अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।
संदीप सिंह द्वारा ब्लू ट्राइब फूड की शुरुआत नवंबर 2020 में की गई। इसके द्वारा फिलहाल, इकोफ्रेंडली Plant-Based Chicken Nuggets को पेश किया जा रहा है। वे जल्द ही ‘प्लांट बेस्ड चिकन कीमा’ को पेश करेंगे।
रांची के रहने वाले वन्या वत्सल और गुंजन गौरव ने अपनी नौकरी छोड़, सेनेटरी पैड बनाने का बिजनेस शुरू किया। इसके तहत उनका उद्देश्य वंचित महिलाओं को एक सम्मानित जीवन और रोजगार का बेहतर साधन देना है।
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली से पढ़ाई करने के बाद संदीप बोगाधी ने दिल्ली और बेंगलुरु के फर्मों के लिए काम किया। लेकिन, कुछ अलग करने की चाहत में, उन्होंने नौकरी छोड़ लद्दाख को ही अपना घर बना लिया।
बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।
महाराष्ट्र के नासिक में 100 साल पुराना एक स्कूल है। स्कूल प्रबंधन की इच्छा थी कि स्कूल भवन को तोड़कर फिर से बनाया जाए, लेकिन आर्किटेक्ट धनंजय ने इस स्कूल को न केवल टूटने से बचा लिया, बल्कि इसे फिर से एक नया जीवन भी दिया है।
मध्य प्रदेश के इंदौर की एक आईएएस अधिकारी ने परियोजनाओं के लिए अर्जित कार्बन क्रेडिट को बेचने के बाद, इससे 50 लाख रुपए का राजस्व हासिल कर, ग्रीन प्रोजेक्ट को मोनेटाइज करने का तरीका खोज लिया है।
केरल के कासरगोड के रहने वाले 67 वर्षीय कुंजंबु, पिछले 50 वर्षों से अधिक समय के दौरान 1000 से अधिक सुरंगे बना चुके हैं। जिसके फलस्वरूप आज गाँव के लोगों को पानी के लिए बोरवेल पर कोई निर्भरता नहीं है।