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130 साल पुराने बंगले को बनाया लग्ज़री होटल, प्रकृति के बीच बसा है यह खूबसूरत आशियाना

दिल्ली के 25 वर्षीय श्रेय गुप्ता ने अपनी फर्म 'ब्लू बुक होटल्स' के ज़रिए नैनीताल के गेठिया में, प्रकृति के बीच एक ऐसा लग्जरी होटल बनाया है, जहाँ जाकर आप बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच रह सकते हैं और खूबसूरत नज़ारों का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, ब्रिटिश एरा के बंगले को बदलकर बनाया गया यह होटल अपने मेहमानों को पुराने ज़माने की फील देता है।

पहले भरते थे रु. 10000 का बिजली बिल, अब ‘ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम’ लगवाने से बिल हुआ जीरो

By निशा डागर

अहमदाबाद, गुजरात में रहने वाले 31 वर्षीय डॉ. दिलीपसिंह सोढ़ा ने, अपनी छत पर पाँच किलोवाट क्षमता वाला सोलर सिस्टम लगवाकर, अपने घर के बिजली बिल को जीरो कर लिया है। इसके साथ ही, वह अपने पिता के साथ मिलकर पौधरोपण, ‘ट्रीगार्ड’ और ‘कार फ्री डे’ जैसी पहलों पर भी काम कर रहे हैं।

मिट्टी से घर बनाना, पिछड़ेपन का प्रतीक है?” ऐसे कई मुद्दों को सुलझा रहे यह आर्किटेक्ट

बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।

700 रूपये में 1500 किमी! इनसे लीजिए सबसे सस्ती यात्रा करने के टिप्स

By प्रीति महावर

राजस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजिनियर आकाश ने, 50 पैसे प्रति किमी से भी कम में तय की, टाटा नेक्सन इलेक्ट्रिक कार से, जयपुर से लोंगेवाला तक की 1500 किमी की लम्बी राउंड ट्रिप।

मिट्टी-पत्थर-लकड़ी से बनाते हैं घर, निर्माण में लगीं लकड़ियों से दस गुना उगाते हैं पेड़

स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद संदीप बोगाधी ने दिल्ली और बेंगलुरु के फर्मों के लिए काम किया। लेकिन, कुछ अलग करने की चाहत में, उन्होंने नौकरी छोड़ लद्दाख को ही अपना घर बना लिया।

मिलिए एक ऐसी जोड़ी से, जिनके घर में न पंखा है और न ही बल्ब!

बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।

बेस्ट ऑफ 2020: 10 पर्यावरण रक्षक, जिनकी पहल से इस साल पृथ्वी बनी थोड़ी और बेहतर

इन योद्धाओं का प्रयास आने वाले वर्षों में पर्यावरण संरक्षण की दरकार को बढ़ाने में, महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

IAS का कमाल, कार्बन क्रेडिट से 50 लाख रूपये कमाने वाला देश का पहला शहर बना इंदौर

मध्य प्रदेश के इंदौर की एक आईएएस अधिकारी ने परियोजनाओं के लिए अर्जित कार्बन क्रेडिट को बेचने के बाद, इससे 50 लाख रुपए का राजस्व हासिल कर, ग्रीन प्रोजेक्ट को मोनेटाइज करने का तरीका खोज लिया है।

जंगल को आग से बचाने के लिए अनोखी पहल, चीड़ के काँटों से बना दिया बायोडिग्रेडेबल फेस शील्ड

जंगल में आग की समस्या को देखते हुए अभिनव ने अपने साथी, मैत्री वी के साथ मिलकर अपने वेंचर वाशिन कम्पोजिट्स के तहत, चीड़ के काँटों से अब तक बायोडिग्रेडेबल फेस शील्ड, चम्मच, मग से लेकर प्लेट्स, बाउल्स और ग्लास जैसी कई अविश्वसनीय उत्पादों को बना दिया। आज उनके उत्पादों की माँग पूरे देश में है।

कुल्हड़ से बनी छत और लकड़ी-पत्थर के शानदार मकान, ये आठ दोस्त बदल रहे हैं गाँवों की तस्वीर

आर्किटेक्टचर कंपनी कंपार्टमेंट्स एस4 की शुरुआत सीईपीटी, अहमदाबाद के 8 दोस्तों ने मिलकर की। इसके तहत उनका इरादा सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के जरिए सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना था और महज 3 वर्षों में ही उन्होंने इस दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।