पंप की मदद से नीचे से पानी ऊपर पहुँचाया और फिर पहाड़ी पर एक कृत्रिम तालाब बनाकर इसे सहेजा ताकि सिंचाई की जा सके!

मिट्टी से वॉटर प्यूरीफायर, फाइबरग्लास वेस्ट से टॉयलेट, एक शख्स ने बदली गाँवों की तस्वीर!

By निशा डागर

लगभग 2000 गाँवों की यात्रा कर चुके चंद्रशेखरन ने गौर किया कि इन सभी गाँवों में दो समस्याएं थीं - पहली, पीने योग्य पानी की कमी, और दूसरी, शौचालय!