सस्टेनेबल लिविंग को ध्यान में रखकर Bir Terraces को पारंपरिक पहाड़ी तरीके से बनाया गया है। वादियों में बसे इस घर को बनाते समय एक भी पेड़ नहीं काटा गया और इसे बनाने में रीसाइकल्ड लड़की जैसी प्राकृतिक चीज़ों का ही इस्तेमाल किया गया है।
लगभग 100 साल पुराने हिमाचली काठ कुनी घर को खूबसूरत होमस्टे में बदलकर फरीदाबाद के रहने वाले देवेश जोशी अपने शहरी मेहमानों के बीच सस्टेनेबल लिविंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। यहाँ आने वाले लोग प्रकृति के बीच वक़्त बिताने के अलावा कई अडवेंचरस एक्टिविटीज़ में भी हिस्सा ले सकते हैं।
मनाली से 8 Km दूर कन्याल गांव में बना 'जंगल हट' हिमाचल आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बड़े-बड़े आलिशान और सुविधाजनक होटल छोड़कर लोग इंजीनियर अतुल बोस के इस मिट्टी, पत्थर और लकड़ी से बने होमस्टे में ठहरने आते हैं, जहाँ उन्हें प्रकृति के बीच रहने और सस्टेनेबल लिविंग का अनुभव मिलता है।
आम घरों के मुकाबले 50% कम खर्च में तैयार हुआ है कोल्हापुर में बसा 'गौड़ देश' इको फ्रेंडली घर, जहां मौजूद हैं बायो गैस, मिट्टी का फ्रिज, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसी सभी सस्टेनेबल सुविधाएं। सस्टेनेबल आर्किटेक्चर का यह बेहतरीन नमूना पर्यावरणविद् राहुल देशपांडे की पहल है, जिसे उन्होंने प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए बनाया है।
कभी मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले पवित्रा और रिनास आज खेतों में काम करते हैं और उन्हें यह मेहनत करने में मज़ा आ रहा है। सबसे अच्छी बात है कि आज वे एक हेल्दी लाइफस्टाइल जी रहे हैं।
गुरुग्राम के रहनेवाले एक आम शहरी कपल, जो उत्तराखंड गए तो छुट्टियां मनाने, लेकिन वहीं के होकर रह गए। आसान नहीं था अपनी जॉब छोड़कर आना और सस्टेनेबल लाइफ चुनना! लेकिन आज लवप्रीत और प्रीती खेती कर एक सुकून भरी ज़िंदगी जी रहे हैं।
द बेटर इंडिया ने एक अनोखे तरह के पुरस्कार की शुरुआत की है। सस्टेनेबल टूरिज़्म अवॉर्ड के तहत उन हीरोज़ को सम्मानित किया जाएगा, जो टूरिज़्म के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं और जिनके काम का इस क्षेत्र में पॉज़िटिव प्रभाव पड़ा है।
अन्वित ने जब साल 2018 में शहर के बीच में मिट्टी का घर बनाने के फैसला किया, तब लोगों ने कहा- ये पुरानी तकनीक है, आज के समय में ऐसे घर में कौन रहता है? लेकिन अब आस-पास से ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से लोग मिट्टी के इस दो मंज़िला घर को देखने आते हैं।
दिल्ली की एक आईटी कंपनी में काम करने वाले अमित मेहता ने एक अनोखा कदम उठाते हुए अपने अपार्टमेंट की छत पर सोलर पैनल लगाया है। । मात्र एक साल में ही अमित, सोलर पैनल को फिक्स्ड डिपॉजिट से ज़्यादा फ़ायदेमंद मानने लगे और अब दूसरों को भी सोलर से जुड़ने की सलाह देते हैं।