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Sustainable life

एक बैग में दुनिया बसा बिताए 12 साल, इनसे सीखिए सादा और खुशहाल जीवन जीने के गुर

By प्रीति टौंक

41 वर्षीया दीपा पिछले 12 सालों से एक खानाबदोश ज़िन्दगी जी रही हैं। चलिए जानें उनके जीवन जीने के इस अनोखे तरीके के बारे में।

दो दोस्तों ने नौकरी छोड़ शुरू की अपनी कंपनी, हजारों साल पुरानी परंपरा से बनाते हैं घर

तमिलनाडु के कोयम्बटूर के रहनेवाले श्रीनाथ गौतम और विनोथ कुमार ने साल 2018 में सस्टेनेबल आर्किटेक्चर को बढ़ावा देने के लिए ‘भूता आर्किटेक्ट्स’ की शुरुआत की। पढ़ें, कहां से मिली उन्हें इसकी प्रेरणा?

इन 10 छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर, आप जी सकते हैं सस्टेनेबल जीवन

By प्रीति टौंक

पढ़िए सस्टेनेबल जीवन जीने के इन 10 तरीकों के बारे में, जिन्हें अपनाकर आप कर सकते हैं पर्यावरण संरक्षण में मदद।

IITian ने नौकरी छोड़ बसाया गाँव, 160 लोग शहर छोड़, प्रकृति के बीच जी रहे सुखद जीवन

हैदराबाद के सुनीथ रेड्डी ने अपने दोस्त शौर्य चंद्रा के साथ ‘बी फॉरेस्ट’ की शुरुआत की थी। उनकी यह पहल उन लोगों के लिए है, जो शहर की भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति के नजदीक रहकर जैविक खेती करना चाहते हैं।

एक घर ऐसा भी: न कोई केमिकल घर आता है, न कोई कचरा बाहर जाता है

By निशा डागर

देहरादून, उत्तराखंड की रहनेवाली, 47 वर्षीया अनीशा मदान पिछले 12-13 सालों से स्वस्थ और इको-फ्रेंडली जीवन जी रही हैं। जानिए कैसे आया यह बदलाव।

घर में नहीं है AC, कूलर और फ्रिज, सौर कुकर में खाना बनाकर बचाती हैं 15 दिन की गैस भी

By निशा डागर

पुणे की पल्लवी पाटिल और उनका परिवार पिछले सात सालों से एक इको-फ्रेंडली जीवन जी रहे हैं।

बिजली-पानी मुफ्त और खाना बनता है सोलर कुकर में, बचत के गुर सीखिए इस परिवार से

By निशा डागर

गुजरात के भरुच में रहनेवाली 29 वर्षीया अंजलि और उनका परिवार 'सस्टेनेबल' तरीकों से जीवन जी रहा है।

न बिजली-पानी का बिल, न सब्जी-फल का खर्च, कच्छ की रेतीली जमीन पर बनाया आत्मनिर्भर घर

By प्रीति टौंक

कच्छ का भुज शहर, अपनी रेतीली मिट्टी और कम वर्षा के लिए जाना जाता है, लेकिन भुज के गोर परिवार ने एक ऐसा हरा-भरा आशियाना बनाया है, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है और आत्मनिर्भर है।

शहरी जीवन छोड़ पहाड़ों में बनाई टिकाऊ इमारत, 100 सालों तक चलेगा यह फार्मस्टे

By अर्चना दूबे

दिल्ली के रहनेवाले अनिल चेरुकुपल्ली और उनकी पत्नी अदिति ने शहरी जीवन छोड़, पहाड़ों में एक ऐसा फार्मस्टे बनाया, जिसकी उम्र 100 सालों से भी अधिक है। इसे बनाने में न पेड़ों को काटा गया है और न ही पहाड़ों को।