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कोनोहा ईको फार्मस्टे: मिट्टी का बना पारंपरिक कोंकनी घर!

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर पुराने समय से जुड़ना, पारंपरिक मिट्टी के घर में रहना और देसी जीवनशैली का अनुभव करना चाहते हैं, तो अदिति मुजुमदार का 'कोनोहा' ईको स्टे है बिलकुल परफेक्ट!

आर्मी कपल जिन्होंने बंजर ज़मीन पर बना दिया हरा-भरा होमस्टे

जहाँ कभी केवल कांटें उगते थे, उस ज़मीन पर आज बसा है हरियाली से घिरा देवरा होमस्टे! यह नतीजा है दिल्ली के रहने वाले मेजर दुर्गा दास और उनकी पत्नी ज्योति जसोल की मेहनत और जज़्बे का। 1994 में इस कपल ने अपने सपने को जीने का फैसला किया और आज वे देश-विदेश से आने वाले कई मेहमानों का अपने यहाँ स्वागत करते हैं; उन्हें हेरिटेज कुकिंग सिखाते हैं। इसके अलावा मेहमानों को बर्ड वॉचिंग, विलेज टूर जैसे कमाल के अनुभव कराते हैं।

बाप-बेटी फार्मस्टे: शहरी जीवन छोड़, लोगों को खेती सिखा रही है यह पिता-पुत्री की जोड़ी

ज़्यादा से ज़्यादा लोग खेती को समझ सकें, इसके लिए ये बाप बेटी की जोड़ी Educational Permacultural Farm Tour कराते हैं। Sustainable Farming की जानकारी के साथ-साथ महाराष्ट्र के अनिल और स्नेहा राजगुरु ने यहाँ आने वाले मेहमानों के लिए एक खूबसूरत फार्मस्टे भी बनाया है।

प्रकृति से जोड़ता कोंकणी होमस्टे, है हज़ारों तितलियों का घर

प्रकृति के बीच रहने का अनुभव चाहिए तो अब हिमालय पर जाने की ज़रूरत नहीं है, आप महाराष्ट्र के Vanoshi Homestay में आकर भी ठहर सकते हैं।

महाराष्ट्र के गाँव में हज़ारों साल पुरानी तकनीक से बना एक ऐसा घर जो है प्रकृति का हिस्सा

बैम्बू, गोबर, मिट्टी, ईंटें, रीसाइकल्ड लकड़ी और स्थनीय पत्थर; आस-पास मिलने वाली चीज़ों से यह घर बनाया है महाराष्ट्र के तीन दोस्तों ने, जो पेशे से आर्किटेक्ट हैं और गाँव की साधारण जीवनशैली से बेहद प्रभावित हैं। इसलिए इन्होंने अपनी कला से बनाया है यह प्राकृतिक घर।

मिट्टी-पत्थर से 40+ इमारत बना चुकीं हैं ये आर्किटेक्ट, 2000+ छात्रों को भी किया प्रशिक्षित

बेंगलुरू स्थित आर्किटेक्चर फर्म ‘मेसन्स इंक’ के संस्थापक रोजी पॉल और श्रीदेवी चंगाली, अपनी संस्था के तहत हेरिटेज कंजर्वेशन, अर्थेन स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामान्य लोगों को इसके महत्व को लेकर जागरूक की दिशा में वर्षों से प्रयासरत हैं।

कर्नाटक: बेकार प्लास्टिक से 10 दिनों में बनाया घर, हर तरफ हो रही है प्रशंसा

रीसाइकल्ड प्लास्टिक से बनाए इस घर में एक बड़ा कमरा होने के साथ ही, एक स्टोर रूम, बाथरूम, रसोई, और आँगन भी हैं। इसे बनाने में करीब 1,500 किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग किया गया है।

28 डिग्री में रह सकते हैं, तो AC की क्या ज़रुरत? ऐसे कई सवाल सुलझा रहे हैं यह आर्किटेक्ट

"भारत में ग्रीन बिल्डिंग को लेकर जिस प्रैक्टिस को अपनाया जा रहा है, उससे घर में ऊर्जा की काफी खपत होती है और यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।” - संजय प्रकाश

घर से गर्म हवा निकालने के लिए अपनाया परंपरागत तकनीक, गर्मी में भी नहीं पड़ती AC की जरूरत

केरल के कोट्टायम की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच त्रावणकोर वास्तुकला के आधार पर बने इस घर में पैसिव कूलिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण भीषण गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ती है।

ढाई वर्ष, 22 देश, यात्रा में बनाए कई घर, बचाई कई जिंदगियाँ

वसुधैव राइड एक ऐसी यात्रा थी, जिसके तहत प्रशांत और बेन ने मोटर साइकिल से 30 महीने में भारत से नेपाल, तिब्बत, चीन, यूनान, स्कॉटलैंड जैसे 22 देशों की यात्रा कर डाली।