हरिद्वार के रहनेवाले सुधीर सैनी ने जब 2018 में अपना खुद का घर बनाया, तब उन्होंने घर को सजाने के लिए कई पौधे पहले ही तैयार कर लिए थे। यही कारण है कि उनका घर आज फूलों की बेल से भरा हुआ है।
बेंगलूरु की प्रतिमा अदिगा पेशे से शेफ हैं और जब से उन्हें बाहर मिलने वाली सब्जियों के केमिकल के बारे में पता चला, तब से उन्होंने घर पर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया। आज वह खुद के साथ-साथ शहर के 170 लोगों को गार्डनिंग सिखा रही हैं।
अंगुल (ओडिशा) की मोनालिसा पटनायक पांच सालों से अपने घर के गार्डन को किसी थीम पार्क की तरह सजा रही हैं। कभी उनका गार्डन शांति का सन्देश देता है, तो कभी शादी की झांकी दिखाता है। मजेदार बात तो यह है कि इसके लिए वह सिर्फ घर की बेकार चीजों का ही इस्तेमाल करती हैं।
सूरत की रहनेवाली 42 वर्षीया मीनलपंड्या का गार्डनिंग से लगाव लॉकडाउन के दौरान ही बढ़ा। घर में रहते हुए, उन्होंने ऑनलाइन गार्डनिंग सीखी और घर की चीजों से ही एक किचन गार्डन तैयार कर लिया।
सूरत की जागृति पटेल ने तीन साल पहले जब अपना घर बनवाया, तो उन्हें छत पर सब्जियां उगाने का ख्याल आया। उन्होंने टेरेस गार्डनिंग का कोर्स किया और शुरू हो गईं। आज वह तक़रीबन सभी सब्जियां घर पर ही उगा लेती हैं।
88 वर्षीय पद्माकर फरसोले, 30 सालों से बागवानी कर रहे हैं। वह घर पर ही कम्पोस्ट बनाकर जैविक फल-सब्जियां उगाते हैं और इसे ही वह अपने अच्छे स्वास्थ्य का कारण भी मानते हैं।
दिल्ली के रहने वाले अजय कुमार झा की छत पर 1000 से ज्यादा पेड़-पौधे लगे हुए हैं, जिनमें मौसमी सब्जियों के साथ-साथ अंगूर, अनार, चीकू, अमरुद, संतरा, नींबू, तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, एलोवेरा, नीम, धतूरा, अपराजिता, वैजयंती, रुद्राक्ष जैसे पेड़-पौधे शामिल हैं।