भारतीय रेलवे की ट्रेनों में और स्टेशनों पर स्वच्छता की योजना को नए स्तर पर ले जाने वाले फेडरिक पैरियथ ने न केवल अपनी नौकरी की, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। उन्हीं के कारण अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का कायाकल्प हो सका और आज यह कई सस्टेनेबल तरीक़ों से काम करता है।
हरियाणा के हिसार के रहने वाले गुरसौरभ सिंह ने एक बेहद अनोखा आविष्कार किया है। उन्होंने एक ऐसी किट बनाई है जिसकी मदद से केवल 20 मिनट में किसी भी साइकिल को इलेक्ट्रिक वाहन में बदला जा सकता है।
हैदराबाद के रहनेवाले धर्मेंद्र दादा बीते साल अप्रैल में, अपने दोस्त से मिलने के लिए बिहार के गया जिले के चौपारी गांव गए थे। इस दौरान, उन्होंने गांव में कुछ हंसों की दशा देख, उन्हें बेहतर आसरा देने के लिए चूना और सुरखी का इस्तेमाल कर एक तालाब बना दिया।
भारत की मॉबिलिटी टेक कंपनी ‘ईवेज’ (Evage) ने हाल ही में अमेरिका स्थित वेंचर कैपिटल फर्म, रेडब्लू कैपिटल से 28 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। कंपनी फिलहाल, अमेजन इंडिया को Electric Truck की आपूर्ति कर रही है।
केरल के कासरगोड के रहनेवाले देवकुमार नारायणन और उनकी पत्नी UAE में एक इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन, 2018 में उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव में ‘पपला’ कंपनी की शुरुआत की, जिसके तहत वह सुपारी के पत्तों से कई इको-फ्रेंडली सामान बना रहे हैं।
साल 2014 में जब पीके पात्रो ने देहरादून जू के डायरेक्टर का पद संभाला था, तभी से उन्होंने इसे एक सस्टेनेबल मॉडल के तौर पर विकसित करना शुरू कर दिया था। उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि आज यह जू जीरो कार्बन फुट प्रिंट वाली जगह बनने की ओर बढ़ रहा है।
तमिलनाडु के तूतुकुड़ी में रहने वाले एम शक्तिवेल के कस्बे में पहले बिजली की कोई सुविधा नहीं थी। उनके प्रयासों से कस्बे में 15 सोलर पैनल लगे और लोगों की जिंदगी से अंधेरा हमेशा के लिए दूर हो गया। पढ़िए यह प्रेरक कहानी!