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परीक्षा से पहले पिता व भाई को खोया, हिम्मत और लगन से हिमांशु नागपाल 22 की उम्र में बने IAS

हरियाणा के हिसार के रहने वाले हिमांशु नागपाल ने अपनी ज़िंदगी में कई दुख झेले, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत कर IAS अधिकारी बने। हिमांशु की कहानी काफी प्रेरणादायक है, जिन्होंने पिता और भाई की मौत के बाद खुद को संभालते हुए AIR 26 के साथ UPSC परीक्षा पास की।

डोनेट नहीं इन्वेस्ट करें! भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाने का काम कर रहे चंद्र मिश्रा

By द बेटर इंडिया

“डोंट डोनेट, इन्वेस्ट“‌ इसी टैगलाइन के साथ, बनारस को बेगर फ्री बनाने के लिए चंद्र मिश्रा ने 'Beggars Corporation' की स्थापना की है, जिसका मकसद भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाना है।

पुर्णिमा पांडे: कैसे तय किया बनारस की इस बिटिया ने स्वर्ण पदक तक का सफर

By अर्चना दूबे

कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में बनारस की पूर्णिमा पांडेय ने देश के लिए गोल्ड मेडल जीत लिया है। इससे पहले जेरेमी लालरिनुंगा ने पुरुष वर्ग की वेटलिफ्टिंग में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए गोल्ड जीता था।

टूटे हुए पेड़ों और बेकार लकड़ी के टुकड़ों से बनाते हैं Sustainable Furniture

By प्रीति टौंक

वाराणसी के संदीप सरन, 'काठ कागज' नामक होम-स्टूडियो चलाते हैं, जहाँ बेकार पड़ी लकड़ियों का इस्तेमाल कर, वह अपने ग्राहकों की जरूरतों के मुताबिक़ Sustainable Furniture बनाकर देते हैं।

नौकरी छोड़, तीन भाइयों ने शुरू किया मोती पालन, गाँव के 180+ लोगों को दिया रोज़गार

By प्रीति महावर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नारायणपुर गांव में रहने वाले तीन भाइयों, श्वेतांक पाठक, रोहित आनंद पाठक, मोहित आनंद पाठक और उनके चाचा, जलज जीवन पाठक ने गांव वालों की मदद करने के लिए, अपनी-अपनी नौकरी छोड़कर, ‘उदेस पर्ल फार्म्स’ की स्थापना की। यहाँ मोती पालन के ज़रिए वे, 180 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

नहीं थी ज़मीन तो छत को बनाया खेत, उगाते हैं हर तरह की मौसमी सब्ज़ियाँ

By निशा डागर

वाराणसी के रहने वाले नंदलाल मास्टर और रंजू सिंह अपने घर की छत पर मौसमी सब्ज़ियाँ जैसे बैगन, टमाटर, लौकी, सेम, खीरा, करेला,पालक,लहसून, भिन्डी आदि उगा रहे हैं!

बनारस: फैशन इंडस्ट्री छोड़कर गाँव में शुरू किया बिज़नेस, दिया 350 महिलाओं को रोज़गार

By निशा डागर

लगभग 18 साल फैशन इंडस्ट्री में काम करने के बाद शिप्रा ने कुछ अलग करने की सोची और उन्होंने खाद्य उत्पादों पर काम शुरू किया!

मदन मोहन मालवीय: वह स्वतंत्रता सेनानी जो अकेले 172 क्रांतिकारियों को बचा लाया था।

By निशा डागर

मालवीय फिर से भारत की भूमि पर जन्म लेकर अपने जीवन को गरीबों और ज़रुरतमंदों के लिए समर्पित करना चाहते थे।

200 बच्चों को मुफ्त पढ़ाता है 'मिड डे मील' बनाने वाली माँ का यह बेटा!

By निशा डागर

"बहुत से लोग मुझे पागल ही कहते थे क्योंकि मैं कचरा बीनते बच्चों को, बकरी चराते बच्चों को इकट्ठा करके एक टोली बना लेता और उन्हें अपने घर पर लाकर कुछ न कुछ पढ़ाना शुरू कर देता था। पर मेरी माँ तब भी मेरे साथ खड़ी रहीं।"